The History of Barmuda Triangle

 सम्पदा एक्सक्लूसिव

        ‘‘बरमूडा मत जइयो, एलियन आता है’’

                                                                   अंजनी उपाध्याय सम्पादक-सम्पदा  

कोलम्बस ने ढूंढा था भुतहा बरमूडा त्रिकोण 

बड़ा से बड़ा जहाज हो जाते हैं यहाॅ गायब

नामो-निशान तक नहीं मिलता यहाॅ पर  

      पूर्वी-पश्चिम अटलांटिक महासागर में बरमूडा त्रिकोण मयामी, फ्लोरिडा और सेन जुआनस से मिलकर बनता है। अनगिनत समुद्री और हवाई जहाज आश्चर्यजनक रूप से यहाॅ गायब हो जाते है। कुछ लोग इसे किसी परालौकिक ताकत की करामात मानते हैं। इस पर कई किताबें और लेख लिखे जाने के साथ ही फिल्में भी बन चुकी है। बरमूडा ट्राइएंगल अब तक 150 से भी ज्यादा हवाई जहाजों को निगल चुका है। हैरानी की बात है कि यहाॅ गायब होने वाले सैकड़ो लोगों की लाशे अब तक नहीं मिली है। इनके कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित प्रकार से विशेषज्ञ बताते हैं।



मीथेन हाइड्रेट नामक रसायन समुद्र मे बनने वाला यह हाइड्राइट है जो जब अचानक फटता है तो अपने आसपास के सभी जहाजों को चपेट में ले सकता है। यदि इसका क्षेत्रफल काफी बड़ा हो, तो यह बड़े से बड़े जहाज को भी डुबो सकता है। वैज्ञानिकों का मत है कि हाइड्राइट के विस्फोट के कारण डूबा हुआ जहाज जब समुद्र की अथाह गहराई में पहुचता है, तो वंहा पर बनने वाले हाइड्राइट की तलछट के नीचे दबकर वह गायब हो जाता है। यही कारण है कि इस तरह से गायब हुए जहाजों का बाद में कोई अता-पता नही मिलता। वायुयानो की दुघर्टना वैज्ञानिकों का मत जब मीथेन बड़ी मात्रा मे वायुमण्डल में फेलती है, तो उसके प्रभाव क्षेत्र में आने वाले यान के इंजन मे मीथेन की सांद्रता के कारण आॅक्सीजन का आभाव हो जाता है, जिससे वह काम करना बंद कर देता है। ऐसी दशा में विमान पर चालक का नियंत्रण समाप्त हो जाता और वह समुद्र के पेट मे समा जाता है। अमेरिका भौगोलिक सर्वेक्षण के अनुसार, बरमूडा की समुद्री तलहटी में मीथेन का अकूत भण्डार है। यही वजह है कि वहां इस तरह की दुर्घटनाएं होती रहती हैं।  

                   चाल्र्स बर्लटिज ने 1974 में अपनी एक पुस्तक द्वारा इस रहस्य की परतों को खोजने का दावा किया था। उसने अपनी पुस्तक ‘ दा बरमूडा ट्राइएंगल मिस्ट्री साॅल्व्ड’ मे लिखा था कि यह घटना जैसी बताई जाती है, वैसी है नहीं। जहाजों के पायलट अनुभवी नहीं थे। चाल्र्स के अनुसार, वे सभी चालक उस क्षेत्र से पूरी तरह से अनिभज्ञ थे और संभवतः उनके दिशा सूचक यंत्र में खराबी होने के कारण खराब मौसम में एक-दूसरे से टकराकर नष्ट हो गये।

                          


               बहुत से विद्वानों का मत है कि सागर के इस भाग में एक शक्तिशाली चुम्बकीय क्षेत्र होने के कारण जहाजों में लगे उपकरण यहाॅ काम करना बंद कर देते हैं। चुम्बकीय क्षेत्र रेडियो तरंगो के संकेतो को काट कर इन यंत्रों को खराब कर देता है, इससे जहाज रास्ता भटक जातें हैं और दुर्घटना का शिकार हो जाते हैं। 

