"लोग मुझे माफ नहीं करेंगे अगर मैं गंगा को मैली कहूंगा तो। क्योंकि मैं ही हूं जो 'जिस देश में गंगा बहती है' नाम से एक फिल्म बना चुका है।" ये बात राज कपूर जी ने एक दफा संगीतकार रविंद्र जैन जी से कही थी। तब रविंद्र जैन जी ने उनसे कहा था,"राज साहब, राम तेरी गंगा मैली टाइटल को जस्टीफाई करने की ज़िम्मेदारी मैं लेता हूं।" फिर रविंद्र जैन ने राज कपूर को एक मुखड़ा गाकर सुनाया। वो मुखड़ा क्या था ये भी जानेंगे। और रविंद्र जैन जी ने उसे जस्टीफाई कैसे किया ये भी हमें पता चलेगा। लेकिन फिलहाल यहां से हमें कहानी को ज़रा फ्लैशबैक में ले जाना पड़ेगा। समय है साल 1975 का। ये वो साल था जब रविंद्र जैन की मुलाकात राज कपूर से हुई थी। ये कोई पहली मुलाकात नहीं थी राज कपूर से उनकी। पहली मुलाकात का किस्सा भी इस लेख में आगे पढ़ने को मिलेगा आपको। फिलहाल 1975 पर ही बने रहते हैं। रविंद्र जैन उन दिनों फिल्म "दो जासूस" का म्यूज़िक कंपोज़ कर रहे थे।
रविंद्र जैन ने कुछ गीत तैयार किए थे। वही गीत राज कपूर को सुनाने थे। "दो जासूस" में राज कपूर के साथ राजेंद्र कुमार जी भी थे। वो ही रविंद्र जैन को अपने साथ राज कपूर के आर.के.स्टूडियो ले गए थे। वहां रविंद्र जैन ने राज कपूर को वो गीत सुनाए। और सभी गीत राज कपूर को पसंद आए। उन्होंने कहा कि गीत बहुत अच्छे बने हैं। इन्हें रिकॉर्ड कर लीजिए। उसके बाद तो राज कपूर से रविंद्र जैन की फोन पर बात होने लगी। रविंद्र जैन उनसे कहते थे कि अपनी किसी फिल्म का संगीत तैयार करने का मौका भी कभी दीजिएगा मुझे। राज कपूर कहते कि तुम्हारे लायक जब भी मेरे पास काम होता, मैं खुद तुम्हारे पास आऊंगा।
कुछ महीनों बाद दिल्ली में एक शादी हुई। जिनके घर शादी हुई थी वो राज कपूर के भी दोस्त थे और रविंद्र जैन के भी दोस्त थे। यानि ये दोनों वहां मेहमान थे। वो इन दोनों के दोस्त बेटी की शादी थी। शादी में संगीत का प्रोग्राम भी रखा गया था। रविंद्र जैन जी ने भी उस प्रोग्राम में एक गीत गाया। वो गीत उन्होंने काफी पहले लिखा था। गीत के बोल थे एक राधा एक मीरा। शादी का वो प्रोग्राम तीन दिन चला। तीनों दिन राज कपूर और रविंद्र जैन की मुलाकात हुई। रविंद्र जैन के साथ उनकी पत्नी दिव्या जी भी थी। एक दफा राज कपूर ने दिव्या जी से पूछा कि ये गाना आप लोगों ने किसी और को देने की बात तो नहीं की है ना? रविंद्र जैन को भी पता चला कि राज कपूर उस गाने के बारे में पूछताछ कर रहे हैं।
रविंद्र जैन ने सोचा कि जाने इस एक गीत का राज कपूर क्या करेंगे? उन्होंने राज कपूर को बताया कि अभी इस गीत के बारे में किसी से बात नहीं हुई है। राज कपूर ने तुरंत सवा रुपए रविंद्र जैन को पेशगी देते हुए कहा,"ये गीत मेरा हुआ। इसे मेरे लिए रखो।" बॉम्बे लौटने के बाद एक दिन राज कपूर ने रविंद्र जी को बताया कि इस दफा मैं अपनी जन्मदिन पार्टी पूना में करूंगा। उन्होंने रविंद्र जैन को भी पार्टी में आने का न्यौता दिया। रविंद्र जी को लगा कि शायद वहां राज कपूर उनसे काम के बारे में कुछ बात करेंगे। वो अपनी पत्नी दिव्या जैन संग राज कपूर की पार्टी में शरीक होने पूना गए। लेकिन पार्टी में राज कपूर ने काम के बारे में उनसे कोई बात नहीं की।
