Prem Adeeb aur Indu Rani

"मेरी और मेरे बेटे की ज़िंदगी में अब तुम्हारे लिए कोई जगह नहीं है। अब से भूलकर भी कभी हमारे सामने मत आना।" अस्पताल के बैड पर लेटी एक्ट्रेस इंदूरानी ने ये बात कही थी प्रेम अदीब से। साथियों ये किसी फ़िल्म का दृश्य नहीं था। ये हकीकत में घटी एक घटना थी।

मात्र चार या पांच प्रतिशत लोग ही इस किस्से से वाकिफ़ होंगे जो आज प्रेम अदीब जी के बारे में किस्सा टीवी के माध्यम से आप लोग जानेंगे। पुरानी फ़िल्मों के अधिकतर शौकीनों को भी ये बात पता नहीं होगी। चूंकि आज प्रेम अदीब जी का जन्मदिवस है, साल 1917 की 10 अगस्त को प्रेम अदीब जी का जन्म हुआ था, तो इस मौके पर ये किस्सा पेश है आप पाठकों के लिए। उम्मीद है कि आप कहेंगे कि वाकई में कुछ रोचक जाना है। 
और इस किस्से को शुरू करने से पहले शिशिर कृष्ण शर्मा जी का विशेष आभार। उनके एक यूट्यूब वीडियो के माध्यम से ही ये किस्सा मुझे पता चला है। शिशिर कृष्ण शर्मा जी के यूट्यूब चैनल व ब्लॉग को आपको ज़रूर फॉलो करना चाहिए, अगर आप पुराने दौर के सिनेमा व सिने कलाकारों के बारे में जानने-पढ़ने के शौकीन हैं तो। इनका यूट्यूब चैनल व ब्लॉग "बीते हुए दिन" नाम से आपको यूट्यूब व गूगल पर मिल जाएंगे। बहुत शानदार जानकारियां देते हैं शिशिर सर। चलिए किस्सा शुरू करते हैं। पसंद आए तो लाइक-शेयर अवश्य कीजिएगा।

महात्मा गांधी ने जीवन में सिर्फ़ एक ही फ़िल्म देखी थी। वो फ़िल्म थी साल 1943 में रिलीज़ हुई राम राज्य। उस फ़िल्म में भगवान राम का किरदार प्रेम अदीब जी ने ही निभाया था। प्रेम अदीब जी उस दौर में भगवान राम के तौर पर देशभर में मशहूर थे। उन्होंने और भी कुछ फ़िल्मों में राम का किरदार निभाया था। लेकिन प्रेम अदीब साहब की ज़िंदगी का एक ऐसा पहलू आज आपको बताया जाएगा जो बहुत अजीब लग सकता है आपको। 

ये कहानी वास्तव में प्रेम अदीब साहब के एक ऐसे बेटे की कहानी है, जिसे ना तो कभी प्रेम अदीब का प्यार मिला। और ना ही कभी प्रेम अदीब का नाम मिल सका। प्रेम अदीब का वो बेटा कौन था, ये आखिर में जानेंगे भी। लेकिन पहले ज़रा समय में और पीछे जाया जाएगा। साल 1935 में अपने पिता के साथ दिल्ली के दरियागंज इलाके से दो बहनें पूना आई थी। उन बहनों के नाम थे रोशन जहां व इशरत जहां। जबकी पिता का नाम था शेख इमामुद्दीन। 

पूना आने के बाद रोशन जहां व इशरत जहां को सरस्वती सिनेटोन नामक फ़िल्म कंपनी में नौकरी मिल गई। इस फ़िल्म कंपनी की एक फ़िल्म आई थी जिसका नाम था सावित्री। मराठी भाषा में बनी ये फ़िल्म साल 1936 में रिलीज़ हुई थी। रोशन जहां व इशरत जहां, दोनों बहनों को कंपनी की तरफ़ से नए नाम दिए गए थे। रोशन जहां का नाम रखा गया सरोजिनी। और इशरत जहां कहलाई इंदूरानी। 

साल 1936 में ही इन दोनों बहनों ने मुंबई का रुख कर लिया। मुंबई के दादर इलाके की हिंदू कॉलोनी में इन्होंने रहना शुरू कर दिया। दोनों बहनों का ध्यान रखने के लिए उनकी नानी भी साथ आकर रहने लगी। मुंबई आने के बाद इंदूरानी को नौकरी मिली दरियानी प्रोडक्शन्स नामक एक फ़िल्म कंपनी में। इसी साल, यानि 1936 में ही दरियानी प्रोडक्शन के अंडर में बनी प्रतिमा उर्फ़ प्रेम मूर्ति फ़िल्म इंदूरानी की मुंबई में पहली फ़िल्म बनी। 

