गांव शहर में भेद न कउनो

गांव शहर में भेद न कउनो

राकेश कुमार पांडेय

हुरमुजपुर,सादात

गाजीपुर,उत्तर प्रदेश


 केहू ना फेंकत घूर खेत में,जवन जमाना आइल।

गोरू-चउवा अब ना दुअरे,छेरिये भेंड़ पलाइल।

गांव शहर में भेद न कउनो,गेटवे बन्न देखाइल।

सबही चुप्प बा अपने घर में,गउवें सुन्न बुझाइल।

बिजुरी पंखा कूलर ए सी,घर घर पंच जुड़ाइल।

बड़की टीवी चैनल बदलत,सुबिधा कुल्ही जनाइल।

फटफटिया घर घर में आइल,कुक्कुर कार किनाइल।

देसी कुक्कुरा पोंछ चोरवले,घुम्मत बा छिछिआइल।



गढ़ई कूँआ ताल तलइया,पोखरी कूंड़ पटाइल।

नीक नीक घर पक्का दुअरा,पालिश पेण्ट पोताइल।

टट्टर काटे टट्टर जोते नहर टिबुल सिंचाइल।

खाद रसायन झोंकिके खेती,बइठल फसिल कटाइल।

दूध घीव मंठा ना दही,पेफसी फिरिज धराइल।

भेली गूर ना चोटा घर में,चउमिन तेल छनाइल।

चाह के सङ्गे बिस्कुट आवे,दाना कहाँ भूंजाइल।

खान-पान आचार-विचारो,बोलत ठड़ी सुनाइल।


गांव गांव बदलाव ई बूझा,माई शबद हेराइल।

झकड़ा छेर चरावत गावे,ठेंकी कान खोंसाइल।

रम्मन-झम्मन फेंकू धोबी,गदहा छोरि खेदाइल।

बइठल गांजा पाउच पीयें,दिनभर तास फेंटाइल।

चर-चरवाहा लेंहड़ कहवां,बिरहा कहां गवाइल।

फूहर गाना डीजे बाजत,झुल्ला फारि नचाइल।

लाज हया के घोरि के पियलें,फइसन जवन कहाइल।

बिगर गइल मोर नीकका गउवां,केकर दोष गिनाइल।


टाई बान्हि के गर में लइका,पटरी कलम फ़ेंकाइल।

मन्टेसरी में पढ़े जालें,जगहे-जगह खोलाइल।

काऊ मंगो वन टू थीरी,मम्मी रटें रटाइल।

अंटी अंकल गोहरावेलें,आजी बब्बा कहां बिलाइल।

गुल्ली डण्डा हापुड़ शूटूर,खेलें-खेल मोबाइल।

पीढ़ी बिगरल भाखा छोड़लस,पहिनावा बदलाइल।

नेम धरम के छोड़िके देखा,चिंते इहो लिखाइल।

आपुस में मनभेद बहुत बा,विकसित गांव कहाइल।


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