हिंदी फिल्मों में अगर ख़ूबसूरत अभिनेत्रियों की बात हो तो एक से बढ़कर एक हसीन चेहरे आँखों के आगे आ जाते हैं और बात अगर गुज़रे ज़माने की हो तो यह लिस्ट और भी ख़ास हो जाती है जिसमें जाने कितने ही नाम लिखे जा सकते हैं।
उन्ही में से एक ख़ूबसूरत अभिनेत्री का नाम है नलिनी जयवंत। उस दौर में अगर सबसे ख़ूबसूरत अभिनेत्री की बात की जाए तो सबसे पहले अगर जेहन में किसी का चेहरा आता है तो वह है अभिनेत्री मधुबाला लेकिन जब जब नलिनी जयवंत की बात होती है तो उनके आगे मधुबाला की ख़ूबसूरती भी थोड़ी फीकी पड़ जाती है।
नूतन के जन्मदिन पर नलिनी की मुलाक़ात चिमनलाल देसाई से हुई जो उन दिनों ‘नेशनल स्टूडियो’ के बैनर में फ़िल्म ‘राधिका’ की तैयारियों में जुटे हुए थे। नलिनी को देखकर उन्हें ऐसा लगा कि राधिका का किरदार नलिनी के लिये ही बना है और जब चिमनलाल देसाई ने उन्हें फ़िल्म ‘राधिका’ की मुख्य भूमिका में लेने की इच्छा जताई जिसके लिए नलिनी के पिता ने साफ इंकार कर दिया क्योंकि नलिनी जयवंत की उम्र उस वक़्त मात्र 14 बरस की थी। लेकिन चिमनलाल ने हार नहीं मानी और आख़िरकार नलिनी के पिता को चिमनलाल की ज़िद के आगे झुकना ही पड़ा।
नलिनी का कैरियर फिल्मों में अभी पूरी तरह से शुरू भी नहीं हुआ था कि उन्होंने अपनी उम्र से काफ़ी बड़े और पहले से शादीशुदा निर्देशक वीरेन्द्र देसाई से विवाह कर लिया।
दोस्तों नलिनी ने मराठी और गुजराती फ़िल्मों में भी काम किया है साथ ही उन्होंने तकरीबन 39 गीत भी गाए हैं। वर्ष 1956 में प्रदर्शित राज खोसला द्वारा निर्देशित फिल्म ‘काला पानी’ नलिनी की अंतिम सफल फिल्म थी। इसके लिए उन्हें ‘फिल्मफेयर’ की ओर से सर्वश्रेष्ठ सह-अभिनेत्री का अवॉर्ड भी मिला था। फिल्म 'काला पानी' के बाद उन्होंने फिल्मों में काम करना बंद कर दिया और अपनी निजी जिंदगी में व्यस्त हो गईं। हालांकि वर्ष 1965 में फिल्म ‘बॉम्बे रेस कोर्स’ में वे एक बार फिर नज़र आयीं थीं, लेकिन इस फिल्म की असफलता की वज़ह से इसकी कोई चर्चा नहीं हुई। दोस्तों परदे पर आखिरी बार नलिनी जी फिल्म 1983 में फिल्म ‘नास्तिक’ में नजर आई थीं। इस फिल्म में उन्होंने अमिताभ बच्चन की मां का किरदार अदा किया था। फिर उन्होंने फिल्मों से संन्यास ले लिया और तक़रीबन 22 सालों की गुमनाम ज़िंदगी जीने के बाद नलिनी जयवंत जी का नाम एक बार फिर से चर्चा में आया जब 30 अप्रैल 2005 को ‘दादासाहब फाल्के एकेडमी’ की तरफ से उन्हें लाईफ़टाईम अचीवमेंट अवॉर्ड से नवाज़ा था। इसके बाद नलिनी फिर कभी किसी सार्वजनिक जगहों पर दिखाई नहीं पडीं। फिर क़रीब 85 साल की उम्र में 22 दिसंबर 2010 को नलिनी जयवंत जी का देहांत हो गया। नलिनी के निधन के फ़ौरन बाद उनके बंगले पर लटके ताले को देखकर मीडिया में खलबली मच गयी और बिना सच्चाई जाने नलिनी के निधन को ‘रहस्यमय मौत’ क़रार दे दिया गया।