बनारस रियासत के अंतिम भूमिहार ब्राह्मण नरेश
डॉ विभूतिनारायण सिंह!
काशी अति प्राचीन नगरी है जिसे भगवान शिव ने 5000 वर्ष पहले बसाया । सन 1737से 15अक्टूबर1948 तक बनारस राज्यपर भूमिहार राजाओं का शाशन रहा । कहा जाता है कि काशी नरेश भगवान शिव के पुत्र हैं आजादी के 75 वर्षों बाद भी काशी और बनारस की जनता आज भी काशी नरेश को सम्मान देती है,।सभी तरह के सामाजिक और धार्मिक समारोह में आज भी काशी नरेश सामिल होते हैं और जनता उनका सम्मान करती है आज आधुनिक बनारस में शिक्षा और स्वास्थ्य के जो भी केंद्र हैं उनमें काशी नरेश का अहम योगदान है ।
बनारस राज की कहानी ,,
अयाचक ब्राह्मण जिन्हें सैनिक ब्राह्मण भी कहा जाता है जो शूर वीर, वुद्धिमान, कर्मयोगी और अपने बाहुबल पर विस्वास करते हैं का समूह गंगा के उत्तरी छोर प्रयाग राज से बलिया होते हुई नारायणी के पश्चिमी किनारे नेपाल तक बसे हुए थे। ये लोग अपने बाहुबल से बंजर जमीन को उपजाऊ बनाकर खेती करने लगे ।ये पक्के कर्मकांडी संस्कारों में विस्वास करते थे लेकिन दान नहीं लेते थे, दान देते आये ।सन 1000ई आते आते इन क्षेत्रों में जिसे आज यूपी का पूर्वांचल कहा जाता है में इनकी संख्या अच्छी खासी हो गई तथा उपजाऊ भूमि के अधिकांश भाग पर इनका दखल कब्जा हो गया । मुगल शासन के दौरान इन किसानों से ज्यादा कर की मांग होने लग गई और जबरन धर्म परिवर्तन होने लगा गाजीपुर और आजमगढ़ के बहुत से इनके परिवार जमींदारी की लालच और भय से मुसलमान बनने लगे जिनके विरोध में इन अयाचक ब्राह्मणों का समूह जिन्हें बाद में भूमिहार कहा जाने लगा सँगठित होने लगे ।बनारस के मोती कोट के जमींदारों ने बाबू मनसा राम को अपना सरदार मान लिया और बाबू मनसा राम ने बनारस के आस पास के समाज को संगठित कर बनारस राज की स्थापना की औऱ इस राज के पहले राजा बाबू मनसा राम सन 1737 में बने ।
बाबू मनसा राम ने 10 हजार युवा सैनिक बल का। गठन किया और इन्हें एक लाख युवा ब्रह्मर्षि किसानों का समर्थन प्राप्त था ।1740 में मनसा राम की मृत्यु के बाद इनके पुत्र बलवंत सिंह बनारस के राजा हुए।बलबंत सिंह बड़े साहसी और वीर थे जिन्होंने अपने सैन्य बल को सँगठित किया ।राजा बलबंत सिंह ने गंगा के उस पार रामनगर में एक किला का निर्माण किया जो आज भी अपनी भब्यता की निशानी लिये खड़ा है । बलवंत सिंह ने अवध के नवाब को चुनौती दी और बनारस दिल्ली की मुगल सल्तनत का एक रियासत बना और बलवंत सिंह ने अपने को महाराजाधिराज घोषित किया और बनारस के राजा काशी नरेश के नाम से जाने जाने लगे । ,,,,,,15 अगस्त 1947 को हिंदुस्तान की आजादी मिलने के बाद अंग्रेजो ने बनारस रियासत को आजाद कर दिया और बनारस एक स्वतंत्र राज्य बना जिसके राजा महाराजाधिराज डॉ विभूति नारायण सिंह हुए । काशी नरेश डॉ विभूति नारायण सिंह ने जन भावना का आदर करते हुए बनारस राज का 15 अक्टूबर 1948 को भारतीय संघ में विलय कर दिया ।इस तरह बनारस राज पर भूमिहारों के 212 वर्षों के शासन का अंत हुआ ।