"इस बच्चे को तुम मुझे दे दो। मैं इसे एक्टिंग सिखाऊंगा। संगीत की शिक्षा दिलाऊंगा और फिल्मों में काम कराऊंगा।" वी शांताराम जी ने एक गरीब पिता से ये बात कही। ये बहुत साल पुराना और बड़ा ही दिलचस्प किस्सा है। उम्मीद है आपको पसंद आएगा।
महान वी. शांताराम कला के बहुत बड़े कद्रदान थे। किसी जौहरी जैसी नज़रें थी उनकी। आज उनकी इसी खूबी का एक बहुत रोचक किस्सा जानिए। एक दफा वी. शांताराम जी की नज़र बंबई की एक सड़क पर गाते घूम रहे एक बच्चे पर पड़ी। वो बच्चा बहुत अच्छा और सुरीला गा रहा था। जो बात वी. शांताराम जी को उस बच्चे में सबसे अनोखी लगी वो ये कि गा तो वो बच्चा रहा ही था। साथ ही साथ डांस भी कर रहा था। वी. शांताराम उस बच्चे के हुनर से बड़े प्रभावित हुए। और वो रुककर उसे देखने लगे। और भी काफी लोग उस बच्चे को देख रहे थे।
जब उस बच्चे का तमाशा खत्म हुआ तो बाकि लोग अपने-अपने रास्ते निकल गए। मगर वी. शांताराम उस बच्चे से मिलने पहुंचे और उसके बारे में जानना शुरू किया। पता चला कि उस बच्चे का नाम परशुराम लक्ष्मण है। वो महाराष्ट्र के अहमदनगर का रहने वाला है। गरीब घर का बच्चा है। वैसे तो पढ़ाई में वो बच्चा ठीक-ठाक था । लेकिन ग़रीबी इतनी ज़्यादा थी कि चौथी क्लास के बाद उसे स्कूल छोड़ना पड़ गया। वो अपने पिता के साथ काम करने बंबई आया था। पिता के साथ वो मजदूरी करता था। और खाली वक्त में सड़कों पर नाच-गाना व मिमिक्री करके पैसे कमाता था।
वी.शांताराम को आभास हो गया कि बच्चा बहुत प्रतिभावान है। अगर इसे सही अवसर मिला तो ये कुछ बड़ा ही करेगा। वी. शांताराम जी ने उस कच्चे हीरे जैसे बच्चे को तराशने का फैसला किया। वो उस बच्चे के पिता से मिले और कहा कि इस बच्चे को तुम मुझे दे दो। मैं इसे एक्टिंग सिखाऊंगा। संगीत की शिक्षा दिलाऊंगा और फिल्मों में काम कराऊंगा। उस बच्चे के पिता के लिए तो वी. शांताराम जी का वो प्रस्ताव किसी बिन मांगी मुराद के पूरा होने जैसा था। उन्होंने फौरन वी. शांताराम जी का प्रस्ताव स्वीकार कर लिया।
वी. शांताराम उस बच्चे को अपने साथ लेकर आ गए। उस बच्चे को संगीत की तालीम दिलाई गई। अभिनय सिखाया गया। और फिर एक दिन उस बच्चे को फिल्म में भी ब्रेक दिया गया। साल 1937 में वी. शांताराम जी की एक फिल्म आई थी जिसका नाम था "दुनिया ना माने।" उसी फिल्म में वी. शांताराम जी ने उस बच्चे को अभिनय करने का पहला मौका दिया था। फिर तो वो बच्चा कई फिल्मों में नज़र आया जैसे गोपाल कृष्णा, मेरा लड़का, शकुंतला व भूल। और भी कई हिंदी फिल्मों में उस बच्चे ने काम किया था।
साथियों बहुत दिन पहले ये कहानी मैंने "सुहाना सफर विद अन्नू कपूर" नामक रेडियो शो में सुनी थी। उस बच्चे का आगे चलकर क्या हुआ, ये अन्नू कपूर जी ने नहीं बताया था। सो मैंने तलाश शुरू की। और तलाशते तलाशते मैं एक ब्लॉग पर पहुंचा जहां उस बच्चे के बारे में थोड़ी सी जानकारी मिली। थोड़ी सी इसलिए क्योंकि वो बच्चा कोई बहुत बड़ा या नामवर कलाकार नहीं बन सका था। उसने कई फिल्मों में काम ज़रूर किया था। लेकिन पुराने ज़माने में सिर्फ नामी कलाकारों के बारे में ही जानकारियां सहेजी जाती थी। छोटे कलाकारों की कहानियों पर उतना ध्यान नहीं दिया जाता था। इसलिए उस दौर के अनेकों-अनेक ऐसे छोटे कलाकार हैं जिनके बारे में आज कहीं कुछ पढ़ने को नहीं मिलता।
वो बच्चा परशुराम के नाम से फिल्म इंडस्ट्री में जाना गया था। 24 जनवरी 1978 को उसकी मृत्यु हो गई थी। परशुराम के बारे में जो थोड़ी जानकारियां मुझे मिली वो कुछ इस प्रकार हैं कि उनकी पत्नी कस्टम डिपार्टमेंट में नौकरी करती थी। उनका एक बेटा था जो अब अपनी पत्नी व बेटे संग न्यूज़ीलैंड में रहता है और वहां एक एयरलाइन कंपनी में नौकरी करता है। परशुराम की दो बेटियां भी हैं जो मुंबई में ही रहती हैं और अपनी मां का ख्याल रखती हैं। परशुराम को बचपन से ही एक्टिंग, गाने और पढ़ने का शौक था।पढ़ने के शौक के चलते भाषा पर उसकी अच्छी पकड़ बन गई थी।
परशुराम के पिता जब उन्हें मुंबई लाए थे तो उन्होंने रंजीत स्टूडियो में एक्स्ट्रा कलाकार के तौर पर उन्हें काम पर लगाने की कोशिश की थी। लेकिन परशुराम को वहां काम नहीं मिला। फिर बाद में वी. शांताराम के ज़रिए परशुराम फिल्मी दुनिया तक पहुंचे। वी. शांताराम जी ने अपनी कंपनी प्रभात फिल्म्स में परशुराम को पांच रुपए महीना की तनख्वाह पर रखा था। साथ ही खाना-रहना व कपड़े देने का वादा भी किया था।
परशुराम जी ने "दुनिया ना माने" फिल्म में जो पहला किरदार निभाया था वो एक भिखारी बच्चे का था। परशुराम जी की मेरी तलाश अभी जारी है। क्योंकि ये भी हो सकता है कि जो जानकारियां अन्नू कपूर जी ने अपने प्रोग्राम में दी थी वो पूरी तरह से सही ना हों। उनमें कुछ गड़बड़ियां हों। अन्नू कपूर जी के शो में भी बहुत गड़बड़ें दिखी हैं मुझे। वैसे भी एक बेवकूफ़ था जो एक बड़ी फ़ालतू बहस कर रहा था मुझसे एक दिन। और उसके प्रोफ़ाइल में लिखा था राइटर इन सुहाना सफ़र विद अन्नू कपूर। इसलिए अभिनेता परशुराम की कहानी अभी और ढूंढनी है। मिलते ही फौरन शेयर करूंगा।
