Singer and PoetTansen

संगीत सम्राट तानसेन की कविताई /

ग्वालियर के मुहम्मद गौस और वृंदावन के स्वामी हरिदास के शिष्य, सम्राट अकबर के दरबारी गायक और उनके नवरत्नों में से एक संगीत सम्राट तानसेन हमारे भारतीय शास्त्रीय संगीत के शिखर पुरुषों में एक रहे हैं।
 मध्यकालीन ऐतिहासिक दस्तावेज़ उनकी गायन प्रतिभा के उल्लेखों से भरे पड़े हैं। 'आईने अकबरी' के लेखक इतिहासकार अबुल फज़ल ने उनके बारे में कहा है - 'पिछले एक हज़ार सालों में उनके जैसा गायक नहीं हुआ।' उनके गहरे मित्र और प्रशंसक भक्त कवि सूरदास ने उनके बारे में लिखा है - भलो भयो विधि ना दिए शेषनाग के कान / धरा मेरू सब डोलते तानसेन की तान ! तानसेन का सांगीतिक व्यक्तित्व कुछ इतना बड़ा था कि उसके पीछे उनके व्यक्तित्व के दूसरे तमाम पहलू ओझल हो गए। बहुत कम लोगों को पता है कि ग्वालियर के पास एक छोटे-से गांव बेहट के चरवाहे से सम्राट अकबर के दरबार के प्रमुख गायक के ओहदे तक पहुंचे तानसेन अपने समय के एक बेहतरीन कवि भी थे। रसखान की तरह कृष्ण की भक्ति में आकंठ डूबे हुए कवि । 

ज्यादातर  इतिहासकार तानसेन के  बहुआयामी व्यक्तित्व को उद्घाटित करने के बजाय उनकी धार्मिक आस्था के विवाद में ही उलझे रहे हैं। उनके कवि व्यक्तित्व के बारे में इतिहासकारों और साहित्य के आलोचकों द्वारा भी नहीं के बराबर लिखा गया। इसकी एक वजह शायद यह है कि कविकर्म तानसेन की महत्वाकांक्षाओं में शामिल नहीं  रहा था। वे स्वान्तःसुखाय ही लिखते थे और आमतौर पर अपनी ही लिखी बंदिशें ही गाते थे। उनकी कविताओं का विषय उस दौर के दूसरे कवियों की तरह भक्ति होती थी। कृष्ण उनके प्रिय पात्र थे। कृष्ण के प्रति उनकी श्रद्धा और समर्पण को उस काल के अन्य कृष्णभक्त कवियों के समकक्ष रखकर देखा जा सकता है। उनकी काव्य कृतियों के नाम थे - रागमाला, संगीतसार और गणेश स्रोत्र। 'रागमाला' में उन्होंने कुछ दोहे भी लिखे थे जिनमें से एक बड़ा प्रसिद्द दोहा देखिए - सुर मुनि को परनायकरि, सुगम करौ संगीत / तानसेन वाणी सरस जान गान की प्रीत। तानसेन द्वारा रचित ज्यादातर पद और दोहे अब विलुप्तप्राय हैं, लेकिन उनके कुछ पद संगीत की पुरानी किताबों में  अब भी सुरक्षित हैं। तानसेन के एक पद से आज आप भी रूबरू होईए !

चरन-सरन ब्रजराज कुंवर के 
हम विधि-अविधि कछ नहिं समुझत, रहत भरोसे मुरलीधर के। 
रहत आसरे ब्रज मंडल में, भुजा छांह तरुवर गिरधर के। 
तानसेन के प्रभु सुखदायक, हाथ बिकाने राधावर के।
by- Dhruv Gupta  from FB

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