दादर की हिंदू कॉलोनी में ये दोनों बहनें जहां रहती थी वहां पड़ोस में एक अंग्रेजी के टीचर रहा करते थे। दोनों बहनों ने उनसे अंग्रेजी सीखना शुरू कर दिया। उन्हीं दिनों प्रेम अदीब भी फ़िल्मों में काम पाने के लिए स्ट्रगल कर रहे थे। अंग्रेजी के उस टीचर से प्रेम अदीब की भी बढ़िया पहचान थी। उस टीचर के माध्यम से इंदूरानी व प्रेम अदीब की भी जान-पहचान हुई। जब इंदूरानी को पता चला कि प्रेम अदीब फ़िल्म इंडस्ट्री में पैर जमाने की कोशिश कर रहे हैं, तो उन्होंने प्रेम अदीब की मदद करना शुरू कर दिया।

इंदूरानी ने सिफ़ारिश की तो प्रेम अदीब साहब को भी दरियानी प्रोडक्शन्स में एंट्री मिल गई। इंदूरानी व प्रेम अदीब ने दरियानी प्रोडक्शन्स की कुछ फ़िल्मों में साथ काम भी किया था। इंदूरानी व प्रेम अदीब एक-दूजे को पसंद करने लगे। दोनों इश्क करने लगे। शादी करने का फैसला इन दोनों ने कर लिया। मगर चूंकि दोनों के धर्म अलग थे, तो मसला खड़ा हो गया। प्रेम अदीब एक सभ्रान्त कश्मीरी पंडित परिवार से थे। उनकी मां को इंदूरानी संग उनका शादी करने का फैसला बिल्कुल भी स्वीकार नहीं था।

मां के फैसले के सामने प्रेम अदीब की एक ना चली। उन्होंने इंदूरानी से अपना संबंध विच्छेद कर लिया। जबकी इंदूरानी के गर्भ में उनकी संतान पल रही थी। आठ जनवरी 1938 को इंदूरानी ने प्रेम अदीब की संतान को जन्म दिया। वो एक बेटा था। जब अस्पताल के कागज़ात पर दस्तखत करने के लिए प्रेम अदीब आए तो इंदूरानी ने उन्हें भगा दिया। इंदूरानी ने उनसे कहा,"मेरी और मेरे बेटे की ज़िंदगी में अब तुम्हारे लिए कोई जगह नहीं है। अब से भूलकर भी कभी हमारे सामने मत आना।"

1938 में ही इंदूरानी ने दरियानी प्रोडक्शन्स छोड़कर मोहन पिक्चर्स एंड स्टूडियोज़ जॉइन कर लिया। यहां उनकी पहली फ़िल्म थी वीर बाला। इस फ़िल्म कंपनी के मालिक मोहन लाल शाह और उनके भतीजे रमणीक लाल शाह थे। रमणीक लाल शाह और इंदूरानी की बढ़िया दोस्ती हो गई। 1939 में इन दोनों की शादी भी हो गई। फिर तो इंदूरानी मोहन स्टूडियोज़ की परमानेंट आर्टिस्ट बन गई। 1939 से 1942 के दौरान इंदूरानी ने मोहन पिक्चर्स की कुल 13 फ़िल्मों में काम किया।

इंदूरानी के बेटे को रमणीक लाल शाह ने अपना लिया। उन्होंने उस बच्चे को अपना नाम भी दिया। और सगे पिता की तरह ही उसकी परवरिश करना शुरू कर दिया। रमणीक लाल से भी इंदूरानी को पांच संताने हुई थी। जिनमें चार बेटियां व एक बेटा था। इंदूरानी मुंबई में उस वक्त चर्चाओं में आ गई जब मात्र 19 साल की उम्र में उन्होंने सांताक्रूज़ इलाके के इंद्रनारायण रोड पर ज़मीन खरीदी और उस पर एक बंगले का निर्माण कराया। वो बंगला अच्छा-खासा बड़ा था। उन्होंने उस बंगले का नाम रखा था इशरत बंगलॉ। और ये इसलिए मुमकिन हुआ था क्योंकि इंदूरानी अपने दौर की सबसे महंगी एक्ट्रेस थी। टाइम्स ऑफ़ इंडिया ने तब इंदूरानी के बंगला खरीदने पर एक लेख भी लिखा था। उस लेख का शीर्षक था "Youngest Bungalow Owner in Mumbai."  

