Kanan Devi

कानन देवी भारत की पहली महिला सुपरस्टार थीं, जिन्हें पांच रुपये की सैलरी पर काम करने का मौका मिला था
 भारतीय सिनेमा जगत में कानन देवी को पहली महिला सुपरस्टार के रूप में याद किया जाता है, उन्होंने न केवल अपने फिल्म निर्माण कौशल से बल्कि अभिनय और पार्श्व गायन से भी दर्शकों के बीच विशेष पहचान बनाई। काननदेवी मूल नाम कानन बाला का जन्म 1916 में पश्चिम बंगाल के हावड़ा में एक मध्यम वर्गीय बंगाली परिवार में हुआ था। बचपन में ही उनके पिता की मृत्यु हो गयी। इसके बाद परिवार की आर्थिक जिम्मेदारी को समझते हुए कानन देवी ने अपनी मां के साथ काम में हाथ बंटाना शुरू कर दिया।

जब कानन देवी महज 10 साल की थीं, तब एक पारिवारिक मित्र की मदद से उन्हें ज्योति स्टूडियो द्वारा निर्मित फिल्म जयदेव में पांच रुपये के वेतन पर काम करने का मौका मिला। इसके बाद कानन देवी को राधा फिल्म्स के बैनर तले ज्योतिस बनर्जी के निर्देशन में कई फिल्मों में बाल कलाकार के रूप में काम करने का मौका मिला। यह फिल्म साल 1934 में रिलीज हुई थी। बतौर अभिनेत्री कानन देवी उनके फ़िल्मी करियर की पहली हिट फ़िल्म साबित हुई। कुछ समय बाद कानन देवी न्यू थिएटर से जुड़ गईं।

इसी बीच उनकी मुलाकात राय चंद बोराल (आरसी बोराल) से हुई जिन्होंने कानन देवी को हिंदी फिल्मों में काम करने की पेशकश की। तीस और चालीस के दशक में फिल्म अभिनेता या अभिनेत्रियों को फिल्मों में अभिनय के साथ-साथ पार्श्व गायक की भूमिका भी निभानी पड़ती थी, जिसे देखकर कानन देवी ने भी संगीत की शिक्षा लेनी शुरू कर दी। उन्होंने संगीत की प्रारंभिक शिक्षा उस्ताद अल्ला रक्खा और भीष्मदेव चटर्जी से प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने अनादि दस्तीदार से रवीन्द्र संगीत भी सीखा।

वर्ष 1937 में प्रदर्शित फिल्म मुक्ति। यह फिल्म बतौर अभिनेत्री कानन देवी के फिल्मी करियर की सुपरहिट साबित हुई। पीसी बरुआ द्वारा निर्देशित इस फिल्म की जबरदस्त सफलता के बाद कानन देवी न्यू थिएटर के शीर्ष कलाकारों में शामिल हो गईं। कानन देवी ने 1940 में अशोक मैत्रा से शादी की। दोनों की शादी का पूरे कोलकाता में विरोध हुआ था. अशोक मैत्रा कोलकाता में ब्रह्म समाज नेता और शिक्षाविद् हरम्बा मैत्रा के पुत्र थे। 1941 में न्यू थिएटर छोड़ने के बाद कानन देवी ने स्वतंत्र रूप से काम करना शुरू कर दिया। यह फ़िल्म वर्ष 1942 में प्रदर्शित हुई। उत्तर. एक अभिनेत्री के तौर पर कानन देवी की फिल्म उनके करियर की सबसे बड़ी हिट साबित हुई।

इसी फिल्म पर ये गाना फिल्माया गया था. उन दिनों यह श्रोताओं के बीच बहुत लोकप्रिय हुआ। इसके बाद कानन देवी हॉस्पिटल. वनफूल और राजलक्ष्मी जैसी फिल्में रिलीज हुईं जो बॉक्स ऑफिस पर सुपरहिट साबित हुईं। कुछ समय बाद अशोक मैत्रा भी कानन देवी के फिल्मों में काम करने के खिलाफ हो गये. अंततः अपने पति के बदलते रवैये से परेशान होकर कानन देवी ने 1945 में अपने पति से रिश्ता ख़त्म कर लिया। वर्ष 1948 में कानन देवी मुंबई चली गईं। इसी वर्ष प्रदर्शित चन्द्रशेखर की बतौर अभिनेत्री कानन देवी की आखिरी हिंदी फिल्म थी। फिल्म में उनके हीरो की भूमिका अशोक कुमार ने निभाई थी. साल 1949 में कानन देवी ने बंगाल के गवर्नर के एडीसी हरिदास भट्टाचार्य से दूसरी शादी की।

वर्ष 1949 में कानन देवी ने फिल्म निर्माण के क्षेत्र में भी कदम रख दिया। कानन देवी ने अपने बैनर श्रीमती पिक्चर्स के तहत कई सफल फिल्मों का निर्माण किया। वर्ष 1968 में कानन देवी को पद्मश्री से सम्मानित किया गया। वर्ष 1976 में फिल्म निर्माण के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए कानन देवी को फिल्म जगत के सर्वोच्च सम्मान दादा साहब फाल्के पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

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