               कुछ प्रत्यक्षदर्शियांे ने बरमूडा ट्राइएंगल के आसमान में बादलों के बीच तेज आवाज के बीच बिजलियां कड़कती हुई देखने की बात कही, जिससे वहां इेलक्ट्राॅमैग्नेटिक फील्ड बनता है। फिर बादल और समंदर के बीच बवंडर उठता है, जिसे इलक्ट्राॅनिक फाॅग कहा गया। इसी फाॅग में फॅस कर जहाज और विमान लापता हो जाता हैं, लेकिन बरमूडा मेें इलेक्ट्रानिक फाॅग किस तरह बनता है, इसके बारे मे जानकारी नहीं हैं। 

               कई विशेषज्ञों के अनुसार, इस क्षेत्र में विनाश के लिए यहां का विनाशकारी मौसम जिम्मेदारी है। दरअसल, भूमध्य रेखा के निकट अटलांटिक में शक्तिशाली तूफान पैदा होते हैं और ये हजारों  जिंदगियों को खत्म करने और अरबों डाॅलर के नुकसान के लिए ऐतिहासिक रूप से जिम्मेदार हैं। 1502 में फ्रासिंस्को डे बोबदिल्ला के स्पेनी जहाजी बेड़ों के डूबने की घटना किसी विनाशकारी आंधी के कारण होने वाली घटना थी। अतीत में इन तूफानों ने त्रिभुज से संबंधित अनेक घटनाओं को जन्म दिया है।

   कुछ विशेषज्ञों के अनुसार, यहां से गायब होने वाले जहाजों के पीछे समुद्री डकैतों का हाथ हो सकता है, क्योंकि इन क्षेत्रों में समुद्री डकैतों का अच्छा-खासा प्रभुत्व है। माल से लदे, जहाजों के गायब होने में इन डकैतों का हाथ होने से कतई इंकार नहीं किया जा सकता।

                   कुछ विशेषज्ञ तो इस क्षेत्र में हो रही घटनाओं के पीछे यूएफओं का हाथ मानते हैं, क्योंकि इस त्रिकोण के पास सबसे ज्यादा यूएफओ दिखने की बात सामने आई है। लोगों का कहना है कि इन उड़नतश्तरियों में सवार दूसरे ग्रह के प्राणी ही इन दुर्घटनाओं के जिम्मेदार हैं क्योकि वे नही चाहते कि उनके इस क्षेत्र में कोई पृथ्वीवासी आवागमन करके उनके रहस्य को जान जाए या उनके कार्य में बाधा डाले। इसलिए हो सकता है कि बरमूडा त्रिकोण दूसरे ग्रह के प्राणियों का रिसर्च स्टेशन हो, इसलिए परग्रही शक्तियाॅ जहाजों और विमानों को गायब करते हों और फिर उस पर रिसर्च करते हों। दुनियाभर में यूएफओ देखने के बात सामने आती ही रहती है। ऐसे मे बरमूडा त्रिकोण से गायब होने वाले विमान और जहाज में परग्रही शक्तियों का हाथ होने से इंकार नही किया जा सकता है, लेकिन बरमूडा त्रिकोण के रहस्य में परग्रही शक्तियों का हाथ है, इस पर बस अंदाजा ही लगाया जा सकता है, क्योंकि इसका कोई ठोस प्रमाण नहीं है, इसलिए बामूडा त्रिकोण आज भी रहस्यमयी है।

