Naushad and Mahboob Khan

महबूब खान ने नौशाद की गर्दन पकड़ी और उन्हें अपने कैमरे से दूर खींचकर बोले,"तुम बस पेटी बजाओ। ये तुम्हारा काम नहीं है।" नौशाद ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, हुजूर मैं जानता हूं कि ये आपका काम है मेरा नहीं। ऐसे ही संगीत मेरा काम है आपका नहीं।" ये घटना हुई थी फिल्म अनमोल घड़ी के बड़े ही मशहूर गीत 'जंवा हैं मोहब्बत। हंसी है ज़माना' के पिक्चराइज़ेशन के दौरान। 
   
            हुआ कुछ यूं था कि 1946 की अनमोल घड़ी फिल्म की मेकिंग के दौरान ही नौशाद और महबूब खान की पहली मुलाकात हुई थी। नौशाद उस वक्त कारदार प्रोडक्शन्स में नौकरी कर रहे थे। उस वक्त नौशाद लोकप्रियता की तरफ बढ़ना शुरू ही हुए थे।

महबूब खान ने जब अनमोल घड़ी फिल्म पर काम शुरू किया तो उन्होंने ए.आर.कारदार से परमिशन लेकर नौशाद को इस फिल्म का संगीत कंपोज़ करने की ज़िम्मेदारी दी। नौशाद ने अनमोल घड़ी के लिए जो सबसे पहला गीत कंपोज़ किया था वो था 'जंवा हैं मोहब्बत। हंसी है ज़माना।' इस गीत को नूरजहां ने गाया था। और चूंकि नूरजहां इस फिल्म में एक्टिंग भी कर रही थी तो ये गीत उन्हीं पर पिक्चराइज़ भी होना था। नौशाद ने जब इस गीत की अच्छी तरह से रिहर्सल कर ली तो एक दिन महबूब खान गाना सुनने स्टूडियो आए। नौशाद ने एकदफा फिर से नूरजहां से वो गीत गवाया ताकि महबूब खान गीत को सुन सकें।

गीत पूरा सुनने के बाद महबूब खान ने नौैशाद को उसमें कई बदलाव बता दिए। नौशाद को महबूब खान की कही वो बातें तब अच्छी तो नहीं लगी। लेकिन वो कुछ बोले नहीं। उन्होंने महबूब खान के बताए मुताबिक गीत में बदलाव कर दिए। कुछ दिन बाद नौशाद ने अनमोल घड़ी का दूसरा गाना भी पूरा कर लिया। और फिर वो स्टूडियो जाकर महबूब खान से मिलकर बोले कि दूसरा गाना भी तैयार हो गया है। आप उसे सुन लीजिए और देख लीजिए आपको अच्छा लगता है कि नहीं। महबूब खान बोले कि अभी रुको। मैं फिलहाल शॉट ले रहा हूं। ये पहले वाले गीत का ही पिक्चराइज़ेशन चल रहा है।

तब नौशाद ने महबूब खान से कहा कि क्या मैं भी कैमरे में झांककर देख सकता हूं। महबूब खान बोले,"हां हां, क्यों नहीं। तुम्हारे ही गाने का पिक्चराइज़ेशन चल रहा है। ज़रूर देखो।" नौशाद ने कुछ सेकेंड्स के लिए कैमरे में देखा और फिर वो महबूब खान से बोले, "मेरे ख्याल से आपको वो तस्वीर बाएं से दांयी तरफ कर लगवानी चाहिए। और दांयी तरफ की लाइट बुझाकर आपको बांयी तरफ वाली लाइट जलवा देनी चाहिए।" नौशाद की ये बात सुनकर महबूब खान ही नहीं, वहां मौजूद हर इंसान हैरान रह गया। कोई महबूब खान से ऐसी बात करे ये किसी ने सोचा भी नहीं था। महबूब खान वैसे भी अपने गुस्से के लिए मशहूर थे।

तब महबूब खान ने नौशाद की गर्दन पकड़कर उन्हें कैमरे से दूर खींचा था और कहा था,"तुम बस पेटी बजाओ। ये तुम्हारा काम नहीं है।" और नौशाद ने महबूब खान को जवाब दिया था कि मैं जानता हूं ये मेरा काम नहीं है। ये आपका काम है। ऐसे ही संगीत आपका काम नहीं है। संगीत मेरा काम है। नौशाद की ये बात सुनकर महबूब खान को समझ में नहीं आया कि वो उन्हें क्या जवाब दें। कुछ देर चुप रहने के बाद महबूब खान बोले,"मैं तुम्हें जवाब ज़रूर दूंगा। पहले मैं ये शॉट पूरा कर लूं।" उस समय तो नौशाद को थोड़ा डर लगा कि पता नहीं महबूब खान उनसे क्या कहेंगे। 

शॉट कंप्लीट करने के बाद महबूब खान नौशाद के पास आए और पूछा कि क्या आप दूसरे गाने के बारे में यहां बताने आए थे? नौशाद बोले,"जी हां। वो गाना भी तैयार है। आप उसे सुनिए और अपनी राय दीजिए।" महबूब खान मुस्कुराकर नौशाद से बोले,"वो तुम्हारा काम है। मेरा नहीं है। तुमने फाइनल कर दिया तो बस हो गया।" उस दिन के बाद फिर कभी दोबारा महबूब खान ने नौशाद के किसी गाने में कोई कमी नहीं निकाली। यहां तक कि वो रिकॉर्डिंग में भी कई दफा मौजूद नहीें रहते थे। और नौशाद साहब ने भी महबूब खान को कभी निराश होने का मौका नहीं दिया।

आज महबूब खान की पुण्यतिथि है। 28 मई 1964 को महबूब खान जी का देहांत हुआ था। 

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