Moti BA, Aakhar 2003, 01August

सरकार ना, भिखारी ठाकुर भोजपुरी के झण्डा फहरवले । सरकार रचना ना करी साहित्यकार रचना करी ।

- मोती बीए
[ बालीउड में सबसे पहिला भोजपुरी गीतकार । भोजपुरी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार आ साहित्य अकादमी के ओर से भाषा सम्मान से सम्मानित साहित्यकार रहनी मोती बी ए जी । ]
मोती बीए :हिंदी सिनेमा में पहिला भोजपुरिया गीतकार : जयंती विशेष 

जयंती -1 अगस्त 1919
पुण्यतिथि -18 जनवरी 2009

आखर परिवार , महान भोजपुरिया साहित्यकार, स्वतंत्रता सेनानी , गीतकार आ अध्यापक, मोती बीए जी के जयंती प बेर बेर नमन क रहल बा आ याद क रहल बा ।

जय जय भोजपुरिया माई
तोहरे खातिर गीत गवाई
तोहरे खातिर समर लिआई
कइसन होई भोजपुरिया ऊ
जे ना तोहके माथ नवाई
जय जय भोजपुरिया माई
जय जय भोजपुरिया माई

- मोती बीए

हिंदी फिल्म ' नदिया के पार ' के गीतन के गीतकार , भोजपुरी क्षेत्र से हिन्दी फिल्म इंडस्ट्री के पहिला गीतकार ( 1946 ) रहनी मोती बीए जी ।

कालिदास के महत्वपुर्ण रचना मेघदुत के भोजपुरी अनुवाद कइले बानी , शेक्सपियर के ' सानेट' आ अब्राहम लिंकन के जीवनी के भोजपुरी अनुवाद कइले बानी । 1942 से 1952 के बीच तकरीबन 80 से बेसी फिल्म के गीत लिखले रहनी आ अधिकतर गीतन के तजुर्मा आ ओकर बेस भोजपुरी रहे ।

मोतीलाल उपाध्याय से मोती बीए के सफर बहुत रोमांचक आ दृढ निश्चय वाला व्यक्तित्व के रहल बा । विद्यार्थी जीवन से साहित्य में रुचि फेरु , स्वतंत्रता सेनानी , अध्यापक , गीतकार , साहित्यकार , रचनाकार , प्रधानाध्यापक , अनुवादक यानि कि अनेकन रोल आ रियल जिनगी के रोल निबहले बानी मोती बीए जी । बरेजी गांव के एह शिक्षक के 1980 में राज्यपाल के हाँथे सर्वश्रेष्ठ शिक्षक आ 2001 में राष्ट्रपति के हाँथे साहित्य अकादमी पुरस्कार मिले के गौरव मिल चुकल बा ।

1943 में अंग्रेज सरकार इहाँ के जेल में बंद कइले रहे । देस के आजादी से ले के , देस के भविष्य निर्माण, मनोरंजन , साहित्य यानि कि लगभग हर क्षेत्र में मोती बी ए जी अपना समय से दू डेग रहनी ।
आखर परिवार अपना एह साहित्यिक सांस्कृतिक नायक के, स्वतंत्रता सेनानी के बेर बेर नमन क रहल बा।

भोजपुरी साहित्यांगन प, इहां के लिखल 6 गो किताबिन के सूची जवना के रउवा सभ फ्री में साहित्यांगन प पढ सकेनी आ ओजुगा से डाउनलोड क सकेनी ।

भोजपुरी किताब -

1- तुलसी रसायन
2- सानेट
3- भोजपुरी फिल्मी गीत
4- सेमर के फूल
5- अब्राहम लिंकन
6- कालिदास कृत मेघदूत ( भोजपुरी पद्यानुवाद)

