देव माता गाय

        देव माता गाय 

               मोनिका त्यागी, सम्पादक-सम्पदा

"माना जाता हैं,कि जो मनुश्य प्रातः स्नान करके गौ स्पर्ष करता हैं, वह पापों से मुक्त हो जाता है।"

 आज एक अहम् मुद्दा है, ‘‘गौ माता की हत्या।’’ इनके सुरक्षा हेतु आवाजें तो बहुत उठीं लेकिन गो हत्या रुकी नहीं। मैं आज आपको कुछ बातों से अवगत कराना चाहती हूॅ ताकि आप जान सके कि भारतीय नस्ल की गाय का क्या महत्व है और इसका हमारे जीवन में क्या स्थान है। 

  भारतीय नस्ल की गायों की कीमत बाहर के देषों में बहुत  अधिक है। भारतीय नस्ल की गाय विष्व में सबसे सर्वोत्तम मानी जाती है। पुराणो में और  आयुर्वेद में गाय के दूध के जो गुण वर्णित है, उनका सम्बन्ध कामधेनु कहलाने वाली भारतीय नस्ल की गाय से है। माॅ के दूध के बाद सबसे अधिक लाभदायक और रोगों से लड़ने की षक्ति देने वाला, दैवी संस्कारों से युक्त तथा कैरोटीन युक्त सर्वोत्तम दूध सिर्फ भारतीय नस्ल की ही गाय देती है।


आज भारतीय नस्ल की गाय सबसे ज्यादा ब्राजी


ल में निर्यात होती है। हमें देषी गाय के महत्व को समझना होगा और सरकार का ध्यान भी इस ओर देना होगा। वैदिक काल में गाय को सर्वोच्च उत्पत्ति का पर्याय माना गया है। गाय भूमि, गाय देवमाता, गाय मेघ, गाय प्राकृतिक जीवन जल मानी गयी है। गाय या गोवंष पुरातन काल में विषेश सम्मानित मानी गयी और इसके मुकाबले में और किसी प्राणी को स्थान नहीं दिया जाता था। देसी गाय की घी को रसायन कहा गया है जो जवानी को कायम रखते हुए बुढ़ापे को दूर करता हैं। गाय के दूध मे स्वर्ण क्षार पाये जाते हैं।  जिसने अद्भूत औशधीय गुण होते है, जो की गाय के घी के अलावा अन्य किसी घी मे नही मिलते। गाय के घी मे वैक्सीन एसिड ब्यूट््िरक एसिड ,बीटा कैरोटीन जैसे पदार्थो से कैंसर जैसी बीमारियों से बचा जा सकता हैं। यदि आप गाय के 10 गा्रम घी से हवन करते हैं तो इसके परिणाम स्वरूप वातावरण मे लगभग 1 टन ताजा आक्सीजन का उत्पाद कर सकते हैं। वास्तु षास्त्र के अनुसार भी गौ माता हमारे लिये लाभकारी हैं।  

अपने घर में श्रीकृश्ण के साथ गौ माता की की फोटो लगाकर भी आप कई वास्तुदोश दूर कर सकते हैं। 

     सर्वे देवा स्थिता देहे।
     सर्वे देवमयी दि गौ ।। 

सनातन धर्म के ग्रन्थों में कहा गया है,कि गाय की देह में समस्त देवी देवताओं का वास होने से यह सर्व देवमयी हैं। संसार का सबसे प्राचीन ग्रन्थ वेद और वेदो में भी गाय की महत्ता का वर्णन मिलता हैं। गाय के गोबर में लक्ष्मी ,गोमूत्र मे भवानी चरणों के अग्रभाग में आकाष चारी देवता ,रंभाने की आवाज में प्रजापति और थनों में समुद्र प्रतिश्ठित हैं। माना जाता हैं,कि जो मनुश्य प्रातः स्नान करके गौ स्पर्ष करता हैं, वह पापों से मुक्त हो जाता है। 

    माना जाता है कि गौ के पैरो की मिट्टी के तिलक करने से तीर्थ स्ािान का पुण्य मिलता हैं। गौ माता को माॅ हम यूंही नहीं बोलते वो हमारी माॅ जैसी ही तो होती हैं। उसके गोबर से घर को कभी पुराने समय में लिया जाता था जिसे षुभ माना जाता था साथ ही गर्मी के समय घर ठण्डा रहता हैं। 


