बबीता ने अपनी बेटियों के लिए सुख-चैन छोड़ दिया, परिवार से बगावत कर पति से दूर रहीं और अब 77 की उम्र में 'फर्ज' की एक्ट्रेस ऐसी दिखती हैं।
बबीता का फिल्मी सफर 1967 से शुरू हुआ और शादी के कारण खत्म हो गया। उनकी आखिरी फिल्म 'सोने का हाथ' 1973 में रिलीज हुई, जबकि उनकी शादी 1971 में हुई थी। शादी के तीन साल बाद, 1974 में, उन्होंने बेटी करिश्मा का स्वागत किया और फिर 1980 में करीना का जन्म हुआ। यह दौर बबीता के लिए काफी मुश्किल भरा था, क्योंकि उस समय उनके पति रणधीर कपूर शराब की लत से जूझ रहे थे। रणधीर एक के बाद एक फ्लॉप फिल्में दे रहे थे और परिवारिक कलह का सामना कर रहे थे। 1981 में खबरें आईं कि बबीता और रणधीर के बीच अनबन है। 80 के दशक में रणधीर के करियर का डाउनफॉल शुरू हुआ और 1987 तक बबीता अपनी दोनों बेटियों के साथ रणधीर का घर छोड़कर चली गईं। हालांकि, उन्होंने रणधीर को तलाक नहीं दिया।
बबीता ने अकेले ही अपनी बेटियों को ग्रूम करना शुरू किया। उन्होंने अपनी बेटियों के लिए ऐसा कदम उठाया जिसने कपूर परिवार की नींद उड़ा दी। उन्होंने परिवार से बगावत कर अपनी बेटियों को फिल्मों में लॉन्च करने का फैसला किया, जबकि कपूर खानदान की बहुएं और बेटियों को फिल्मों में काम करने की अनुमति नहीं थी। बबीता ने अपनी बेटियों करिश्मा और करीना के लिए अपना ऐशो-आराम छोड़ दिया और एक दूसरे घर में रहने लगीं। उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री के कई लोगों से मदद मांगी और करिश्मा को 1991 की फिल्म 'प्रेम कैदी' से बॉलीवुड में लॉन्च किया। करिश्मा 90 के दशक की टॉप एक्ट्रेस बन गईं, और करीना ने भी 2000 में 'रिफ्यूजी' से अपने करियर की शुरुआत की और सफलता की सीढ़ियां चढ़ती चली गईं। बबीता ने अपनी बेटियों के लिए अपनी ऐशो-आराम की जिंदगी छोड़ दी और एक मां के रूप में जो करना चाहिए था, वह सब किया। आज, बॉलीवुड में बबीता का नाम बहुत सम्मान के साथ लिया जाता है।