"जब स्टालिन की लड़की अस्थि विसर्जन के लिए प्रतापगढ़ आई और वहाँ से CIA की मदद से अमेरिका उड़ गई"
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1963 में एक महिला मॉस्को के कुंत्सेव हॉस्पिटल में अपने गले का टॉन्सिल निकलवाने आती है। वह महिला महात्मा गांधी की जीवनी पढ़ रही थी और उसे एक ऐसे भारतीय व्यक्ति की तलाश थी जो उसे महात्मा गांधी के बारे में और भी ज़्यादा विस्तार से बता सके। संयोग से उस महिला की मुलाकात वहाँ पर एक भारतीय कम्युनिस्ट से होती है। वह व्यक्ति वहाँ पर साँस और फेफड़ों की बीमारी का इलाज कराने आया था। थोड़ी देर तक हॉस्पिटल के कॉरिडोर में टहलने के पश्चात दोनों एक सोफे पर बैठ जाते हैं और उनके बीच एक लम्बी बातचीत होती है। कुछ दिनों बाद, काला सागर के किनारे, रूस के एक शहर सोची में दोनों स्वास्थ्य-लाभ ले रहे थे। इसी बीच दोनों में नज़दीकियां और रोमासं-प्यार बढ़ता है। लेकिन अधिकृत रूप से उन्हें शादी करने की अनुमति नहीं मिलती। इसी बीच वीज़ा नियमानुसार उस व्यक्ति को इलाज के बाद भारत वापस लौटना पड़ता है। लौटते हुए उस व्यक्ति ने उस महिला से वादा किया कि मैं जल्दी ही रूसी ग्रंथों को हिंदी में अनुवाद करने हेतु मॉस्को वापस आऊंगा। हम फिर शादी करेंगे। वह 1965 में रूस वापस आता है। लेकिन शायद बीमारी कहीं बची रह गई थी। एक दिन उस व्यक्ति ने सपना देखा कि एक सफ़ेद बैल एक गाड़ी खींच रहा है। उस व्यक्ति ने अपनी प्रेमिका को बताया कि भारत में इसे अशुभ माना जाता है और इसे मौत का सन्देश माना जाता है। वह व्यक्ति बुदबुदाया, 'स्वेता अब मैं जीवित नहीं रहूँगा।' अगले ही दिन उस व्यक्ति का निधन हो जाता है।
वहीं सोची में ही उसका अंतिम संस्कार कर दिया जाता है। उसकी प्रेमिका ने उससे वायदा किया था कि वह उसकी अस्थियां गंगा में प्रवाहित करेगी।
उस व्यक्ति की प्रेमिका अस्थियां लेकर गंगा में प्रवाहित करने भारत आती है, और उस व्यक्ति के पुश्तैनी गाँव, उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़, गंगा किनारे स्थित कालाकाँकर जाती है।
वह महिला थी, रूस के तानाशाह जोसेफ़ स्टालिन की लड़की स्वेतलाना अलीलुयेवा - स्टालिन के तीन बच्चों में सबसे छोटी
और वह भारतीय था - उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़, गंगा किनारे स्थित कालाकाँकर रियासत के कुंवर ब्रजेश सिंह।
वही ब्रजेश सिंह जिनके भतीजे दिनेश सिंह विदेश राज्य मंत्री और इंदिरा जी के बेहद चहेते एवं करीबी थे।
ख़ैर, रूस वापस लौटने के बजाय वह महिला सोवियत दूतावास से भारत में ही रहने की परमिशन मांगती है, लेकिन उसे परमिशन नहीं मिलती। इससे परेशान होकर वह चुपके से और अचानक से दिल्ली स्थित अमेरिकी दूतावास जाती है और वहाँ पर शरण मांगती है। भारत स्थित अमेरिकी दूतावास में असिस्टेंट अम्बेस्डर रिचर्ड सेलेस्टे के पास CIA के इंडिया हेड डेविड ब्ली का फोन आता है और और वे उन्हें तुरंत एम्बेसी पहुँचने को कहते हैं। उस समय जब भारत में रात के नौ और अमेरिका में सुबह के 11 बज रहे थे, भारत में नियुक्त तत्कालीन अमेरिकी राजदूत चेस्टर बी. बोल्स