Music Director Vinod

𝐕𝐢𝐧𝐨𝐝 (𝐌𝐮𝐬𝐢𝐜 𝐂𝐨𝐦𝐩𝐨𝐬𝐞𝐫)
Born-28 𝑀𝑎𝑦 -1922
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''लारा लप्पा लाई रखदा '' वाला गीत वाला संगीतकार… विनोद
हिन्दी फिल्मों के सुरीले सफर में विनोद नाम का एक ऐसा संगीतकार भी था जो महज 13 साल तक फिल्मों में सक्रिय रहा और सिर्फ साढ़े सैंतीस की उम्र में दुनिया छोड़ गया......... इस लगभग गुमनाम संगीतकार का एक गीत ‘लारा लप्पा लारा लप्पा लाई रखदा, अड्डी टप्पा अड्डी टप्पा लाई रखदा'…आज भी उनकी याद दिलाने के लिए पर्याप्त है....

हिन्दी फिल्म-संगीत को अपने सुरों से सुशोभित करने वाले विनोद का असली नाम 'एरिक रॉबर्ट्स' था ........28 मई, 1922 को लाहौर के एक ईसाई परिवार में जन्मे विनोद जन्म से ही अत्यंत प्रतिभावान गायक व संगीतकार थे मात्र 17 वर्ष की उम्र में उन्होंने अपना एक रिकॉर्ड ‘सामने आएगा कोई, जलवा दिखाएगा कोई’ रिलीज कर दिया था विनोद उस दौर के सुप्रसिद्ध संगीतकार पंडित अमरनाथ के शिष्य और सहयोगी थे यह वही पंडित अमरनाथ थे जिनके दो भाई हुस्नलाल-भगतराम भी हिन्दी फिल्मों से बतौर संगीतकार जुड़े........ 

विनोद को बचपन से ही हिन्दू पंजाबी परिवारों में होने वाली शादियों में गाये जाने वाले लोक गीत बहुत प्रभावित करते थे इसलिए उनके संगीत में आप इसकी झलक देख सकते है एक संगीतकार के रूप में विनोद के लिए पंजाबी फिल्मों में हिंदी गाने और हिंदी फिल्मी गानों में पंजाबी गाने के बोल डालना आम बात थी 1948 में विनोद ने 3 हिन्दी फिल्मों ‘खामोश निगाहें’, ‘पराए बस में’ और ‘कामिनी’ में संगीत दिया लेकिन ये तीनों फिल्में बॉक्स ऑफिस पर सफल न हो सकीं फिर 1948 में उन्होंने एक पंजाबी फिल्म ‘चमन’ में संगीत दिया जिसमें लता मंगेशकर के गाए तीन पंजाबी गीत थे और ये तीनों ही बेहद लोकप्रिय हुए..

मौहम्मद रफी का गाया कांगड़ा की पहाड़ी लोक-धुन पर आधारित गीत ‘लारा लप्पा लारा लप्पा लाई रखदा…’ खूब चला यहां तक कि इस गीत को पर्दे पर गाने वाली अभिनेत्री मीना शौरी तो ‘लारा लप्पा गर्ल’ के नाम से ही मशहूर हो गई थीं इसी फिल्म के एक गीत ‘दिल्ली से आया भाई पिंगू…’ में खुद विनोद भी पर्दे पर नजर आते हैं। विनोद ने शीला बैट्टी से शादी की थी जिसके बाद वह लाहौर से दिल्ली आ गए इसके बाद वह बंबई जा पहुंचे जहां उन्होंने ‘अनमोल रतन’(1950), ‘वफा’ (1950-संगीतकार बुलो सी रानी के साथ), ‘मुखड़ा’ (1951), ‘सब्जबाग’ (1951), ‘आग का दरिया’ (1953), ‘लाड़ला’ (1954), ‘ऊटपटांग’ (1955), ‘मुमताज महल’ (1957) जैसी कई फिल्मों में सुंदर एवं श्रेष्ठ संगीत दिया
उन्होंने कुल 32 फिल्मों (27 हिन्दी और 5 पंजाबी) में संगीत देने के अतिरिक्त कुछ गैर-फिल्मी गीतों की धुनें भी बनाईं। विनोद के संगीत का एक विशिष्ट पहलू उनका हिन्दी फिल्मों में पंजाबी गीत व पंजाबी फिल्मों में हिन्दी गीत देना था ऐसे गीतों में हिन्दी फिल्म ‘सब्जबाग’ (1951) में लता का गाया पंजाबी गीत ‘नी मैं कैंदी रह गई…’ और पंजाबी हिट फिल्म ‘मुटियार’ (1951) में तलत द्वारा गाई यादगार गज़ल ‘ऐ दिल मुझे जाने दे, जिस राह पे जाता हूं…’ उल्लेखनीय हैं..

37 साल की उम्र में जंग लगे रेजर ब्लेड से शेविंग करने पर विनोद को टिटनेस हो गया था जो उनकी मौत का कारण बना जब उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया तब तक उनकी बीमारी का इलाज संभव नहीं था और वह कोमा में चले गए और 25 दिसंबर 1959 को उनकी मौत हो गई .... 

आज संगीतकार विनोद की 102वी जन्म जयंती है ..

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पवन मेहरा
'सुहानी यादे बीते सुनहरे दौर की '✍️
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