जहाॅ मे पूजनीय है वही वैज्ञानिक रूप से फायदे मंद भी और इसका घी ,दूध गोबर , इसके ना जाने कितने फायदे है अगर गिनाने बैठे तो आधी उम्र निकल जाये । इतने फायदे होने के बाद भी और हमारी गौ माता को माॅ मानते हुए पूजते हुए भी इस सबके बावजूद भी हमारे देष मे गौ माता की स्थिति बहुत खराब हैं। इसके जिम्मेदार वो लोग भी है, जो उनको सड़को पर छोड़ देते हैं,क्योंकि वो दूध देने लायक नही रहती क्यों? अरे दूध ना भी दे तो भी वो बहुत काम की हैं। गौ मूत्र ,गोबर ये भी बहुत काम की चीजें हैं।  

लोगों कि सोच को बदलना होगा । महंगी.महंगी दवाईयों खना मंजूर है, लेकिन घरेलू इलाज को कोई महत्व नहीं देते । गौ माता का चाहे दूध हो चाहे उस दूध से बनने वाला घी हो ,चाहे गौ मूत्र हो और चाहे गोबर इन सबके इतने फायदे है ,जो आप उम्र भर भी नही जान सकते हैं।

आज मैं आप लोगो को यही बताना चाहती हूॅ अपने इस लेख द्वरा की गौ माता हमारे लिये वरदान हैं। गाय का घी रोज खाने मे डालकर खाने से रोग युक्त षरीर होता है। हाथ.पाॅव मे यदि जलन होती है,तो घी मलने से वो जलन दूर होती है। नाक मे घी डालने से लकवा रोग नहीं होता हैं और गाय का घी नाक में डालने से पागलपन दूर होता है। और किसी प्रकार की अगर एलर्जी है तो खत्म होती हैं। 

मांसाहारी व्यक्ति को गौ मूत्र नही लेना चाहिए। गौ मूत्र लेने के 15 दिन पहले मांसाहारी का त्याग कर देना चाहिए। लड़कियों का कम उम्र मे वयस्क हो जाना स्तन कैंसर की षिकायतो का बढ़ना ,बच्चों की आॅखो का कमजोर होना ,दिमाग मे किसी प्रकार की खराबी होना इसका कारण बजारू दूध होता हैं। गाय का जीवन हमरे स्वास्थय ,प्राकृतिक पर्यावरण, संतुलन, कृशि उर्जा सभी क्षेत्रो मे कल्याणकारी प्रभाव डालता है। यदि गौ पालन पर सरकार ध्यान दे तो समाज मे पुनः सुख समृधि का वातावरण बनाया जा सकता है। वैज्ञानिक तौर पर भी सिद्ध किया जा चुका है कि गाय का मूत्र कीटाणुनाषक है जो षरीर विभिन्न बीमारियों को दूर करने मे सहायक है। दाधा कप गौ मूत्र खाना खाने के 1घंटे पहले बवासीर ,बादी और खूनी जोड़ो का दर्द हृदय घात, कैंसर आदि ठीक करने के लिये ले सकते हैं। गौ मूत्र मे 18 सूक्ष्म तत्व हैं जो कि मिट्टी मे होते हैं ये वैज्ञानिको का परीक्षण कहता है। गौ मूत्र मे कफके सभी रोगो को पूरी तरह खत्म करने की क्षमता होती है। कुछ औशधियों के साथ मिलाकर लेने पर पित्त के रोग से भी मुक्ति प्राप्ति होती हैं। 


लीवर का कैंसर आहार नली का कैंसर और पेट का कैंसर यदि कोई इस सब से ग्रसित है, तो गौ मूत्र हर तरह के कैंसर मे फायदेमन्द होता हैं। गौ मूत्र पीने से त्वचा के सभी रोग ठीक होते हैं। गौ मूत्र से हड्डियों के सभी रोग ठीक होते हैं। पित्त,कफ के कुल 148 रोग हैं भारत मे और इन 148 रोगो को खत्म करने की क्षमता केवल गौ मूत्र मे ही हैं। गाय के गोबर मे लक्ष्मी और मूत्र मे गंगा का वास होता है। वैज्ञानिको ने भी जब गौमूत्र का परीक्षण किया तो उन्होने पाया कि गौमूत्र मे 24 ऐसे गुण है, जो विभिन्न रोगो को ठीक करने की क्षमता रखते है। इसमे नाइट्ोजन ,ताम्र, फास्फेट ,यूरिया ,यूरिक एसिड ,पोटाषियम क्लोराइड और सोडियम की विभिन्न मात्राए पायी जाती है यह षरीर मे उर्जा पैदा करती है। गौ मूत्र कड़क ,कसैला ,तीक्ष्ण और उश्मा होने के साथ. साथ विश नाषक और जीवाणु नाषक होता हैं।