वाशिंगटन को रिपोर्ट करते है, "मेरे दूतावास में एक महिला आई है जो कि खुद को स्टालिन की बेटी बता रही है। और मुझे लगता है कि वह सच कह रही है। मैं उसे रात के 1 बजे विमान से रोम भेज रहा हूँ, जहाँ पर हम उसे रोक कर आगे की कार्यवाही पर विचार करेंगे। मैंने उसे अमेरिका में शरण देने का कोई वादा तो नहीं किया है, बल्कि अभी उसे बस भारत से निकाल रहा हूँ। अगर आपको इस पर आपत्ति हो तो मुझे मध्यरात्रि के पहले सूचित कर दें।"
वाशिंगटन से कोई जवाब नहीं आया।
भारत में नियुक्त तत्कालीन अमेरिकी राजदूत चेस्टर बोल्स उस महिला की रिक्वेस्ट स्वीकार कर लेते हैं। CIA के इंडिया हेड डेविड ब्ली उस महिला को पालम छोड़ने ले जाते हैं, और रसियन भाषा बोलने वाले एक CIA एजेंट को पहले ही उस विमान में चढ़ा दिया जाता है। इस निर्देश के साथ कि रसियन ख़ुफ़िया एजेंसी KGB कोई और प्लॉट न कर सके और स्वेतलाना विमान से निकल न भागे या आगे कोई और न्यूसन्स् न हो।
इस बीच डेविड ब्ली CIA HQ लैंगली से जुड़ गए और पल-पल का अपडेट लेने-देने लगे।
उन दिनों शीत युद्ध चरम पर था। दो-ध्रुवीय विश्व में इस घटना ने हलचल मचा दिया। दुश्मन देश के डिक्टेटर की बेटी अपना देश-अपने पिता को छोड़कर अमेरिका में शरण ले, अमेरिका के लिए इससे बड़ी कूटनीतिक सफलता और क्या होगी ? नेक्स्ट डे रूसी दूतावास में हड़कंप मच गया। दिल्ली स्थित KGB के इंडिया हेड ने डेविड ब्ली को हॉटलाइन पर कॉल किया और चिल्लाकर पूछा तुमने स्टालिन की बेटी का अपहरण क्यों किया?
ब्ली का शांतिपूर्ण उत्तर था कि हम किसी को किडनैप नहीं करते। लोग हमारे पास अपनी इच्छा से आते हैं। उसने खुद आकर मेरे यहाँ शरण की माँग की थी।
अमेरिका और रूस में टेंसन और बढ़ गया और पूरी दुनिया के देशों में US - RUSSIA के डिप्लोमेट्स के बीच होने वाली हर बात-मुलाक़ात रद्द कर दी गई।
और अब क्योंकि सोवियत गवर्नमेंट भारत की आलोचना कर सकती थी इसलिए उसे सीधे तौर पर अमेरिका में पोलिटिकल अˈसाइलम् न देकर पहले रोम भेजा जाता है और वहां से स्विट्ज़रलैंड। थोड़े दिनों बाद तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी स्वेतलाना के पास भारतीय दूत भेजती हैं, जिसका उद्देश्य यह था कि स्वेतलाना यह बोल दे उनके भारत से भागने में किसी भी भारतीय ने उनकी मदद नहीं की।
हालाँकि, सोवियत गवर्नमेंट ने स्वेतलाना के अमेरिका जाने के लिए भारत को जिम्मेदार बताया, यह कहकर कि भारत ने अपने एक ख़ास मेहमान का ठीक से ख़याल नहीं रखा।
इसके कुछ दिनों बाद ही स्वेतलाना न्यूयॉर्क पहुँचती है और प्रेस कॉन्फ्रेंस करके अपने पिता स्टालिन की लिगेसी और सोवियत यूनियन को हमेशा के लिए त्याग देने की घोषणा करती है।
गरीबी, क़र्ज़ और फेल्ड इंवेस्टमेंट्स में जीते हुए, सोवियत के डिक्टेटर की लड़की स्वेतलाना, और उत्तर प्रदेश के प्रतापगढ़ स्थित कालाकाँकर रियासत की बहू, कुंवर ब्रजेश सिंह की पत्नी स्वेतलाना अलीलुयेवा अमेरिका के विस्कॉन्सिन में गुमनामी में जीते हुए 22 नवम्बर 2011 के दिन दम तोड़ देती हैं।
Prashant Dwivedi
28/02/2025
Svetlana Alliluyeva
28/02/1926 – 22/11/2011