Kalpana

ये एक खूबसूरत हीरोइन के दर्दनाक अंत की कहानी है। ये उस हीरोइन की कहानी है जिस पर कभी कई हीरो जान छिड़कते थे। जिसके लिए हीरो लड़ पड़ते थे। लेकिन ज़िंदगी के आखिरी सालों में बेचारी को बहुत तकलीफों से रूबरू होना पड़ा। ये कहानी है एक्ट्रेस कल्पना मोहन की। आज कल्पना मोहन का जन्मदिवस है। 18 जुलाई 1946 को श्रीनगर में कल्पना मोहन जी का जन्म हुआ था। साल 1962 में आई प्यार की जीत कल्पना मोहन की पहली फिल्म थी। उसके बाद नॉटी बॉय में कल्पना मोहन किशोर कुमार के साथ कॉमेडी करते दिखी। इसी साल यानि 1962 में ही कल्पना मोहन की तीसरी फिल्म आई प्रोफेसर, जिसमें ये शम्मी कपूर के अपोज़िट दिखी थी। 
कहा जाता है कि शम्मी कपूर इन्हें पसंद करने लगे थे। इनके चक्कर में वो फिरोज़ खान से हाथापाई कर बैठे थे। लेकिन बाद में इनसे संग शम्मी कपूर की बात बिगड़ गई। और शम्मी कपूर ने कल्पना मोहन जी के साथ फिर से काम करने से इन्कार कर दिया। इन्कार किया तो किया, ये भी कह दिया कि कल्पना मोहन तो सनकी है। शम्मी कपूर द्वारा सनकी कहे जाने से इनके करियर को काफी नुकसान हुआ था। कई हीरोज़ ने इनके साथ काम करने से मना कर दिया था। कल्पना मोहन का करियर सिर्फ दस साल ही चल सका। और इन दस सालों में उन्होंने बहुत कम फिल्मों में काम किया। इनकी सबसे सफल फिल्म थी देव आनंद के साथ 1965 में आई तीन देवियां।

कहते हैं कि कल्पना मोहन की दमदार स्क्रीन प्रज़ेंस उस वक्त की हीरोइनों के लिए खतरना बन गई थी। इसलिए इनके खिलाफ साजिशें भी होने लगी थी। कल्पना मोहन के एक ट्रेेंड कत्थक डांसर थी। उनका असली नाम अर्चना था। और उनके पिता अवनी मोहन स्वंतत्रता सेनानी थे और देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित नेहरू से उनकी अच्छी जान-पहचान थी। कई दफा कल्पना मोहन जी को राष्ट्रपति भवन में होने वाले कार्यक्रमों में कत्थक की प्रस्तुति देने के मौके मिले थे। जब ये फिल्मी दुनिया में आई थी उससे पहले ही इन्होंने अपना नाम अर्चना से बदलकर कल्पना कर लिया था।

निजी जीवन में भी कल्पना जी को बहुत मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। करियर खत्म होने की वजह से जब कल्पना मोहन डिप्रेशन में जाने लगी थी तब इनकी मुलाकात नामी फिल्म लेखक सचिन भौमिक जी से हुई। दोनों में इश्क हुआ और जल्द ही दोनों की शादी भी हो गई। लेकिन शादी चल ना सकी। और तलाक भी जल्द ही हो गया। बाद में कल्पना जी ने एक नेवी अफसर से शादी की थी। उनसे कल्पना जी को एक बेटी हुई थी। मगर बाद में उनके साथ भी कल्पना का विवाद रहने लगा। एक इंटरव्यू में कल्पना मोहन ने कहा था कि उनके ससुर उन पर बंगला पति के नाम करने का दबाव डालते थे। जबकी वो बंगला उन्होंने अपनी कमाई से खरीदा था। उन्होंने जब ऐसा करने से मना कर दिया था तब दूसरे पति ने भी 1972 में उन्हें तलाक दे दिया।

जिस वक्त दूसरे पति से कल्पना का तलाक हुआ था तब उनकी बेटी काफी छोटी थी। कल्पना बेटी को लेकर पुणे शिफ्ट हो गई। बेटी जब बड़ी हुई तो इन्होंने उसकी शादी कर दी। बेटी पति के साथ अमेरिका सेटल्ड हो गई। कल्पना पुणे में अकेले रह गई। बुढ़ापे में कुछ भूमाफियाओं ने पुणे की इनकी 140 एकड़ ज़मीन हथियाने की कोशिश की थी। ऐसे में कल्पना जी को कई दिन थाना-कचहरी के चक्कर लगाने पड़े थे। कुछ लोग कहते हैं कि बेटी ने बुढ़ापे में इन्हें अकेला व बेसहारा छोड़ दिया था। लेकिन वो बात एकदम गलत है। इनकी मर्ज़ी से बेटी अमेरिका गई थी। बुढ़ापे में ही कल्पना जी को लकवा भी मार गया था। साथ ही चेस्ट इन्फेक्शन भी इन्हें हो गया था। पांच सालों तक बीमारी से लड़ने के बाद आखिरकार 04 जनवरी 2012 को 65 साल की उम्र में कल्पना मोहन जी का निधन हो गया।

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