निम्मी थी बॅालीवुड की वो अदाकारा जिसकी खूबसूरती के आगे मधुबाला भी थी फेल अभिनेत्रियों को खास पहचान दिलायी
नवाब बानो (18 फरवरी 1933-25 मार्च 2020) अपने मंचीय नाम निम्मी से प्रसिद्ध हिन्दी फिल्मों की 1950 से 1960 के दशक की अभिनेत्री थीं।
बॉलीवुड में निम्मी को एक ऐसी अभिनेत्री के तौर पर शुमार किया जाता है जिन्होंने पचास और साठ के दशक में महज शोपीस के तौर पर अभिनेत्रियों को इस्तेमाल किये जाने जाने की विचार धारा को बदल दिया।
'बरसात', 'दीदार', 'आन', 'उड़न खटोला' और 'बसंत बहार' जैसी कईफिल्मों में निम्मी ने अपने अविस्मरणीय अभिनय से अमिट छाप छोडा। निम्मी अभिनीत फिल्मों पर यदि एक नजर डाले तो पायेगें कि पर्दे पर वह जो कुछ भी करती थी। वह उनके द्वारा निभायी गयी भूमिका का जरूरी हिस्सा लगता है और उसमें वह कभी भी गलत नहीं होती थी।
निम्मी का जन्म 18 फरवरी 1933 को आगरा में हुआ था। उनकामूल नाम नवाब बानू था। उनकी मां वहीदन मशहूर गायिका होने के साथ फिल्म अभिनेत्री भी थीं और उन्होंने मशहूर निर्माता, निर्देशक महबूब खान के साथ कुछ फिल्मों काम किया था। निम्मी के पिता मिलिट्री में कॉन्ट्रेकटर के रूप में काम करते थे।
निम्मी जब महज नौ वर्ष की थी तब उनकी मां का देहांत हो गया। इसके बाद वह अपनी दादी के साथ रहने लगी। भारत विभाजन के पश्चात निम्मी मुंबई आ गयी। इसी दौरान उनकी मुलाकात निर्माता-निर्देशक महबूब खान से हुयी। महबूब खान इसके पहले उनकी मां को लेकर कुछ फिल्मों का निर्माण कर चुके थे। वह उन दिनों अपनी नई फिल्म 'अंदाज' का निर्माण कर रहे थे। उन्होंने निम्मी को फिल्म स्टूडियों मे बुलाया।
फिल्म 'अंदाज' के सेट पर निम्मी की मुलाकात अभिनेता राज कपूर से हुई जो उन दिनों अपनी नई फिल्म 'बरसात' के लिये नये चेहरों की तलाश कर रहे थे और मुख्य अभिनेत्री के लिये नरगिस का चयन कर चुके थे। राजकपूर ने निम्मी की सुंदरता से प्रभावित होकर उनके सामने इस फिल्म में सहायक अभिनेत्री के रुप में काम करने का प्रस्ताव रखा जिसे उन्होने स्वीकार कर लिया।
वर्ष 1949 में प्रदर्शित फिल्म 'बरसात' की सफलता के बाद अभिनेत्री निम्मी फिल्म इंडस्ट्री में रातो-रात अपनी पहचान बनाने में सफल हो गयी। वर्ष 1952 में प्रदर्शित फिल्म 'आन' निम्मी के सिने करियर की एक और महत्वपूर्ण फिल्म साबित हुई।
महबूब खान निर्मित इस फिल्म की खास बात यह थी कि यह हिंदुस्तान में बनी पहली टेकनीकलर फिल्म थी और इसे काफी खर्च के साथ वृहत पैमाने पर बनाया गया था। दिलीप कुमार, प्रेमनाथ और नादिरा की मुख्य भूमिका वाली इस फिल्म में निम्मी ने अतिथि भूमिका निभाई थी। फिल्म आन से जुड़ा एक रोचक तथ्य यह भी है कि भारत में बनी यह पहली फिल्म थी जो पूरे विश्व में एक साथ प्रदर्शित की गयी।
