First Bhojpuri Printed Book

भोजपुरी के पहिला प्रकाशित किताब

सामान्य रुप से छापखाना 19वी सदी में आइल रहे, आ कहल जाला कि भोजपुरी के पहिला किताब जवन कि नाटक रहे उ 1884 में आइल रहे । बाकिर एगो जानकारी के हिसाब से भोजपुरी में जवन पहिला किताब प्रकाशित भइल रहे ओह किताब के प्रकाशन के साल रहे 1728 आ किताब के नाव रहे 'बारह मासी' ।
किताब प्रकाशन के काम त बहुत सैकड़न साल पहिले से चलत बा बाकिर कागज प किताब प्रकाशन के भारत में जवन इतिहास बा उ 1578 से बा । 20 अक्टूबर 1578 के भारत में पहिला किताब के प्रकाशन के श्रेय तमिल भाषा के जाला ।

किताब ' थम्बिरान वणक्कम' नाव के किताब 1578 में प्रकाशित भइल रहे जवन तमिल भाषा में रहे । पुर्तकगाल के मिशनरी ' हेनरिक हेनरिक्स ( एनरिक एनरिक्ज) एह किताब के प्रकाशित कइले रहे । खास बात कि एह किताब के प्रकाशन खातिर कागज, चीन से इम्पोर्ट कइल गइल रहे । 1556 में पुर्तगाल से प्रिंटिंग मशीन आइल रहे ओहि मशीन से एह किताब के छपाई भइल रहे ।एह से पहिले ता‌ड के पतई आ अउरी कुल्ह पतई, पथर आदि प लिखे के परम्परा रहे । [ गुगलियइला प अउरी डिटेल मिल जाई ]

भोजपुरी में पहिला किताब, लखन सेन के किताब ' बारह मासी' ह जवना के लिपि कैथी आ भाषा भोजपुरी बा , आ इ भोजपुरी गीतन के संग्रह ह । एह किताब के प्रकाशन आजमगढ के रहनिहार ' शिवराज सिंह कायस्थ' जी संवत्‌ 1785 ( सन्‌ 1728 के करीब ) करवइले रहले । इ किताब आजमगढ के ही हर प्रसाद साहु गोलवारा के प्राचीन पुसतकन के संकलन के दौरान मिलल रहे । एह किताब के सोझा ले आवे के श्रेय जाला काशी नागरी प्रचारणी सभा के पुरान खोजकर्ता श्री दौलत राम जी चुआल के । इहें के इ किताब हर प्रसाद साहु किहां के से ले के आइल रहनी ।

भोजपुरी के एह पहिला किताब के बारे में जानकारी, भोजपुरी के बहुत प्रतिष्ठित पत्रिका 'अंजोर' में 1966 में प्रकाशित भइल रहे । एह लेख के लिखे वाला के नाव ह डॉ परमेश्वरी लाल गुप्त आ इहां के ही एह किताब के तब देखले रहनी जब चुआल जी काशी नागरी प्रचारणी खातिर एह किताब के सूचीबद्ध करत रहनी । मूल रुप से परमेश्वरी जी एह किताब के बारे में 1954 के करीब लिखले रहनी ।

[ डॉ. परमेश्वरी लाल गुप्त जी आजमगढ के रहनिहार, स्वतंत्रता सेनानी के अलावा, इतिहासकार, मद्राशास्त्री आ भोजपुरी हिन्दी के नामी साहित्याकार रहनी । आजमगढ में शिक्षा के ले के इहां के जबरजस्त काम रहल बा । मानल जानल अखबार आज दैनिक के संपादक मंडल में रहनी । तकरीबन 32 से उपर किताब आ 250 से उपर शोधपत्र लिखले बानी । देश-बिदेस से इहां के अनेकन गो पद आ मान -सम्मान मिलल बा ]

- नबीन कुमार

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