गौ माता केवल पूजनीय ही नही है बहुत महत्वपूर्ण भी हैं। राजनेताओं ने इसे एक राजनैतिक मुद्दा बना लिया है। ये कोई राजनैतिक नही ये गौ हत्या का मामला है जो गौ हमारे लिये पूजनीय है। जो चीजें हमारे लिये हानिकारक है वो सभी बजारु दुध मे षामिल होती है और बाजार मे इसी प्रकार का दूध मिलता है और मजमूरी मे हम ले भी रहे हैं। अब तो ये हाल है कि लोगो का ध्यन बन्द और प्लास्टिक थैली मे दूध चलन मे है जिसमे कितने गुण हैतो कहना ही बेकार हैंऔर अब मै ये भी सुनने मे आ रहा है कि वैज्ञानिक या राश्ट्ीय डेयरी अनुसधान संस्थान के पषु का दूध निकालने की प्रकिया आक्सीटोसीन हार्मोन्स इंजेक्षन सस्ता और लगाने मे आसान होता हैं। इसमे 20प्रतिषत अधिक दूध प्राप्त होता है। पषु द्वारा परन्तु इसमे सेहत पर बुरा प्रभाव पड़ता हैं। लोग ना जाने कितने ही आरामदायक संसाधन का प्रयोग करते है अपने ऐषो आराम के लिये काफी खर्चा करते है। परन्तु वो कभी ये नही सोचते कि गौ सेवा कितनी महत्वपूर्ण है। वैसे तो काफी गौषालाए हुआ करती थी परन्तु आज इनकी संख्या बहुत कम हो गयी है। बल्कि नाम मात्र की ही रह गयी हैं, और जो रह गयी है उनकी अवस्था भी ठीक नही है। माना गाय दूध देना बन्द कर देती है तो भी वो हमारे लिए बहुत महत्वपूर्ण है। क्योकि उसके दूध के अलावा उसका गोबर और गौ मूत्र बेहद काम के हैं। गो मूत्र मे 18 सूक्ष्म पोशक तत्व है जो कि मिट्टी महोते है। अभी तक आपने जाना की गौ मूत्र कितना महत्वपूर्ण होता है परन्तु उसके दूध से बनने वाले घी के भी अनेक फायदे हैं। देसी घी हृदय रोगियो के लिये बहुत फायदे मन्द है। वह मोटापा कम करता है। देषी घी बच्चों और गर्भवती महिलाओ को बहुत फायदा करता है। भारत मे गाय को पूजा जाता है और इसलिये उसे गौ माता पुकारा जाता हैं। उो जानवर के रुप मे नही देखा जाता । माना जाता है कि गौ माता को अनेको देवता वास करते हैं। 

आईये आपको गौ माता के घी के फायदे बताये । यदि आपके बच्चे को कफ,जुकाम इत्यादि हैं तो पुराना देसी घी उसकी छाती पर मलने से उसको आराम मिलता है। गाय का घी नाॅक मे डालने से बाल नही झरते। 

