Man mohan

शायद आपने भी कभी ग़ौर किया होगा कि 60 और 70 के दशक की हर दूसरी-तीसरी फ़िल्म में दिखायी देने वाला यह चेहरा आचानक नज़र आना बंद हो गया था। अधिकतर फ़िल्मों में निगेटिव किरदार निभाने वाले इस बेहतरीन एक्टर का नाम है मनमोहन। मनमोहन जी ने अपने करियर में वैसे तो हर तरह के किरदार निभाए थे लेकिन उनकी पहचान विलेन के रूप में ही बनी। ख़ास बात कि अपने करियर के शुरुआत में उन्होंने महान क्रांतिकारी चन्द्रशेखर आज़ाद जी की भूमिका निभाई थी।
28 जनवरी 1933 को जमशेदपुर के एक व्यवसायी परिवार में जन्मे और चार भाइयों में से एक मनमोहन को बचपन से एक्टिंग का शौक़ था। मनमोहन बड़े होकर अपने व्यवसाय में लग चुके थे कि उन्हीं दिनों उनके शहर में फ़िल्मी दुनिया के कुछ मशहूर कलाकार (कॉमेडियन एक्टर मुकरी और टुनटुन आदि) शो करने पहुँचे और मनमोहन ने उनकी ख़ूब ख़ातिरदारी की। कलाकारों से उनकी दोस्ती हो गयी उन्होंने मनमोहन की रुचि को देखते हुए मुंबई बुला लिया।

साल 1950 में मुंबई पहुँचे मनमोहन की मुलाक़ात संगीतकार शंकर-जयकिशन , फ़िल्म मेकर भप्पी सोनी और जीपी सिप्पी जैसे उस ज़माने के कई दिग्गजों से हुई। देखते ही देखते मनमोहन की पहचान इन लोगों के ज़रिये और भी लोगों से बढ़ी और इसी दौरान केवल कश्यप ने उन्हें अपनी पहली फिल्म शहीद में कास्ट किया।  उसके बाद आयी गुमनाम के बाद उन्होंने फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक वक़्त तो ऐसा भी आया जब एक ही महीने में उनकी 14 फिल्में प्रदर्शित हुईं। मनमोहन की इतनी अधिक व्यस्तता के कारण ही विनोद खन्ना को उनका पहला मौक़ा मिला था। मनमोहन ने उन्हें डायरेक्टर से मिलवाया और कहा कि उनकी जगह वे विनोद खन्ना को मौक़ा दें दे। वह फ़िल्म थी साल 1969 में रिलीज़ हुई 'मन का मीत'।

मनमोहन की दोस्ती फ़िल्म इंडस्ट्री में लगभग सभी लोगों से थी और हर कोई अपनी फ़िल्म में उन्हें लेना चाहता था। मनमोहन की ख़ासियत यह भी थी कि वे किसी भी तरह के किरदार में आसानी से फिट हो जाते थे। 70 के दशक के आख़िर में मुंबई के नज़दीक के इलाके टिटवाला के एक जंगल में मनोज कुमार की  फ़िल्म की शूटिंग के दौरान लगी आग से मनमोहन बुरी तरह जल गये थे। इस आग में मनमोहन क़रीब 80% तक जल गये थे और 6 महीने तक उनका इलाज़ चला था इस दौरान वे एक साल तक फ़िल्मों से दूर रहे। बाद में उन्होंने वापसी की और कई फ़िल्में की। मनमोहन अभी बहुत सारी फ़िल्में करते लेकिन 26 अगस्त 1979 को महज़ 46 साल की उम्र में उनका निधन हो गया।

मनमोहन जी की पत्नी का नाम कांता मनमोहन पंचमिया था जिनका निधन 9 अक्तूबर साल 2021 में हुआ था। मनमोहन जी की तीन संतानें थीं एक बेटी और दो बेटे। बड़े बेटे हैमंत मनमोहन पंचमिया फ़िल्म डिस्ट्रीब्यूटर हैं और छोटे बेटे नितिन मनमोहन जाने माने फ़िल्म प्रोड्यूसर थे। उन्होंने ‘बोल राधा बोल’, ‘लाडला’, ‘दीवानगी’, ‘भूत’ और ‘यमला पगला दीवाना’  जैसी फिल्में बनाई थीं। नितिन मनमोहन 29 दिसम्बर 2022 को 60 साल की उम्र में उनका भी निधन हो चुका है।

मनमोहन जी की तीसरी पीढ़ी भी फ़िल्मों से जुड़ी हुई है। उनकी पोती यानि नितिन मनमोहन जी की बेटी प्राची मनमोहन भी प्रोड्यूसर हैं। काफी उम्र में दुनिया को अलविदा कह देने वाले एक्टर मनमोहन जी को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। उनकी अनगिनत फ़िल्में हैं न केवल हिंदी बल्कि दूसरी भाषाओं में भी। मनमोहन जी की कुछ फ़िल्में जो आपको याद हों उनके नाम कमेंट में ज़रूर बताएं साथ ही अगर आपने उन्हें किसी फ़िल्म में सकारात्मक (positive) भूमिका निभाते देखा हो तो उसका नाम भी बताएं।

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