सहारा श्री की कहानी

"पुरुष बली नहिं होत है़ समय होत बलवान"......*सहारा को बेसहारा करने वाले सुव्रत राय की कहानी*

*अमिताभ से लेकर आडवाणी तक......*  *और मुलायम से लेकर ठाकरे तक श्री.सुब्रत रॉय ने अपने दोनों लड़कों की शादी में पूरे देश का वीआईपी इकट्ठा किया था.शायद याद हो आपको.. ...*
*2004 में पाँच सौ करोड़ की ये शादी सबसे महँगी मानी गयी थी..यह.....*

*लेकिन,अब उनके ही निधन के पश्चात,आज क़रीब दो दिन इंतज़ार करने के बाद उनकी चिता में पौत्र ने मुखाग्नि दी.🔥 विदेश में बैठे दोनों बेटों ने पिता की मृत्यु पर पहुँचने में असमर्थता जता दी,,!! 🤔😟🤷‍♂️😒*

*यही दुनिया है,बक़ौल शायर,,।।*🌹😒👇🤷‍♂️

*मिरी नमाज़-ए-जनाज़ा पढ़ी है ग़ैरों ने,,*
*मरे थे जिन के लिए वो रहे वज़ू करते,,😒🤷‍♂️🙏😞*

_*बीस साल भी नहीं बीते हैं इस बात को जब सुब्रत रॉय सहारा के बेटे की शादी में सदी के महानायक अमिताभ बच्चन अपने पूरे परिवार के साथ बारात में नाच रहे थे, देश के प्रधानमंत्री घुटने ख़राब होने के बावजूद मंच पर चढ़ कर वरवधू को आशीर्वाद दे रहे थे। देश का कोई ऐसा व्यक्ति नहीं बचा था जिसकी गिनती देश के बड़े लोगों में होती हो और वो उस शादी में लखनऊ न पहुँचा हो, पच्चीसों मुख्यमंत्री पूरी केंद्र सरकार और यूपी सरकार वहाँ थी, लोकसभा, राज्यसभा और सभी राज्यों की विधानसभाओं के मेम्बर शायद ही कभी एकसाथ कहीं और जुटे हों।*_

_*कभी साइकिल पर घूम घूम कर नमकीन बिस्कुट बेचने वाले सहारा उस वक़्त, आज के अंबानी अड़ानी और टाटा से ज़्यादा शक्तिशाली दिखने लगे थे।*_

_*लेकिन अपने शक्ति और साम्राज्य विस्तार के एक कदम में सहारा ऐसे फँसे की अंत तक एकदम बेसहारा और लाचार हो गए और उसी लाचारी की स्थिति में कल वो इस दुनिया से विदा भी हो गए।*_

_*उन्होंने कभी सपने में भी नहीं सोचा रहा होगा कि रोशनलाल नाम का एक आदमी जो इंदौर का रहने वाला था वो उनकी जगमगाती हुई दुनिया को बेनूर और कम रोशन कर डालेगा।*_

_*क़िस्सा 2009 से शुरू हुआ, सहारा ने अपनी रियल स्टेट कंपनियों के नाम से बॉण्ड जारी किए, 3 करोड़ लोगों ने इन बाँड्स को सब्सक्राइब किया और क़रीब 24000 करोड़ रुपये इस समय सहारा ने इन बाँड्स से जुटाये। इन बाँड्स को जारी करने में सहारा ने सेबी द्वारा स्थापित नियम क़ानूनों की जम कर धज्जियाँ उड़ाईं।*_ 

_*फिर एक रोशनलाल नाम के व्यक्ति ने, सहारा की शिकायत नेशनल हाउसिंग बैंक कारपोरेशन को कर दी, नेशनल हाउसिंग बैंक ने सहारा को उस चिट्ठी के आधार पर नोटिस भेजा, तो सहारा ने बैंक को ये कहकर दुत्कार दिया, कि ये तुमसे रिलेटेड मामला नहीं है, अगर किसी को पूछने का हक़ बनता भी है तो वो सेबी है, तुम इसमें अपनी नाक मत घुसेड़ो। बैंक के अधिकारियों को ये बात बुरी लग गई, उन्होंने रोशनलाल की चिट्ठी और उस पर सहारा के जवाब को अपनी टिप्पणी और जाँच करने के आग्रह के साथ सेबी को भेज दिया।*_

_*फिर शुरू हुई सेबी की जाँच, हालाँकि सत्ता के शिखर के तमाम लोगों को अपने जेब में लेकर चलने का मुग़ालता पाले सुब्रत रॉय सहारा ने सेबी की जाँच को भी हल्के में लिया। सेबी ने जब उनसे इन बाँड्स के बारे में पूछताछ की तो सहारा ने 31669 कार्टन से भरे 127 ट्रक भरकर डॉक्यूमेंट्स सेबी के दफ़्तर भेज दिया, कि लो पढ़ लो और कर की जाँच। 127 ट्रकों को सेबी के सामने खड़ा करके सहारा ने ख़ुद को देश की सुर्ख़ियों में ला दिया, मुंबई में सेबी के दफ़्तर के सामने लगे ट्रैफिक जाम ने पूरी मीडिया का ध्यान इस मामले पर आकर्षित कर दिया। उस समय वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी थे, प्रणव मुखर्जी ने जाँच पूरी ईमानदारी से हो इस बात को सुनिश्चित करवाया, सेबी ने सहारा से ग़लत तरीक़े से जुटाये निवेशकों के पैसे को 15% ब्याज के साथ लौटने के लिए कहा, सहारा वो पैसा नहीं लौटा पाए। मामला सुप्रीम कोर्ट पहुँचा और सहारा जेल पहुँच गए, उसके बाद दिन ब दिन सहारा बेसहारा होते चले गये, एयर फॉर जो हुआ हम सबने देखा ही है।*_