गाय के घी से वनज भी नही बढ़ता है और सन्तुलन बना रहता है इन्सान ना ज्यादा मोटा ना पतला। गाय के घी को नाक मे डालने से पागलपन दूर होता है। हाथ पाॅव मे जलन होने पर घर मलने से आराम मिलता है। घी से षारीरिक व मानसिक ताकत मे भी बहोतरी होती है। यदि किसी के कान के पर्दे मे कोई परेषानी होती है तो वो गाय का घी कान मे डाले तो औपरेषन से बच सकते है। देसी गाय के घी मे कैैंसर जेेसी गम्भीर बिमारी से लड़ने की ताकत होती हैं। यदि कोई जल जाता है तो उसके फुोले पर देसी घी लगाने से आराम मिलता है। यदि किसी प्रकार की कमजोरी महसूस होती है तो वो एक चममच देसी घी दूध मे मिलाकर और मिश्री डालकर पीले तो कमजोरी को हार्ट.अटैक की तकलीफ है और चिकना कुछ भी खाने को मना है तो गाय का घी खाॅए हृदय मजबूत होगा। सिर दर्द होने पर षरीर मे गर्मी लगती है तो गाय के घी को पैरो के तलवों के नीचे लगाये तो सिर दर्द मे आराम आ जाता हैं। यहाॅ तक की यदि किसी व्यक्ति को साॅप काट ले तो तुरन्त उसे 100ग्राम घी पीलाये और ऊपर से जितना हो सके गुनगुना पानी पिलाये विश का असर खत्म हो जायेगा। क्योंकि माता को साक्षात कृश्ण मानते है। सारे भारत मे कही भी चले जाइए और सारे तीर्थ स्थानो के देवस्थान देख आइये ऐसा दिव्य स्थान ऐसा दिव्य मन्दिर ,दिव्य तीर्थ स्ािान देखना हो तो बस वह है गौ माता और इससे बटकर ना कोई तप है ना कोई जप हैं। गौ विष्वस्य मातरः देव जिसे विष्व की माता बताते हो उस गौ माता की तुलना किससे साथ और कैसी की जा सकती हैं। जिस तीर्थों में तीर्थराज प्रयाग है उसी प्रकार देवी.देवताओं में अग्रणी गौ माता को बताया गया है। गौ माता हमारी ऐसी माॅ है जिनकी बराबरी न कोई देवी देवता कर सकता है और ना ही कोई तीर्थ स्ािान। गाय ,गोपाल, गीत,गायत्री तथा धर्मप्राण भारत के प्राण है। आधार है गौ माता के दर्षन और उसकी सेवा से जो पुण्य प्राप्त होता है वो कही नही हो सकता हैं। 

 गौ माता को एक ग्रास खिला दीजिए तो वह  सभी देवी देवताओं तक पहुॅच पाता हैं। इसीलिए धर्मग्रन्थ बताते हैंकि समस्त देवी.देवताओं एक पितरो को एक साथ प्रसन्न करना तो गौ भक्ति ,गौ सेवा से बढ़कर कोई अनुश्ठान नहीं। श्री कृश्ण भ्रवान ने अपना नाम गौ माता के नाम पर ही रख लिया या गोपाल सारा दिन नंगे पाॅव जंगल.जंगल चराते फिरते थे। मान्यता है कि गाय माता अपने बच्चे को दूध पिलाती दिख जाए तो उनका दर्षन बहुत षुभ माना जाता हैं। जहाॅ गाय बैठती है वहाॅ की भूमि पवित्र होती हैं। गाय के चरणों की धूल भी पवित्र होती है। गौ माता का वैज्ञानिक महत्व भी हैॅ। गाय माता के समीप जाने से ही संक्रामक रोग कफ सर्दी खाॅसी जुकाम का नाष होता है। गाय के सींग भी एंटीना उपकरण के रुप मे काम करते है इनहे सूर्य से उर्जा प्राप्त होती है। गाय माता के सींग उसकी रक्षा कवच है। उसके ये सींग गाय के सींग उसकी मृत्यु के 45 साल बाद एक भी सुरक्षित बने रहते हैं। आज भारत मे गौ हत्या का गौ मांस का चलन इतना बढ़ गया है कही उसको काटते हुई ,कही उसके साथ बुरा व्यवहार करते हुए खून से भरी गौ माता के विडियो या तस्वीरे नेट पर डाल दी जाती है क्यों सरकार इस पर ध्यान नही देती 

गाय एक मात्र प्राणी है धरती पर जो आॅक्सीजन ग्रहण करता हैं। साथ ही आॅक्सीजन छोड़ता है । गौ माता के गाबर के जलने से मक्खी मच्छर आदि कीटाणु नही होते। आपको सुनकर हैरानी होगी कि गौ माता को राश्ट् माता का दर्जा दिलाने के लिये राजकोट से 6 व्यक्तियों ने काफी प्रयास कि सरकार के सामने अपनी मांगे रखी परन्तु सरकार ने उसे अन्यथा लिया और ऐसा होने के कारण उन 6 व्यक्तियों ने जहर खाकर