अगले दिन जब राज कपूर और रविंद्र जैन शाम की चाय साथ पी रहे थे तब राज कपूर ने रविंद्र जैन से एक बात बताई। राज कपूर ने रविंद्र जैन से कहा,"मेरे पास अभी कोई कहानी तो नहीं है। लेकिन एक एक छोटा सा आईडिया है। रामकृष्ण परमहंस जी को तोतापुरी महाराज ने एक ताना मारते हुए कहा था कि राम, तेरी गंगा मैली। मैं इस टाइटल पर फिल्म बनाना चाहता हूं। लेकिन मैं इसे जस्टीफाई कैसे करूं? क्योंकि मैंने ही 'जिस देश में गंगा बहती है' नाम से फिल्म बनाई है। अब मैं गंगा को मैली कहूंगा तो लोग मुझे माफ नहीं करेंगे।" राज कपूर की स्थिति समझकर रविंद्र जैन ने उनसे कहा,"राम तेरी गंगा मैली टाइटल को जस्टीफाई करने की ज़िम्मेदारी मैं लेता हूं।"
रविंद्र जैन जी ने पूरे कॉन्फिडेंस से वो बात राज कपूर से कही। और उन्हें वो कॉन्फिडेंस इसलिए आया था क्योंकि ठीक उसी वक्त उनके दिमाग में एक मुखड़ा आ चुका था। वो मुखड़ा उन्होंने राज कपूर को वहीं गाकर सुनाया। वो मुखड़ा कुछ इस प्रकार था,"गंगा हमारी कहे ये बात रोते रोते। राम तेरी गंगा मैली हो गई, पापियों के पाप धोते-धोते।" राज कपूर को वो मुखड़ा इतना पसंद आया कि उन्होंने फौरन कुर्सी से खड़े होकर रविंद्र जैन जी को गले से लगा लिया। और बोले,"मेरी समस्या का हल मुझे मिल गया।"
राज कपूर के ज़ेहन में वो गाना भी था जो उन्होंने दिल्ली में सवा रुपए पेशगी देकर रविंद्र जैन से अपने लिए रखने को कहा था। वही, जिसके बोल थे 'एक राधा एक मीरा।' राज कपूर ने इस गीत को "राम तेरी गंगा मैली" के क्लाइमैक्स में इस्तेमाल करने का फैसला किया। इस तरह राज कपूर ने वहीं रविंद्र जैन को "राम तेरी गंगा मैली" फिल्म का संगीत कंपोज़ करने की ज़िम्मेदारी दे दी। रविंद्र जैन को ही फिल्म के गीत भी लिखने का काम दिया गया। उन्होंने फिल्म के सभी गीत लिखे। सिवाय एक को छोड़कर। वो एक गीत जो रविंद्र जैन जी ने नहीं लिखा था वो था "सुन सायबा सुन। प्यार की धुन।" वो गीत हसरत जयपुरी जी ने लिखा था।
आज रविंद्र जैन की पुण्यतिथि है। 09 अक्टूबर 2015 को रविंद्र जैन जी का निधन हुआ था। रविंद्र जैन जी का करियर बहुत शानदार रहा था। उनके हुनर की अनगिनत मिसालें इस फिल्म इंडस्ट्री में भरी पड़ी हैं। उनके बारे में तो बहुत कुछ लिखा जा सकता है। लेकिन इस लेख में सिर्फ राज कपूर और रविंद्र जैन से जुड़ी कुछ और रोचक बातें आपको पढ़ने को मिलेंगी। जैसे रविंद्र जैन कहते थे,"राज कपूर खुद भी संगीत के बहुत जानकार थे। लेकिन उन्होंने कभी भी मेरे काम में दखलअंदाज़ी नहीं की। और मैंने भी कभी उन्हें निराश नहीं किया।" राम तेरी गंगा मैली फिल्म के निर्माण के वक्त राज कपूर रविंद्र जैन से इतने खुश थे कि एक दफा उन्होंने कहा था कि एक रविंद्र जैन में मुझे शंकर-जयकिशन और शैलेंद्र, तीनों मिल गए।