पचास के दशक में निम्मी की लोकप्रियता का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि उन दिनों जब फिल्म की पहली झलक वितरक को दिखाई गयी तो उन्होंने फिल्म निर्माता से निम्मी के रोल को बढ़ाने की मांग की और उनके जोर देने पर निम्मी पर एक ड्रीमसॉन्ग फिल्माया गया जो श्रोताओं के बीच काफी लोकप्रिय हुआ।
फिल्म 'आन' की सफलता के बाद निम्मी को एक बार फिर महबूब खान की ही फिल्म 'अमर' में काम करने का अवसर मिला। बलात्कार जैसे संवेदनशील विषय बनी इस फिल्म में निम्मी के अलावा दिलीप कुमार और मधुबाला की मुख्य निभाई थी। हालांकि फिल्म व्यावसायिक तौर पर सफल नहीं हुई लेकिन निम्मी के दमदार अभिनय को आज भी सिने दर्शक नही भूल पाये है। महबूब खान भी इसे अपने सिने करियर की महत्वपूर्ण फिल्म मानते है।
वर्ष 1954 में निम्मी ने निर्माण के क्षेत्र में भी कदम रख दिया और फिल्म 'डंका' का निर्माण किया। वर्ष 1955 में उन्हें महान निर्माता निर्देशक सोहराब मोदी की फिल्म 'कुंदन' में काम करने का मौका मिला जिसमें उन्होंने मां और बेटी की दोहरी भूमिका निभाकर दर्शकों को रोमांचित कर दिया।
निम्मी ने अपने सिने करियर में उस दौर के सभी दिग्गज अभिनेता के साथ अभिनय किया। राजकपूर के साथ भोला-भाला प्यार हो या फिर अशोक कुमार और दिलीप कुमार के साथ संजीदा अभिनय या देवानंद के साथ छैल-छबीला रोमांस निम्मी हर अभिनेता के साथ उसी के रंग में रंग जाती थी।
वर्ष 1957 में प्रदर्शित फिल्म 'भाई-भाई' निम्मी के सिने करियर की महत्वपूर्ण फिल्मों में एक है। इस फिल्म में पने दमदार अभिनय के से उन्होंने दर्शको के साथ ही समीक्षकों का भी दिल जीत लिया और उन्हे क्रिटिक्स अवॉर्ड से भी सम्मानित किया गया।
पचास के दशक के अंतिम वर्ष में निम्मी को चेतन आंनद की अंजली और विजय भट्ट की 'बंसत बहार' जैसी फिल्मों मे काम करने का अवसर मिला। इसी दौरान निम्मी ने ख्वाजा अहमद अब्बास की विवादास्पद फिल्म 'चार दिल चार राहे' में भी काम करने का अवसर मिला जिसमें उनके अभिनय को जबरदस्त सराहना मिली।
इसके बाद निम्मी फिल्मों के मामले में बहुत चूजी हो गयी और कम फिल्मों मे अभिनय करने लगी। उन्होंने बी.आर.चोपड़ा की फिल्म 'साधना' और 'वो कौन थी' में काम करने से मना कर दिया। यह अलग बात है कि बाद में दोनों फिल्मे टिकट खिड़की पर सफल हुई।
वर्ष 1963 में प्रदर्शित फिल्म 'मेरे महबूब' निम्मी के सिने करियर की सुपरहिट फिल्मों में शुमार की जाती है। अशोक कुमार, राजेन्द्र कुमार और अमीता की मुख्य भूमिका वाली इस फिल्म में निम्मी ने अपने दमदार अभिनय से दर्शकों का दिल जीत लिया और इसके साथ ही उन्हें सर्वश्रेष्ठ अभिनेत्री के फिल्म फेयर पुरस्कार के लिये नामांकित भी किया गया।
वर्ष 1965 में प्रदर्शित फिल्म 'आकाश दीप' निम्मी के सिने करियर की अंतिम फिल्म साबित हुई। इसके बाद उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री से किनारा कर लिया। निम्मी ने अपने चार दशके लंबे करियर में लगभग 50 फिल्मों में अभिनय किया है।
उनका निधन 25 मार्च 2020 को हो गया।