देविका रानी चौधरी دیویکا رانی۔ भारतीय सिनेमा की पहली महिला अभिनेत्री, जो 1930 से लेकर 1940 तक के दशक में हिंदी फिल्मों में काम किया था। उन्होंने अपने 10 वर्षों के फ़िल्मी सफर में कई सारी ब्लॉकबस्टर फ़िल्में दी थी।
एक धनी अंग्रेज़ भारतीय परिवार की बेटी देविका, नौ साल की उम्र से इंग्लैंड के बोर्डिंग स्कूल मे पढ़ाई करके और एक आधुनिक परिवेश में पली -बडी देविका, भारत आने के बाद फ़िल्मी दुनिया से जुड़ गयी और उनकी और अशोक कुमार की जोड़ी उस समय की सबसे सुपर हिट जोड़ी बनी।
देविका के पिता कर्नल डॉ मनमथनाथ चौधरी ,मद्रास प्रेसीडेंसी के पहले भारतीय सर्जन-जनरल थे। और उनकी माता लीला देवी चौधरी रवींद्रनाथ टैगोर की भतीजी थीं।
1928 में देविका लंदन में हिमांशु राय से मिली, जो अपनी एक फिल्म की शूटिंग कर रहे थे , और देविका के कौशल से प्रभावित होकर उन्होंने देविका को कॉस्ट्यूम डिजाइनिंग के लिए नियुक्त किया और बाद में यह साथ दोनों के लाइट जीवन साथी के रूप में बदल गया और 1929 में दोनों ने विवाह कर लिया।
विवाह के बाद दोनों के भारत लौटने के बाद हिमांशु ने कर्मा नामक फिल्म का निर्माण शुरू किया और ययह फिल्म देविका के फ़िल्मी सफर की शुरुवात बनी और यह शुरुवात बहुत बड़ी सुपरहिट फिल्म साबित हुयी , देश में ही नहीं बल्कि अंतराष्टीय स्तर पर भी देविका को बहुत प्रसिद्धि मिली।
यह फिल्म हिमांशु और देविका की पहली बोलती फिल्म थी और इसको यूनाइटेड किंगडम और यूरोप में बहुत सराहा गया। देविका ने इस फिल्म में एक गाना भी गाया है, जो अंग्रेजी और हिंदी में एक द्विभाषी गीत है। इस गाने को बॉलीवुड का पहला अंग्रेजी गाना कहा जाता है।
उसके बाद देविका ने अपने 10 वर्षों के सफर में कई सुपरहिट फिल्मे दी और उनकी अदाकारी का लोहा देश में ही नहीं विदेशों में भी माना गया। सुपरहिट फ़िल्मी जोड़ियों में देविका और अशोक कुमार की जोड़ी को सबसे जयादा पसंद आज भी किया जाता है।
1940 में हिमांशु की मृत्यु के बाद देविका ने अपने पति हिमांशु का पूरा काम संभाला और 5 साल बाद उन्होंने स्वेतोस्लाव रोएरिच से विवाह किया।
🎞️Films
कर्मा (1933), जवानी की हवा (1935), ममता और मियां बीवी (1936), जीवन नैया (1936), जन्मभूमि (1936), अछूत कन्या (1936), सावित्री (1937), जीवन प्रभात (1937), इज्जत (1937), प्रेम कहानी (1937), निर्मला (1938), वचन (1938), दुर्गा (1939), अंजान (1941), हमारी बात (1943)
देविका की ज्यादातर फिल्में दुखद रोमांटिक ड्रामा थीं जिनमें सामाजिक विषय भी शामिल होते थे।