#विश्व_सुंदरियां
कृष्ण कल्पित कविता
कुछ तो वेश्यालयों में चली जाती हैं
कुछ फ़िल्मालयों में
सुंदरियाँ जितनी थीं
इतिहास बताता है कि
ज़्यादातर वे ऐश्वर्य के काम आईं/आती हैं
हर वर्ष जिन्हें खोजा जाता है इतने जतन से
वे कहाँ ग़ुम हो जाती हैं
कहाँ चली जाती हैं
इतनी-सारी विश्वसुंदरियाँ
देहयष्टि ही उनकी परिक्रमा है
कामाग्नि ही उनका यज्ञ
एक सुंदरी लेकिन अपवाद थी
अपने समय की वह अव्याज सुंदरी
नर्तकी नहीं बनी
नटी नहीं बनी
महानायक की पुत्रवधू नहीं बनी
प्रधानमंत्री की निर्लज्ज प्रशंसक नहीं बनी
वह चिकित्सक बनी
डॉक्टर/वैद्य/दर्दनिवारक बनी
( जिसका नाम था रीता फारिया )
बहुत देखीं
लेकिन इससे बड़ी सुँदरी नहीं देखी
मनुष्यता का मार्मिक सौंदर्य शायद यही है
मर्लिन मुनरो को उसके घर पानी भरना चाहिए
मेरी प्रिया
मेरे सूने दिल में जलता हुआ एक दिया
रीता फारिया !
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रीता फारिया : एक तस्वीर