आत्म हत्या कर ली। गौषालाऔ कि स्थिति बेहद गम्भीर बनी हुई हैं। राजस्थान हो चाहे प्रतापगढ़ चाहे कही भी हर जगह गौषालाओ की स्थिति खराब हैं। गाय तड़प.तड़प कर मरने को मजबूर है समझ नही आता कोई भी सरकार जब सत्ता मे आती है तो वो वैसी बन जाती है जैसी पहले वाली सरकार थी। 

इसी हेतु राजनीति और बहस होती थी और उसकी जो हालत है जो गौ माता बदहाल हैं।उस पर राजनीति होती हैमतलब ये कि गौ. माता की परवाह किसी मे नही बस सत्ता मे उतरने के लिये एक मुद्रा बना लेते है,आज भी सड़क पर चलिये तो जगह जगह 7से 8 गाय भैंस आपको घूमते मिलंगी। चिड़वा की श्री कृश्ण गौषाला का निरिक्षण करने पहुचे तो वहाॅ भी स्थिति अच्छी नही थी । इसी तरह छत्तीसगढ़ के जाजगीर जिले के जैजेपुर विकास खण्ड के ग्राम पंचायत नदेली मे संचालित जय माॅ सिदारीन दाई गौषाला की स्थिति भी बद से बदतर है। जिन 6 व्यक्तियो ने गाय को हमारी राश्ट्माता बनाने की माॅग कि थी इसी को लेकर रैली कर कलेक्टर को विज्ञापन भी दिया था। इस वारदाता के बाद 18,2017 को गाय को राश्ट्माता का सम्मान दिया व भारत सरकार मे गौ मंत्रालय अलग से स्थापित करने की माॅग की। 80 करोड़ हिन्दुओं की धार्मिक आस्था का प्रजिक है परन्तु इस आस्था पर अब सवाल उठने लगे है लेकिन सरकार गाय को पषु श्रेणी मे समझती है। इस दौरान उन्होने गौ चरण भूमि गायो के लिये उपलब्ध कराने गौ हत्या को मनुश्य हत्या के समान दंड देने का प्रावधान करने की माॅग की। जो गाय दूध देने लायक नही रहती उसे सड़को पर छोड़ दिया जाता है क्यों अरे अगर वो दूध नही दे पा रहीं होती है तो भी वो बहुत काम की है। गौ मूत्र और गाय का गोबर भी बहुत महत्वपूर्ण होता हैं। मक्खी मच्छर और अन्य कीड़े मकोड़े जो गंदगी छोड़ते हैं। वो गोबर लिपने से नहीं रहते हैं। गाय के पंच भवन हमारे षरीर के लिये और वातावरण के लिये और धार्मिक दृश्टि से भी अत्यंत उत्तम होता है। जहाॅ भी गाय के गोबर से पुताई की गई है वहाॅ किसी भी प्रकार की पूजा करने से अधिक पुण्य व फल मिलता है।

वैज्ञानिक दृश्टि से भी इसका महत्व बहुत अधिक होता है। इसलिये पढ़े लिखे लोग भी इसे उत्तम मानते है और तो और अमेरिका जर्मनी तथा इटली मे भी वैज्ञानिक भी गोबर से लीपे गये स्थान का महत्व समझने लगे हैं वे इसे हाइजीनिक मानते हैं। जिस घर या मंदिर मे गौ माता का निवास होता है उस जगह को साक्षात देव भूमि कहा गया हैं वेदों के अनुसार गौ रुद्रों की माता और वसुओं की पुत्री है इसलिये निर्मल भाव से पूर्ण श्रद्वा और विष्वास के साथ किसी भी कार्य की सिद्वि के लिये रोज नित्य गौ माता की सेवा करनी चाहिये । 

             मंत्र

सुरुप बहु रुछाश्र विष्वरुपाश्र मातरं।
गावो भामुपतिश्ठाभिति नित्य प्रकीर्तयेत्।।

हम सभी यदि हिन्दु हैऔर हिन्दुत्व की भावना रगो मे खुन की तरह बहती है तो गौ हत्या को रोकिये। कैसे पुत्र है आप अपनी माॅ की दुर्दषा कैसे देख पाते है। अगर आपको जन्म देने वाली माॅ दुध पिलाकर पालती है तो गौ माता का भी दुध पिया तो होगा जरुर तो आप उसके कर्जदार।

कृपया करके गौ हत्या रोकिये उस पर राजनीति ना करें। उसे आपकी राजनीति की नही सेवा और प्यार की जरुरत हैं और आप सबको उसकी जरुरत हैं।

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