मोती बी ए. जी के लिखल 15 गो कविता /गीत पढीं -

1-

हमरे मन में दुका भइल बाटे
चोर कवनो लुका गइल बाटे

कुछ चोरइबो करी त का पाई
दर्द से दिल भरल पुरल बाटे

आँखि के लोरि गिर रहल ढर ढर
फूल कवनो कहीं झरल बाटे

सुधा ढरकि गइल त का बिगड़ल
हमके पीए के जब गरल बाटे

दर्द दिल के मिटे के जब नइखे
चोर झुठहू लगल - बझल बाटे

2-

जइसन अंजोरिया तहार हे भईया
ओइसने अंजोरिया हमार ह।

झारल-बहारल टीकूर आ चीकन
चनन्न छिरिकिला से लागत बा नीमन
पूजा का चउका निअर बलि बेदी
आहुति से महके दुआर ले आंगन
जवन डहरिया तोहार ए भईया
उहे डहरिया हमार ह ।

बडहन तपस्या से ई दिन भेटाईल
नगर नगर गांव गांव नेवता दिआईल
सोहर आ झुमर आ कजरी गवाईल
आजू फेन पोथी पुरनका खोलाईल

जवने अछरिया तोहार ए भईया
उहे अछरिया हमार ह ।

इहे अछरिया नू बरम्हा कहाला
सबके करमवा बिधान बनि जाला
एक-एक जिउवा के लागे ठेकाना
ई बात कहला से कबो ना ओराला

जवन मंजलिया तोहार हो भईया
उहे मंजलिया हमार ह ।

मिल-जुल अन्हरिया के होली जरवली
क्रांति के लुकारी सरेहे जरवली
खून आ पसेना क लोना बनवली
ओकरा प अंसुअन क दीआ सजवली

जवन ललसवा तोहार हो भईया
ऊहे ललसवा हमार ह ।

3- भोजपुरी माटी

गोबर के ह गणेश त माटी के शिव हवे
अइसन जो न रहे त मटियामेट हो जाई

रउराँ रहीं उजागर, माटी रहे ई उरबर
मटियो के ए माटी से कबो भेंट हो जाई

माटी से दूर माटी कहिया ले रही सपकल
रउरे कृपा से माटी भरि पेट हो जाई

चाकी कोहार माटी भाषा के गढ़ल हउवे
रउरे बिना बतंगड़ सब ठेठ हो जाई

आसमान झुकी नीचे, धरती उड़ी अकासे
माटी जो बनल रही सरग हेठं हो जाई

माटी के करामात ह ई ‘भोजपुरी माटी’
अँटकल जो रही गटई के घेघ हो जाई

ई गजल त्रिकोणात्मक, रेखा ह सजी टेढ़
जो अरथ खोलि दीं त लउरि-लबेद हो जाई

4- छिंउकी

सेमर फुलाये
फर लागे
ठोरियावऽ सुगना
छितिर-बितिर पानी
तराइल ऊँट
बेंग, का ताकेलऽ?!
हर-फार-हेंगा-जुआठ
उठऽ-उठऽ-
काठ बलमू
भीत भहराए
छान्‍ही चुए
लइका सुताईं कहाँ !
जाँते में झींकि
लिलारे पसेना
आजु रोटी मिली
पानी छितराए
अरार टूटे
मन डूबे-डूबे
का हम खियाईं
आपन माँसु?
मुँआ द हमके!
ना खर ना पलानी
चान काटे चानी
भैने का माँगेलऽ?

5- " बेआन दू गो सखी के"

बेआन पहिला सखी के - मोर पिया आदमखोर
सुनु सजनी
ठाढ़े अदिमी चबाय
बेआन दुसरा सखी के - मोर पिया जाँगर चोर
सुनु सजनी
देखते अदिमी लुकाय
पहिलकी - जिनिगी भइल सखी
साँपे के बीअरि
गोंहुवन जेइ में समाय
फट कढ़ले गोंहुवन फुफुकारे
जब जब बहेला बतास
दूसरीकी - जिनिगी हमार सखी
जस मुसकइलि
मूस राम रहे छितराय
खाली रे बिअरिया के
फूटल करमवा जे
एगो साँप आवे एगो जाय।