चलिए अब राज कपूर और रविंद्र जैन जी की पहली मुलाकात की बात करते हैं। रविंद्र जैन ने कलकत्ता में पहली दफा राज कपूर को देखा था। उन दिनों कलकत्ता में रविंद्र जैन एक स्कूल में म्यूज़िक टीचर हुआ करते थे। उसी दौरान राज कपूर की फिल्म संगम भी रिलीज़ हुई थी। राज कपूर संगम के प्रमोशन के सिलसिले में कलकत्ता गए थे। उनके साथ शंकर-जयकिशन व मुकेश जी भी थे। उस वक्त शंकर-जयकिशन व मुकेश जी से तो इनकी नमस्कार हुई थी। लेकिन राज कपूर से कोई मुलाकात या बात नहीं हो सकी थी। कुछ साल बाद रविंद्र जैन भी कलकत्ता से बॉम्बे संगीतकार बनने आ गए। उन्हें कुछ फिल्में मिली भी। उनमें से एक थी 1973 में आई राजश्री प्रोडक्शन्स की "गीत गाता चल।"
एक दिन रविंद्र जैन किसी काम से डायरेक्टर-प्रोड्यूसर एच.एस.रवैल साहब से मिलने उनके घर गए थे। वहीं पर पहली दफा राज कपूर से उनकी मुलाकात हुई थी। राज कपूर ने रविंद्र जी से उस दिन भी काफी बात की थी। इन्होंने राज कपूर को कुछ गीत भी सुनाए थे उस दिन। उनमें से एक फिल्म "गीत गाता चल" का गीत भी था जिसे वो पहले ही रिकॉर्ड कर चुके थे। वो गीत था "श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम। लोग करें मीरा को यूं ही बदनाम। सांवरे की बंशी को बजने से काम। राधा का भी श्याम, वो तो मीरा का भी श्याम।" राज कपूर को ये गाना बहुत पसंद आया था। उन्होंने सोचा भी था कि काश ये गाना उन्हें मिल जाता। लेकिन वो गाना "गीत गाता चल" फिल्म के लिए रिकॉर्ड किया जा चुका था।
"राम तेरी गंगा मैली" में रविंद्र जैन के काम से राज कपूर इतने खुश हुए कि उन्होंने अपने अगले प्रोजेक्ट, या कहिए कि अपने ड्रीम प्रोजेक्ट हिना के संगीत की ज़िम्मेदारी भी रविंद्र जी को ही दे दी। रविंद्र जी ने हिना और राज कपूर से जुड़ा एक बड़ा ही दिलचस्प किस्सा एक दफा एक इंटरव्यू में सुनाया था। किस्सा कुछ यूं है कि जब रविंद्र जैन "राम तेरी गंगा मैली" का म्यूज़िक कंपोज़ करते थे तब कई दफा राज कपूर से मिलने वो पूना जाया करते थे। वहीं पर राज कपूर और रविंद्र जैन हिना फिल्म के गीतों के बारे में डिस्कशन करते थे। समय गुज़रा। राम तेरी गंगा मैली रिलीज़ हुई और ब्लॉकबस्टर साबित हुई। रविंद्र जैन को और कई प्रोजेक्ट्स मिल गए। रामानंद सागर जी ने भी रामायण का संगीत कंपोज़ करने का ज़िम्मा उन्हें दिया। और रामायण के संगीत पर रविंद्र जैन जी ने पूरे मन से काम किया।
एक दिन रविंद्र जैन राज कपूर से मिलने गए। उस दिन वो रामायण का एक गीत रिकॉर्ड करके गए थे जो कैकई और भरत जी के दृश्य में एक फक़ीर गाता है। रविंद्र जैन जब राज कपूर से मिले तो बातों ही बातों में रामायण का ज़िक्र भी आया और उन्होंने राज कपूर को भी वो गाना सुनाया। वो गाना सुनने के बाद राज कपूर बोले,"अब तुम हिना नहीं कर सकते हो।" राज जी की वो बात सुनकर रविंद्र जैन को बहुत अजीब लगा। वो हिना के संगीत पर पहले ही मेहनत शुरू कर चुके थे। लेकिन अब राज कपूर कह रहे थे कि तुम हिना नहीं कर सकते। रविंद्र जी ने सोचा कि ये तो गलत ही रामायण का गीत राज कपूर को सुना दिया। उन्हें परेशान देख राज कपूर बोले,"तुमने रामायण का ये गाना इतना शानदार बना दिया है कि इसे सुनकर मेरे रोंगटे खड़े हो गए हैं। मुझे नहीं लगता कि अब तुम हिना के लिए जिस तरह के गाने चाहिए वो बना सकोगे। उस दिन वो मुलाकात वहीं खत्म हो गई।"
