गुरुदत्त, वहीदा से बेपनाह मुहब्बत करते थे। उनके बैनर की हर फिल्म में वहीदा के अलग से खासतौर पर दृश्य लिखे जाते थे। बिना वहीदा के गुरुदत्त फिल्म की कल्पना भी नहीं करते थे। फिल्म का निर्देशक कोई हो, अगर दृश्य में वहीदा है तो उसका निर्देशन वह खुद करते थे।
गुरुदत्त की पत्नी गीता दत्त की जिंदगी में एक आकर्षक पाकिस्तानी युवक आ गया था। गीता की मुलाकात उससे लंदन में हुई थी।
गुरुदत्त फिल्म्स' के सेट्स पर वहीदा का मेकअप रूम गुरुदत्त के मेकअप रूम के साथ लगा हुआ था। इन दोनों कमरों के सामने एक और कमरा था, जो दत्त और वहीदा के कमरों को ढक सा लेता है। यहां तक कि अगर वहीदा किसी दूसरे बैनर के तले भी काम कर रही हो थीं तब भी वह दत्त फिल्म्स के मेकअप रूम का ही उपयोग करती थीं।
एक दिन वहीदा जब अपने मेकअप रूम में आ रही थीं तो अचानक ही दत्त के विश्वसनीय, रतन ने यह कहते हुए उनका रास्ता रोक दिया कि मेकअप रूम में अब उनका प्रवेश वर्जित है। रतन इसका कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया। अगले दिन जब फिर वही वाकया हुआ तो वहीदा रोते हुए वहां से चली गईं। गुरुदत्त ने वहीदा रहमान को ठुकरा दिया।
सर्वविदित है गुरुदत्त, वहीदा से बेपनाह मुहब्बत करते थे। उनके बैनर की हर फिल्म में वहीदा के अलग से खासतौर पर दृश्य लिखे जाते थे। बिना वहीदा के गुरुदत्त फिल्म की कल्पना भी नहीं करते थे। फिल्म का निर्देशक कोई हो, अगर दृश्य में वहीदा है तो उसका निर्देशन वह खुद करते थे।
वहीदा रहमान के बहनोई रउन ने तो यहां तक कहा था गुरुदत्त धर्म बदलकर वहीदा से शादी के लिए भी तैयार हो गए थे। फिर ऐसा क्या हुआ, क्यों गुरुदत्त ने उन्हें बेदखल कर दिया, इसके बारे में किताब 'टेन ईयर्स विद गुरुदत्त' में उनके दोस्त अब्रार आल्वी विस्तार से बताते हैं।
बात उन्हीं दिनों की है जब भारत में गुरुदत्त के मुसलमान बनकर वहीदा से शादी की चर्चाएं जोरों थीं और दत्त की पत्नी गीता लंदन में थीं। उन्हें जल्द ही घर लौटना था, लेकिन वह घर लौटने के बजाय अपने कश्मीर स्थित घर चली गईं। दिन हफ्तों में तब्दील हो गए पर गीता घर वापस आने का नाम ले रही थीं। जब दत्त का धीरज जवाब देने लगा तो उन्होंने गीता के ऊपर वापस आने की लिए दबाव डालना शुरू किया।
जवाब में गीता ने यह संदेश भोजा कि घोड़े से गिर जाने के कारण उनके कंधे में चोट आ गई थी और अगले कुछ हफ्तों वह किसी तरह की यात्रा नहीं कर पाएंगी। अब्रार बताते हैं कि गुरुदत्त एक संवेदनशील पति थे, उन्हें तुरंत गीता के स्वास्थ्य को लेकर चिंता होने लगी। खुद बुरी तरह से काम में व्यस्त होने कारण उन्होंने अपने सहायक श्याम कपूर को कश्मीर भेजा। लेकिन कश्मीर जाकर कुछ और ही देखने को मिला।