बेमिसाल रफी साहब

सुख दुख की हर इक माला कुदरत ही पिरोती है। गीत फ़िल्म कुदरत
3 अंतरे गाने के बाद रफी साहब को आया गुस्सा, छोड़ी रिकॉर्डिंग, पंचम दा से बोले-'क्यों मेरे हाथों पाप करवा रहे हो?'


दिलकश गायिकी के साथ ही रफी साहब अपने स्वभाव के लिए भी पहचाने जाते थे. वे कभी किसी का बुरा नहीं करते थे. एक दफा वे आरडी बर्मन ने से नाराज हो गए थे और रिकॉर्डिंग पूरी नहीं की थी
पुरानी फिल्मों के गीत संगीत की बात हो और मोहम्मद रफी का नाम ना आए, ऐसा हो नहीं सकता. फिल्मी दुनिया में वे दो बातों के लिए मशहूर थे एक तो दिलकश गायिकी और दूसरा स्वभाव. रफी जितने अच्छे सिंगर थे, उतना ही उनका स्वभाव भी अच्छा था. एक बार कोई उनसे मिल लेता था तो हमेशा उन्हें याद करता था. रफी साहब के स्वभाव के कई किस्से बॉलीवुड में मशहूर हैं लेकिन एक दफा उन्हें आरडी बर्मन पर गुस्सा आ गया था. वे इतने नाराज थे कि रिकॉर्डिंग को बीच में ही छोड़कर चले गए थे.रफी साहब को किस बात पर गुस्सा आया और किस गाने की रिकॉर्डिंग उन्होंने बीच में छोड़ दी? यह बताने से पहले उस फिल्म के बारे में बता देते हैं, जिसका यह गाना था. 3 अप्रैल 1981 को फिल्म ‘कुदरत’ रिलीज हुई थी, जिसे चेतन आनंद ने निर्देशित किया था. फिल्म में राजेश खन्ना, राज कुमार, हेमा मालिनी, विनोद खन्ना, प्रिया राजवंश, अरुणा ईरानी, देवेन वर्मा आदि अहम भूमिका में थे.

फिल्म ‘कुदरत’ बड़े पर्दे पर सफल रही थी और इसका गीत संगीत भी काफी पसंद किया गया था. फिल्म का संगीत आरडी बर्मन ने दिया था और इसके गीत मजरूह सुल्तानपुरी और कातिल शिफई ने लिखे थे. फिल्म का एक गाना ‘हमें तुमसे प्यार कितना…’ किशोर दा ने गाया था और बेहद हिट रहा था. लेकिन हम जिस गीत की यहां बात कर रहे हैं वह फिल्म का बैकग्राउंड गीत था. यह गीत जब पंचम दा के सामने आया तो उन्होंने सोचा कि क्यों ना इसे किसी नए गायक से गवाया जाए. बर्मन दा फिल्म के डायरेक्टर चेतन आनंद के पास गए और बोले कि बैकग्राउंड गीत के लिए किसी नए गायक को मौका देना चाहिए. लेकिन चेतन आनंद का कहना था कि मोहम्मद रफी साहब ही यह गाना गाएं तो बेहतर है. पंचम दा ने एक नए गायक चंद्रशेखर गडगिल की आवाज सुनी थी. ऐसे में उन्होंने चेतन आनंद से कहा कि एक बार आप गडगिल की आवाज सुन लीजिए अगर पसंद ना आए तो रफी साहब से बात कर लेंगे.

बर्मन दा की बात पहले तो चेतन आनंद नहीं माने लेकिन फिर उनके बार-बार कहने पर चंद्रशेखर गडगिल की आवाज सुनी. चंद्रशेखर की आवाज चेतन आनंद को पसंद आ गई. ऐसे में उनकी आवाज में गीत रिकॉर्ड करवा लिया गया. लेकिन जब चेतन आनंद ने रिकॉर्ड गीत सुना तो कहा कि शायद रफी साहब ही इस गाने के साथ ज्यादा न्याय करते. इस पर चेतन आनंद की बात मानते हुए बर्मन दा ने रफी साहब को गीत की रिकॉर्डिंग के लिए बुलाया. रफी साहब रिकॉर्डिंग के लिए आए और गाने के 3 अंतरे रिकॉर्ड कर दिए. इसके बाद एक टी ब्रेक हुआ. बता दें रिकॉर्डिंग के समय चंद्रशेखर गडगिल भी वहीं मौजूद थे. चाय की चुस्कियों के बीच रिकॉर्डिंग रूम से उसी गाने की आवाज आई जो रफी साहब रिकॉर्ड कर रहे थे. उन्होंने टेक्निशियन से इसके बारे में पूछा, तो पता चला कि यह गाना पहले किसी और की आवाज में रिकॉर्ड हुआ था.

रफी साहब ने आरडी बर्मन को बुलाया और पूछा ‘पंचम, ये गाना पहले रिकॉर्ड हो चुका है?’. इस पर आरडी बर्मन ने पूरा मामला रफी साहब को बताया और गाने की रिकॉर्डिंग पूरी करने की रिक्वेस्ट की. रफी साहब, गडगिल की आवाज में रिकॉर्ड गाना सुन चुके थे. उन्होंने बर्मन दा से कहा, ‘क्यों मेरे हाथों पाप करवा रहे हो? एक प्रतिभाशाली गायक का करियर क्यों खराब कर रहे हो.’ अपनी बात कहकर रफी साहब वहां से चले गए. बर्मन दा ने समझाने की कोशिश की लेकिन रफी साहब किसी गायक की मेहनत खराब नहीं करना चाहते थे. बस, इसके बाद फिल्म में चंद्रशेखर गडगिल की आवाज में गाना बजा…और वह गाना था…
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