साल 1960 में इंदूरानी ने अपने बड़े बेटे(जो प्रेम अदीब से जन्मा था) को टीवी ब्रॉडकास्टिंग की पढ़ाई करने अमेरिका भेजा। 1963 में उन्हें डिग्री मिल भी गई। मगर इसी दौरान उन्हें पता चला कि भारत सरकार टीवी का कंट्रोल अपने पास रखेगी। यानि टीवी सिर्फ़ सरकारी हाथों में रहेगा। ये जानकारी मिली तो इंदूरानी के बड़े बेटे ने भारत ना लौटने का फैसला किया। उन्होंने अमेरिका से ही एमबीए की पढ़ाई की। एक बड़ी अमेरिकी फाइनेंशियल कंपनी में फ़ाइनेंसिंग एनालिस्ट की हैसियत से बढ़िया नौकरी जॉइन कर ली। कुछ साल बाद अपनी खुद की फाइनेंशियल फर्म भी शुरू की। और आखिरकार 2008 में रिटायर हो गए।

इंदूरानी और प्रेम अदीब के उस बेटे का नाम सलीम शाह है। सलीम शाह अपनी पत्नी के साथ अमेरिका के सैन डिएगो में रहते हैं। ये पूरी कहानी शिशिर कृष्ण शर्मा जी ने लगभग तीन साल पहले बताई थी। उस वक्त तक सलीम शाह की उम्र 85 साल हो चुकी थी। सलीम शाह की लेटेस्ट अपडेट नहीं मिल सकी है। सलीम शाह ने अमेरिका में रहते हुए फ्रांसिसी मूल की एक महिला से शादी की थी। उनके दो बेटे हैं। और बेटों की भी शादी हो चुकी है। यानि भरा-पूरा परिवार है उनका। 

सलीम शाह जी ने कहा था कि रमणीक लाल शाह ने उन्हें कभी किसी चीज़ की कमी महसूस नहीं होने दी। हमेशा प्यार दिया। मगर ये बात उन्हें हमेशा कचोटती रही कि सगे पिता प्रेम अदीब ने उन्हें ठुकरा दिया था। साल 1973 में रमणीक लाल शाह का देहांत हो गया था। आखिरकार 1977 में इंदूरानी भी अमेरिका चली गई। अमेरिका में ही साल 2012 में इशरत जहां उर्फ़ इंदूरानी का देहांत हो गया। इंदूरानी के अन्य बच्चे भी अब अमेरिका में ही बस चुके हैं। 

रमणीक लाल शाह से पैदा हुए इंदूरानी के सभी बच्चे सलीम शाह को बहुत सम्मान व प्यार देते हैं। उन्हें अपना सगा बड़ा भाई ही मानते हैं। सलीम शाह ने एक बार कहा था कि जब प्रेम अदीब की मृत्यु हुई थी(1959 में) तब वो मुंबई में ही थे। मगर प्रेम अदीब से उनका जीवन में एक बार भी मिलना नहीं हो सका। सलीम शाह के मुताबिक, प्रेम अदीब की शादी भी हुई थी। लेकिन उन्हें कभी कोई संतान नहीं हो सकी। प्रेम अदीब जी की पत्नी भी अब ये दुनिया छोड़कर जा चुकी हैं। और शायद उन्हें भी कभी ये बात नहीं पता थी कि उनके पति प्रेम अदीब की एक संतान इस दुनिया में है। 

दिसंबर 2015 में शिशिर कृष्ण शर्मा जी को दिए एक इंटरव्यू में सलीम शाह ने कहा था कि उम्र के इस पड़ाव पर पहुंचकर दुनिया की सभी भौतिक इच्छाएं अब खत्म हो चुकी हैं। मगर वो आज भी ये चाहते हैं कि अदीब खानदान की मौजूदा नस्लों को ये ज़रूर पता चले कि उनके खून का एक कतरा ऐसा है जो इस दुनिया के किसी कोने में मौजूद है। 

साथियों ऊपर आपने पढ़ा होगा कि सलीम शाह की मां इशरत जहां उर्फ़ इंदूरानी की एक बहन भी थी जिनका नाम रोशन जहां था। और जिन्हें पूना की सरस्वती फ़िल्म कंपनी ने सरोजिनी नाम दिया था। उन्हीं सरोजिनी की एक बेटी हैं अज़रा। अज़रा जी ने कुछ फ़िल्मों में काम भी किया है। यानि अज़रा और सलीम शाह कज़िन हैं। और सलीम शाह अज़रा जी से मिलने कभी-कभी भारत आ जाते हैं। 

ये कहानी यहां खत्म होती है। आखिर में एक बात और बता देते हैं। सलीम शाह ने अपने फेसबुक पेज में अपनी माता का नाम इंदूरानी व पिता का नाम प्रेम अदीब लिखा है। और जाते-जाते एक और बात। इस लेख को लिखने का मकसद किसी की छवि को नुकसान पहुंचाना, या किसी का अपमान करना नहीं है। ना ही कोई सनसनी अथवा अफव़ाह फैलाने के उद्देश्य से ये लेख लिखा गया है। ये लेख लिखने का उद्देश्य सिर्फ़ इतना ही है कि निष्पक्ष रहते हुए सही तथ्यों को अपने पाठकों के लिए प्रस्तुत किया जाए। जय हिंद। ऊपर की दोनों तस्वीरों में प्रेम अदीब जी हैं। और नीचे की तस्वीर में इंदूरानी अपने पति रमणीक लाल शाह के साथ हैं। #premadib #indurani

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