_*इसीलिए आप मेहनत क़िस्मत और तिकड़म के सहारे भले शिखर पर पहुँच जायें लेकिन दो बातें हमेशा याद रखिए, पहली, अहंकार मत करिए, दूसरी, शिखर पर पहुँचा जा सकता है, शिखर पर घर नहीं बनाया जा सकता, शिखर पर पहुँचने के बाद आपका बर्ताव तय करता है कि आप शिखर पर कितने समय रहेंगे।*_

_*स्वर्गीय सुब्रत राय सहारा की जिंदगी फिल्मों सी थी सत्तर के दशक में। बेहिसाब दौलत और बेशुमार ताकत। लखनऊ में नवाबी जाने के बाद उनका ही राज दरबार लगता था। राजसी आमोद प्रमोद तो था ही, निजी सेना जैसी सुरक्षा व्यवस्था भी थी। सन 94, 95 के उस दौर में कपूरथला अलीगंज लखनऊ का चमकदार शानदार कार्यालय, शनिवार का ड्रेस कोड, सहारा गान और लंबे लंबे कॉरपोरेट व्याख्यान नवाबों के शहर लखनऊ के लिए तो सब नया नया ही था। वो भारत के उद्योग जगत के पहले सुपर स्टार थे। एक दौर था, उनकी शोहरत का सूरज कभी अस्त नहीं होता था। राय ने जिस पर भी हाथ रख दिया वो दौलत, शोहरत और ताकत की बुलंदी पर होता था।*_

_*खुद और सियासत की नजर उतारने के लिए प्रिंट मीडिया के जमाने में उनका अखबार राष्ट्रीय सहारा अपने पथ पर दंभ के साथ अवस्थित रहा। उस दौरे वक्त अखबार की तूती बोल रही थी। उनके इशारों पर शासन सत्ता चलती थी। उनकी व्यक्तिगत जिंदगी की कहानियां किवदंती बनकर फैली हुई थीं। पूरा बॉलीवुड, क्रिकेट टीम, बड़े बड़े राजनेता और हर तबके के स्टार उनके दरबार में नतमस्तक ही रहा करते थे।  सेक्रेटरी पद से रिटायर होने वाले ब्यूरोक्रेट की भी चाह होती थी कि आगे की जिंदगी सहारा की चाकरी में बीते। शर्ट की ऊपरी दो बटन खोले स्वर्गीय सहारा की महफिलों और पार्टियों में आने पर अमिताभ बच्चन भी हाथ जोड़कर खड़े हो जाते थे। मिडिल क्लास लखनऊ को हाई फाई जीवन शैली और पार्टी कल्चर से सहाराश्री ने रूबरू कराया।*_

_*राजनेताओं की तो लाइन लगी रहती थी। कुछ पार्टियों के तो लोकसभा और विधानसभा के टिकट भी सहारा सिटी से तय होते थे। राजनीति में उनका ऐसा दखल बढ़ा कि राज बब्बर को चुनाव लड़ाने के लिए स्व. अटल बिहारी वाजपेई के खिलाफ खुला मोर्चा खोल दिया। शायद सियासत में उनकी यह दखल ही उनकी कामयाब कॉरपोरेट लाइफ का यू टर्न था। पहले से ही चिटफंड कंपनी को लेकर तरह तरह के आरोपों में घिरे को सेबी और दूसरी जांच एजेंसियों ने घेरना शुरू कर दिया। उसके बाद उनकी एयरलाइंस और दूसरी कंपनियों की उल्टी गिनती शुरू होने लगी। एक राजनीतिक भूल ने सुब्रत रॉय के एंपायर को लगभग धूल में मिला दिया।*_

_*सहारा श्री का जीवन चमत्कारी तो था। एक स्कूटर के साथ शुरू हुई उनकी व्यवसायिक यात्रा ने उन्हें हवाई जहाजों के बेड़े का मालिक तक बनाया। परंतु समय का चक्र बदलते वक्त्त नहीं लगा और वो अर्श से फर्श पर पहुच गये। सुब्रत रॉय के जीवन चक्र को देखेंगे तो आपको समझ आ जायेगा कि वक़्त बुरा हो तो कोई साथ नहीं देता।*_

_*खैर सीखने वाली बात यह है कि आगे बढ़ने की ललक और जुनून उन जैसा होना चाहिए लेकिन साथ साथ ही बढ़ती हुई ताकत को संभालने और शक्ति को धारण करने का धैर्य भी होना चाहिए, जिसकी उनमें कमी थी। बहुत ज्यादा दिखावा अक्सर भारी पड़ता है। स्व. सहारा के साथ भी ऐसा हुआ। सुप्रीम कोर्ट से लेकर सरकारों तक ने इसका अहसास उन्हें कराया, और शायद यह जरूरी भी था।*_

_*"पुरुष बली नहिं होत है, समय होत बलवान"*_

_*बहरहाल ईश्वर उनकी आत्मा को शांति दें और उनके परिवार को यह दुख सहने की ताकत दें।*_

_*कई दशक तक चर्चा में रहे एक खास व्यक्तित्व को मेरी भी विनम्र श्रद्धांजलि...*_

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