गुमनाम अदाकारा...काजल किरण
✍️ जावेद शाह खजराना (लेखक)
दुनिया बड़ी हरजाई है।
जब किसी को सर पर बैठाती है तो आसमान की बुलंदियां दिखा देती है लेकिन जब मुंह फेरती है तो किसी को मुंह दिखाने लायक नहीं छोड़ती....
फिल्म दुनिया के ना जाने कितने अदाकार आज भी गुमनामी में अपनी जिंदगी बसर कर रहे है।
ऐसी ही एक गुमनाम अदाकारा है काजल किरण।
काजल किरण अपनी पहली ही फिल्म से
रातों-रात बनीं स्टार बन गई थी, फिर भी कहलाई
हिट फिल्म की फ्लॉप हीरोइन 😭
हसीन, चुलबुली और सांवली-सलोनी अदाकारा काजल किरण की पैदाईश आज से 65 साल पहले बंबई में एक आम परिवार में हुई। इनका असली नाम सुनीता कुलकर्णी है। फिल्मों से इनका दूर~दूर तक कोई नाता नहीं था। फिर भी फिल्मी पर्दे पर छाई।
काजल किरण के घर वालों की ख्वाहिश थी कि पढ़~लिखकर डॉक्टर बने। फिल्मों की दिवानी काजल का दिल पढ़ाई में कम फिल्मों में ज्यादा लगता था। अक्सर काजल स्कूल बंक करके शूटिंग देखने जाया करती ।
पढ़ाई मुकम्मल होने से पहले ही कुछ दोस्तों के कहने पर काजल किरण ने अपने फोटोशूट कराए और कई कास्टिंग डायरेक्टर्स को भेज दिए। कुछ दिनों तक यह सिलसिला चलता रहा। कई स्टूडियो के चक्कर भी लगाए और कई फिल्मों के लिए मेकर्स से मुलाकात भी की।
लेकिन दाल नहीं गली।
तभी उनकी मुलाकात फिल्म डायरेक्टर नासिर हुसैन से हुई। नासिर साहब जब काजल से मिले तो उनके बातचीत करने के लहजे से काफी मुतास्सीर हुए।
इसके अलावा काजल का स्टाइलिश अंदाज, खूबसूरत बड़ी~बड़ी आंखें सबकुछ फिल्ममेकर को भा गया और उन्होंने काजल को अपनी फिल्म के लिए साइन कर लिया।
अपनी अव्वल फिल्म से ही काजल की शोखियां और खूबसूरती अखबारों की सुर्खियां बन गई। फिल्मी बैकग्राउंड से ना होने के बावजूद भी, बड़े डायरेक्टर की फिल्म से लॉन्च हुईं और अपनी पहली ही फिल्म से स्क्रीन पर छा गई।
47 साल पहले 1977 में वह ऋषि कपूर के साथ फिल्म 'हम किसी से कम नहीं' में नजर आईं। इस रोमांटिक कॉमेडी फिल्म में काजल को खास रोल निभाने के लिए चुना गया । यह फिल्म बॉक्स ऑफिस पर एक बड़ी हिट साबित हुई और काजल रातों-रात स्टार बन गई।
किरण और हुसैन के दर्मियां 3 साल का कॉन्ट्रैक्ट हुआ था नतीजन जिसके चलते वो किसी और हिदायतकार (डायरेक्टर) के लिए काम नहीं कर सकती थी। इस वजह से काजल के हाथ से 'बालिका वधू' और 'अंखियों के झरोखों से' जैसी कामयाब फिल्में निकल गईं, जिसका इन्हें बहुत रंज हुआ।
कामयाबी के फार्मूले से अंजान काजल ने बिना सोचे~समझे कुछ ऐसी फिल्में साइन कर ली जो इनके मुस्तकबिल के लिए बर्बादी का सबब बनी।
मसलन "सबूत" नामी सेकंड क्लास हॉरर फिल्म । ये एक दोयम दर्जे की निहायत घटिया और फ्लॉप फिल्म थी।इसके बाद बड़े बैनर के लोग इनसे कतराने लगे।
इसके बाद इन्होंने जो फिल्में कि वह लगातार फ्लॉप होने लगी थक~हारकर उन्होंने फिल्मी दुनिया को अलविदा कहने का फैसला किया। उन्होंने अपने 13 साल के छोटे से कैरियर में करीब 40 से ज्यादा तस्वीरों (फिल्मों) में काम किया ।
1997 की काजल किरण की आखिरी फिल्म रिलीज हुई
उसका नाम इत्तफाक से ‘आखिरी संघर्ष’ था।
इसे इत्तेफाक कहें यह किस्मत का खेल काजल किरण का पूरा फिल्मी सफर संघर्ष करते हुए बीता और ‘आखरी संघर्ष’ इनकी आखिरी फिल्म साबित हुई।
फिल्मों की नाकामयाबी से हताश काजल किरण ने एक एन0आर0आई0 बंदे से शादी कर ली।
शादी के बाद यह फौरन नीदरलैंड चली गईं, जहां इनके दो बच्चे हुए। लेकिन इसकी भी कोई पुख्ता मालूमात नहीं मिलती। फिल्मों से संन्यास लेने के बाद उन्हें किसी भी फिल्म में पार्टी यह सार्वजनिक रूप से नहीं देखा गया। मानो जैसे वह गायब हो गई हो......
javedshahkhajrana