Vilakshn Mandiro ki talaash

 विलक्षण मन्दिरों की तलाश

कटारमल का सूर्य मन्दिर 

  यह मन्दिर अल्मोड़ा से 16 किमी दूर पड़ता है। यह उड़ीसा के कोणार्क सूर्य मन्दिर के बाद सूर्य भगवान को समर्पित देश का दूसरा सबसे बड़ा सूर्य मन्दिर है।   




कटारमल का सूर्य मन्दिर 

मन्दिर का परिसर 800 साल पुराना है और मुख्य मन्दिर 45 छोटे-छोटे मन्दिरों के घिरा हुआ है। मन्दिर अपने आप में वास्तुकला का एक अद्भुत नमूना है। इसके दीवालों पर की गयी नक्काशी बहुत ही जटिल है। यद्यपि ये प्राचीन तीर्थ स्थल एक खण्डहर के रूप में बदल गया है फिर भी यह अपनी ओर अत्यधिक आकर्षित करता है। पुराने रिकार्डों से पता चलता है कि यह मन्दिर 9 वीं शताब्दी में कल्चुरी राजा कटारमल ने बनवाया था। भारतीय पुरातत्व विभाग द्वारा इस मन्दिर को संरक्षित स्मारक घोषित किया जा चुका है। इस मन्दिर का निर्माण ऐसे कराया गया है कि सूर्य की पहली किरण इस मन्दिर में रखे शिवलिंग पर पड़ती है। मन्दिर की दीवारें पत्थर की बनी हुयी है और इसके खम्भे पर बहुत ही खूबसूरत नक्काशी की गयी है। 

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कसार देवी का मन्दिर 

   भारतीय पर्यटक विदेश जाते हैं नये प्रकार के अद्भुत प्राकृतिक कला को देखने और सुनने पर हमारे भारत में आज भी ऐसे कई अद्भुत स्थल हैं जो आपकी नजरों से दूर हैं, उन स्थलों को आपतक लाने का प्रयास कर रहीं हैं, सम्पदा की सशक्त लेखिका मोनिका त्यागी-सम्पादक

   इस कड़ी में एक दिव्य मन्दिर है, कसार देवी का मन्दिर। इस मन्दिर के बारे में ऐसी किवदन्ती है कि इस मन्दिर की रचना स्वम् किसी दैवी शक्ति ने की है या फिर प्रकृति के चमत्कारों ने इसे निर्मित किया है। कुछ लोगों का कहना है कि यहाॅ साक्षात देवी माॅ प्रकट हुई थीं। भारत में स्थित यह स्थल दुनियाॅ का तीसरा वह स्थान है जहाॅ खास प्रकार की चुम्बकीय शक्तियाॅ मौजूद हैं। इस सन्दर्भ में नासा के वैज्ञानिकों की भी टीम यहाॅ अपना शोध का कार्य सम्पादित कर चुके है और इस शक्तियों पर अपनी मौन स्वीकृति दे चुके हैं और शक्तियों को अनुभव कर हैरान हो चुके हैं। कसार देवी का मन्दिर कसार पर्वत पर स्थित है। पर्यावरणविद् डा0 बजय रावत यह मानते हैं कि इस पूरे क्षेत्र में आस पास का पूरा ईलाका से जुड़े भूगर्भ के भीतर कोई विशाल भू चुम्बकत्व की शक्ति केन्द्रित है। पर इस पर आज तक कोई ठोस कार्य नहीं हो पाया। 



   इस मन्दिर के लिये विलक्षण बात ये है कि आज ये लगभग तीन हजार वर्ष पूर्व शुभ और निशुम्भ नामक दैत्यों के संहार के लिये माॅ कात्यायनी के रूप में यहीं प्रकट हुयीं थीं तबसे ये स्थान विशेष रूप से सिध्द स्थल बन गया है। यह स्थान पूजा, तपस्या के लिये विशेष रूप से जाना जाता है। स्वामी विवेकानन्द इस स्थान पर जब आये तो वो भी ध्यान में लीन हो गये थे। इस स्थान को धर्मिक पर्यटक और घ्यान केन्दित करने वाले स्थल के रूप में और अधिक विकसित किया जा सकता है लेकिन यहाॅ सुविधाओ का अभाव है यदि सरकार इसपर ध्यान दे तो निश्चय ही इस देश की प्रतिष्ठा के साथ-साथ जन कल्याण का भी कार्य होगा। 

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 गोलू देवता का अद्भुत मन्दिर

  अल्मोड़ा के पास चितई में कामना पूर्ति मन्दिर के गोलू देवता की अपनी एक दिलचश्प कहानी है। गोलू को न्याय का देवता माना जाता है। ये माना जाता है कि कल्चुरी वंश के राजा की सात रानियाॅ थीं परन्तु इतनी रानियाॅ होने के बाद भी राजा को कोई सन्तान नहीं थी। इस बात को लेकर राजा हमेशा परेशान रहते थे।  एक दिन राजा जंगल में शिकार खेलने गये। राजा की मुलाकात रानी कलिंका से हुयी। कलिंका को देवी का अंश माना जाता था। राजा ने उनको देखा और उनसे प्रेम हो गया। राजा ने उनसे विवाह कर लिया। कुछ समय बाद रानी कलिंका ने एक बच्चे को जन्म दिया परन्तु सातों रानियों में इसके प्रति ईष्र्या होने के कारण दाई से मिलकर बच्चे की जगह एक पत्थर को रख दिया और बच्चे को एक छोकरी में रखकर नदी में बहा दिया। बहता हुआ यह बालक मछुवारों के पास आ गया। उन्होने ही उसे पाल पोश कर बड़ा किया। जब बालक सात-आठ वर्ष का हुआ तो उसने चंपावत जो कल्चुरी वंश के राजा झल राय की राजधानी थी वहाॅ जाने की जिद की। जब पिता ने पूछा कि इतनी दूर कैसे जावोगे तो उसने एक घोड़ा माॅगा। पिताजी ने मजाक समझ कर एक लकड़ी का घोड़ा बालक गोलू को लाकर दिया। गोलू में ईश्वर के स्वरूप थे, उसी घोड़े में जान डालकर चंपावत पहुॅच गये। वहीं एक स्थान पर तालाब में राजा की सातों रानियाॅ स्नान कर रहीं थीं। बालक गोलू वहीं घोड़े को पानी पिलाने लगा। सभी रानियाॅ हॅसती हुई बोली, हे मूर्ख बालक, क्या लकड़ी का घोड़ा कहीं पानी पीता है। उस पर उस बालक ने तत्काल उत्तर दिया कि जब रानी कलिंका बालक के जगह एक पत्थर को जन्म दे सकती हैं तो लकड़ी का घोड़ा पानी क्यों नहीं पी सकता है। ये सुनकर सातों रानियाॅ चकित हो गयीं, क्योंकि उनके सिवा ये बात कोई नहीं जानता था। शीघ्र ही ये बात पूरे राज्य में फैल गयी। राजा को भी सारी सच्चाइ्र्र का पता चल गया और उन्होंने सातो रानियों को दण्ड दिया तथा गोलू को अपना वारिस घोषित कर दिया। कुमायूॅ में उन्हें न्याय का देवता कहा जाने लगा। उनके न्याय के चर्चे हर ओर फैलने लगे। आज भी जब किसी के साथ अन्याय होता है तो वह एक पत्र लिखकर उनके मन्दिर में टाॅग देता है और उसे निश्चय ही न्याय प्राप्त होता है इसीलिये लोग इन्हे कामना पूर्ति भी कहते हैं।

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