                   इस क्षेत्र में शक्तिशाली गल्फ स्ट्रीम चलती हैं। ये गल्फ स्ट्रीम मैक्सिको की खाड़ी से निकलकर फ्लोरिडा के जलडमरू से उत्तरी अटलांटिक तक जाती है। ये गल्फ स्ट्रीम असल में समुद्र के अंदर नदी की तरह होती है। इसकंे तेज बहाव में जहाजों के डूबने की आशंका रहती है। जहाजों और वायुयानों का केवल इस विशेष त्रिभुजाकार क्षेत्र में ही गायब होना, मात्र संयोग नहीं हो सकता, जबकि कुछ वैज्ञानिक इन दुर्घटनाओं का कारण गुरुत्वाकर्षण की शक्ति बताते है। इस भाग के नीचे स्थित स्फिटक पदार्थों, जलचक्रों (भवरोें), समुद्र तल से उत्पन्न समुद्री भूचालों को इनका दोषी मानते है। बरमूडा त्रिभुज पर डाॅक्यूमेंट्री फिल्म बनाने वाले रिचर्ड विनर का कहना है कि इस क्षेत्र के एक विशेषज्ञ ने तो अपने साक्षात्कार में यहां तक कहा था कि वहां गायब होने वाले जहाज और वायुयान एक भिन्न आयाम या दृश्यता मेें अभी वहीं हैं और इस भिन्न आयाम का कारण संभवतः यूएफओ अर्थात उड़नतश्तरी द्वारा स्थापित किया गया चुम्बकीय वातावरण है। 

इन रहस्यमयी घटनाओं के पीछे क्या कारण है? यह जानने के लिए कई दशकों से वैज्ञानिक, अनुसंधानकर्ता, खोजकर्ता एवं शोधकर्ता लगे हुए हैं। वे लोग दावा भी करतें हैं कि उन्होने इन घटनाओं का हल ढंूढ निकाला है, किन्तु अभी बहुत से प्रश्न ऐसे हैं, जिनका कोई सही व सटीक उत्तर नहीं मिल सका है। इसलिए आज तक बरमूडा का यह रहस्यमयी त्रिभुजाकार क्षेत्र अपने आप में एक अनसुलझा रहस्य ही बना हुआ है। इस रहस्य से कभी पूरी तरह से पर्दा हटेगा, यह कहना मुश्किल है। 

           कोलम्बस ने ढूंढा भुतहा त्रिकोण  

पिछले 500 सालों से रहस्यमय शक्तिका केन्द्र बने इस जल क्षेत्र के बारे मेे सबसे पहले खोजने वाले क्रि स्टोफर कोलंबस ने दुनिया को बताया था। कोलंबस ही वह पहले नाविक खोजकर्ता थे, जिनका सामना बरमूडा ट्राइंएगल से हुआ था। 15 वीं शताब्दी के अंत में क्रिस्टोफर कोलंबस पहले ऐसे व्यक्ति थे, जिसने सन 1492 की अपनी समुद्री यात्रा के दौरान बरमूडा त्रिकोण में कम्पास के विचित्र व्यवहार की बात कही थी। जानकारों का मानना है कि जब कोलंबस का जहाज बरमूडा ट्राइंगल के करीब पहुंचा, तो उसके कम्पास (दिशा बताने वाला यंत्र) में गड़बड़ी शुरू हो गयी इसके बाद उसके नाविकों में हड़कंप मच गया। ऐसा कहा जाता है कि इसके बाद कोलंबस को आसमान से एक रहस्यमयी बिजली गिरती दिखाई दी। साथ ही, उसे दिखाई दिया आग का एक बहुत बड़ा गोला, जो आसमान से निकलकर सीधे समुद्र में समा गया। हालांकि आधुनिक विद्वानों ने इसे भ्रम करार दिया है। हालांकि कोलंबस का जहाज जैसे-तैसे इस रहस्यमयी क्षेत्र से आगे बढ़ा। तब से लेकर अब तक करीब एक हजार लोग यहां लापता हो चुके हैं। इस क्षेत्र में जहाजों और वायुयानों के गायब होने की ज्ञात घटनाएं 19 वीं और 20 वीं सदी में ही ज्यादा हुईं।           


Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.