6-"अझुरा"

अझुराई
तबे नू सझुराई
अझुरइबे ना करी कुछू
त कवन चीज केहू सझुराई!
जवन चीज कबों अझुरइबे ना करी
आ हरदम सझुरइले रही
त ओकर अझुराइल-सझुराइल बराबरे ह
ओकरा खातिर-अझुरा सझुराह, सझुरा अझुरा
जेइसने अझुराइल
ओइसने सझुराइल

7-" कवन गीत गाईं "

कवन गीत गाईं, कवन धुन सुनाई, पंचन के बीच
शब्द उहे, अर्थ उहे, भाव का बताई पंचन के बीच।
कवन गीत गाईं...
कवन रस बरिसो जवन बरिसाई
संसति के कइसे हम सन्स्कृति बनाई
निराधार जीवन के आधार खोजीं
बे पहिया के गाड़ी कइसे चलाई, पंचन के बीच।
कवन गीत गाईं...
मेघ राग गवला से बरिसेला पानी
पानी ना बरसे त सूखत किसानी
गीतिन के भीतर से धूँआ उठतबा
इन्द्रदेव के कवने विधि से मनाई, पंचन के बीच।
कवन गीत गाईं...
धाने के गोफा में बालि बा सकाइल
दूध बिना ओकर बा होठवा झुराइल
लोरि ढरकवला से होखे के का बा
देखि देखि आपन करेजा ठेठाई, पंचन के बीच।
कवन गीत गाईं...
नवकी बेराइटी के नाया नाया बीया
अँखुवाइल खेते में धरती के धीया
आँखी में चमकत बा सोना के सपना
प्रकृति साथ ना दी त व्यर्थ कुलकमाई, पंचन के बीच।
कवन गीत गाईं...
पंथ ह सनातन, पुरातन से जोरल
घीव में चभोरल आ मिसिरी के घोरल
होई विकास लागी सरगे से सीढ़ी
बालू में नाव चली, सागर में धाई, पंचन बीच।
कवन गीत गाईं...

8- अगोरिया

नीमन दिन के अगेरिया में
सगरे दिन बाउर हो गइले सँ
जिनिगी हेवान हो गइल
रासि के रासि
जब पइया निकालि गइल
त लेडुली ओसवला से
का होई
जीयत बटले बाड़
त छपटात काहे बाड़
अगोरत बटले बाड़
त रोवत काहें बाड़
नइख सुनले मिल्टन के
जे चुपचाप अगोरिया में रहेला
उहो भगवान के
सच्चा भक्त ह।

9- "केतना दुखाव"

केतनो दुखाव दुखात नइखे
चढ़ि जब आवता त जात नइखे
कहवाँ ले जाई ई बुझात नइखे
जाने पर जाई त जनात नइखे
नंगा बाटे एतना लुकात नइखे
हीत ह कि मुदई चिन्हात नइखे
एइसन अझुराइल सझुरात नइखे
सोझ टेढ़ कुछू फरियात नइखे
जो ई उपराई त तराई नाहीं
कबो जो तराई उपराई नाहीं
कवनो तरे राखीं एके रही नाहीं
पूछबो जो करी कुछू कही नाहीं।

10-"दुख - सुख"

दुख जो ढील दे दी
लगाम घींचले ना रही
त सुख
आदिमी के गड़हा में ढकेलि दी
तनी समुझा द उनके
जे जवानी के बाढ़ पर बा
कहिद अपना के रोकें
ना त
पता ना लागी
पताले चलि जइहें
उनही के जवानी उनके ताना मारी
केतनो जोर लगइहें
गड़हा में से निकलि ना पइहें
जहें के तहें सरि जइहें
दुख के संघति जो कइले रहितें
त उनके ई गति ना होइत
जवानी उतराए खातिर ना
बढ़िआए खातिर ना
गढुआए खातिर ह!
जो ढेर उड़िहें त
उनके सक्तिए
उनके ले बीती।

