Reshama Singer

पाकिस्तानी लोक गायिका रेशमा जो जन्मी तो राजस्थान के बंजारा परिवार मे थी मगर बँटवारें के समय उनका परिवार पाकिस्तान चला गया । रेशमा अशिक्षित थी मगर पंजाबी गायिकी मे उनका कोई तोड़ नही था ।

एक बार पाकिस्तानी टी०वी० पर पाकिस्तानी दर्शकों ने रेशमा को लेकर खूब ख़त लिखे जिसमे उन्होंने रेशमा से उर्दू गज़ल गवाने की सिफारिश की !
पाकिस्तानी टी०वी० ने भी अपने दर्शकों का दिल रखने के लिए रेशमा से बात की तो रेशमा ने उर्दू में गाने से मना कर दिया क्योंकि जिस बंजारा समुदाय से आती थी उनकी स्वाभाविक बोली बिल्कुल उर्दु के उल्ट थी. कराची टी०वी० जब गजल गाने की मिन्नते की तो रेशमा तैयार हो गई मगर दिक्कत यह थी कि वह पढ़ नही सकती थी और उसकी बोली ठेठ पंजाबी और राजस्थानी थी जो उसके स्वभाव में थी । अब एक आदमी उन्हे बोल बोल कर याद कराता था मगर वह कई दिनों तक एक उर्दु शब्द शुगुफ़्ता नही बोल पाई !
जैसे तैसे उन्हे गाने के लिए तैयार किया गया और जब रिकॉर्ड का वक्त आया तो उनसे कहा गया कि रिकॉर्ड मे आप अपना लोकल पहनावा (घाघरा चोली ) नही पहन सकते । आप गज़ल गा रही है इसलिए आपको साड़ी पहननी पड़ेगी । अब मरता क्या ना करता । साड़ी पहनाने के लिए एक औरत बुलाई गई और तब जैसे तैसे गज़ल रिकॉर्ड की गई । 
इसके बाद रेशमा गजल गाने से बचती रही ।
इलिट क्लास की अपनी एक भाषा होती है और अपना अलग एक पहनावा होता है जिसको प्रगतिशीलता कहा जाता है उसकी नकल उससे नीचे के तबके करते है और जब नीचे का तबका इलीट क्लास का पहनावा और भाषा अपना लेता है तो इलीट क्लास उसे छोड़ देता है ।
पाकिस्तान और भारत मे जब औरतें अपना लोकल पहनावा ( बुर्का, लहगां, कमीज, सलवार ) पहनती थी तब दोनो देशों में के इलीट वर्ग (रजवाड़े आदि ) मे साड़ी फ़ैशन, प्रगतिशील और आधुनिकता की पहचान बताई जाती थी ।
 जब दोनों देशों के लोग अपनी लोकल बोलियाँ बोलते थे तब उर्दु और हिंदी बोलना इलीट क्लास के लिए प्रगतिशील और आधुनिक फ़ैशन हुआं करता था । मगर जैसे ही इन्हें लो क्लास ने अपनाया तो इलीट क्लास का फ़ैशन प्रगतिशीलता मानक स्कर्ट से लेकर बिकनी हो गया और फर्राटेदार अंग्रेज़ी इनकी पहचान हो गई । जिसे कुछ वर्षों मे लो क्लास फिर अपना लेगा और इलीट क्लास फिर अलग दिखने के लिए कुछ अलग करेगा ।

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