कुछ दिनों बाद मेजर अशोक कौल का फोन रविंद्र जैन के पास आया। उन्होंने रविंद्र जैन को बताया कि राज कपूर चाहते हैं आप उनके साथ कुछ दिनों के लिए कश्मीर चलें। ये मेजर अशोक कौल वही हैं जिन्होंने दूरदर्शन पर प्रसारित हुए शो परमवीर चक्र का डायरेक्शन किया था। मेजर अशोक कौल राज कपूर के खास थे। उनके प्रोडक्शन हाउस से भी जुड़े थे। खैर, एक दिन राज कपूर के साथ रविंद्र जैन अपनी पत्नी दिव्या व अपने एक म्यूज़िशियन को साथ लेकर कश्मीर चले गए। म्यूज़िशियन को वो इसलिए साथ ले गए थे क्योंकि उन्हें लग रहा था कि राज कपूर कश्मीर में हिना के संगीत पर काम करना चाहते होंगे। लेकिन राज कपूर की प्लानिंग कुछ और ही थी। राज कपूर ने 25 दिनों तक रविंद्र जैन जी को अपने साथ कश्मीर में रखा।
उन 25 दिनों में राज कपूर ने म्यूज़िक के बारे में एक दफा भी बात नहीं की। रविंद्र जैन हैरान थे कि संगीत के बारे में राज कपूर क्यों बात नहीं कर रहे हैं। साथ ही परेशान भी थे। इसलिए परेशान थे क्योकि वो दूसरे लोगों का काफी काम पेंडिंग छोड़कर राज साहब के साथ कश्मीर गए थे। वो सब लोग भी रविंद्र जी के बॉम्बे वापस लौटने का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे थे। रविंद्र जैन चाहकर भी राज कपूर से कह नहीं पा रहे थे कि अगर संगीत का काम नहीं है तो उन्हें बॉम्बे वापस भेज दिया जाए। राज कपूर ने उन 25 दिनों में रविंद्र जैन जी को ढंग से कश्मीर घुमाया। कभी शिकारे की सैर कराई। कभी पहलगाम घुमाने ले गए। तो कभी गुलमर्ग की वादियों के दीदार कराए। कुल मिलाकर उन 25 दिनों में संगीत पर ही कोई बात नहीं हुई। बाकि मौज-मस्ती, घूमना-खाना जमकर हुआ।
जब रविंद्र जैन कश्मीर से वापस बॉम्बे लौटे तो कुछ दिनों के बाद उन्हें पता चला था कि राज कपूर ने सिर्फ इसलिए उन्हें इतने दिनों तक कश्मीर में रखा था क्योंकि वो चाहते थे कि रविंद्र जैन के दिमाग से रामायण पूरी तरह निकल जाए। और उसमें हिना बस जाए। अपनी फिल्म के प्रति राज कपूर की वही डैडिकेशन रविंद्र जैन जी को बहुत प्रभावित करती थी।
हम सभी जानते हैं कि हिना की मेकिंग के दौरान ही राज कपूर साहब की मृत्यु हो गई थी। लेकिन जब वो जीवित थे तब रविंद्र जैन जी ने उनके सामने हिना के तीन गीत रिकॉर्ड कर लिए थे। वो गीत थे "मैं देर करता नहीं देर हो जाती है।"चिट्ठिए नि दर्द फिराक़ वलिए।" और "ना हमने तुम्हें देखा ना तुमने हमें देखा।" ये जो आखिरी गाना है ये हिना फिल्म में इस्तेमाल नहीं किया गया था।
आखिर में एक और बात। राज कपूर रविंद्र जैन जी को प्यार से दादू कहकर बुलाते थे। वो जानते थे कि रविंद्र जैन का पसंदीदा भोजन खिचड़ी है। इसलिए जब भी राज कपूर के घर रविंद्र जैन जी का जाना होता था तो राज साहब की पत्नी कृष्णा जी रविंद्र जी के लिए खिचड़ी बनाकर रखती थी। राज साहब को जब भी रविंद्र जैन जी को संगीत के काम के लिए अपने घर बुलाना होता था तो वो बड़े प्यार और चतुराई से फोन पर रविंद्र जैन से कहते थे,"दादू, कृष्णा जी ने कहा है कि आज रात का खाना आप हमारे यहां खाएंगे। एक काम कीजिएगा। हारमोनियम भी साथ ले आईएगा। दिल करेगा तो थोड़ी संगीत की बात भी कर लें।
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