11- "ओके केहु का खोजी"

हमार एगो बहुत बाउर लति ई ह
कि हम केहू के रचना में अपनाके
खोजे लागीलें
जे हमके हमरा से भेट करा दे
उहे नू हमार हीत ह
एइसन हीत काँहाँ मिली
इहे हमार समस्या ह
हम ओही के खोज तानी
जे भेटात नइखे
ओके खोजत-खोजत
हम खुदे बिला गइल बानी
इ कविता ना ह
ई हमार गति ह
जुग जमाना अपने रंग में बाटे
आ हम अपने रंग में
जे खुदे बिला गइल बा
ओके केहू का बिलवाई।

12- "हमरे मन में"

हमरे मन में दुका भइल बाटे
चोर कवनो लुका गइल बाटे

कुछ चोरइबो करी त का पाई
दर्द से दिल भरल पुरल बाटे

आँखि के लोरि गिर रहल ढर ढर
फूल कवनो कहीं झरल बाटे

सुधा ढरकि गइल त का बिगड़ल
हमके पीए के जब गरल बाटे

दर्द दिल के मिटे के जब नइखे
चोर झुठहू लगल - बझल बाटे

13- "आस के एक दिया"

आस के एक दिया जवने तरे जरत बाटे
दिल के हसरत सजी ओही तरे मरत बाटे

एगो खाहिस रहे त दिल में हम रोलीं गालीं
मजार पर मजार परत दर परत बाटे

अपने हाथे से दिया आके जो बुता देते
एगो हसरत इहे दिल में मरत जियत बाटे

दिल के मालूम बा ई साँप ह रसरी ना ह
जानतो बा तबो ओही के उ धरत बाटे

हमरे जियला में भा मुअला में जब फरक नइखे
मूँगि छाती पर का रहि रहि के ऊ दरत बाटे

14- "जेतना सतावल चाहे"

जेतना सतावल चाहे ओतना सताले
चाहे मुआदे हमके चाहे जिया दे
मारे के बटले बा त जवनेंगा मार
अन्हे हटा के चाहे लगे बोला के
मुवही के बाटे हमके तोहरे गली में
चाहे हँसा के मार चाहे रोआ के
परदा में छिप के चाहे सूरति देखा के
मार पियासन चाहे पानी पिया के
आपन घर बाटे लूटे के अपने
लूट जरा के दीया चाहे बुता के

15- "मृग-तृष्णा"

नाचत बाटे घाम रे हिरन बा पियासा
जेठ के दुपहरी में रेत के बा आसा
रेतिया बतावे, दूर-नाहीं बाटे धारा
तनी अउरी दउर हिरना, पा जइब किनारा
पछुवा लुवाठी ले के चारों ओर धावे
रेतिया के भउरा बनल देहिया तपावे,
भीतर बा पियासि, ऊपर बरिसेला अंगारा। तनी....
फेड़ नाहीं, रुख नाहीं, नाहीं कहूँ छाया
कइसन पियासि विधिना काया में लगाया
रोंआ-रोंआ फूटे मुँह से फेंकेल गजारा। तनी....
खर्ह पतवार ले के मड़ईं छवावें
दुनिया के लोग दुपहरिया मनावें
मारल-मारल फीरे एगो जिउआ बेचारा। तनो....
तोहरो दरद दुनिया तनिको ना बूझे
कहेले गँवार तोहके झुठहूँ के जूझे
जवने में न बस कवनो ओ में कवन चारा। तनी....
दुनिया में केहू के ना मेहनति बेकार बा
जेही धाई, ऊहे पाई, एही के बाजार बा
छोड़ सबके कहल-सुनल आपन ल सहारा। तनी....

आखर परिवार अपना सुप्रसिद्ध साहित्यकार गीतकार, सेनानी आ शिक्षक के जयंती प बेर बेर नमन क रहल बा ।

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