Moti BA Jayanti 01 August 2024 Shradhha Karm JL Upadhyay 01 August 2024, Death 21 July 2024

भोजपुरी अंचल के धरोहर कवि  मोती बी ए
●●●●●●●●●●□□●●●●●●●●●
'दालि  रोटी  आ माठा जो मीलल करी
जबले गमछा में  भूजा आ भेली रही
तेल सरसों के बुकवा जो लागल करी
अपनी किस्मत पर झंखत चमेली रही'
               ऐसे हज़ारों मुक्तकों ,गीतों, कविताओं और साहित्यिक आलेखों के रचनाकार कवि मोती बी ए  देवरिया की  भोजपुरी माटी को  भारत ही नहीं विश्व में कविता , साहित्य  और फिल्म जगत में सुन्दर  साफ सुथरे साहित्यिक  गीतों के लिये पहचान दिलाने वाले शख्सियत थे।
       अगस्त का महीना भारत की आजादी के लिये  तो महत्त्व का रहा ही है, देवरिया और 
बरहज कस्बे के लिए भी गर्व का रहा है, इसी महीने के 14 अगस्त को नौतन हथियागढ़  के लाल  शहीद रामचंद्र प्रजापति ने देवरिया तहसील भवन पर तिरंगा लहराते हुए  अंग्रेजों की गोली खाकर भारत माँ के लिए अपने प्राण बलिदान कर अमर हो गए।सन 1942 के इसी महीने  में महात्मा गांधी की अगुआई में ब्रिटिश सत्ता की गुलामी से मुक्ति के लिये क्रन्तिकारी आन्दोलन 'अंग्रेजों भारत छोड़ो' चला जिसमे छात्र जीवन  में अपना योगदान करते हुए मोती जी भी जेल गए   । 1947 के इसी महीने की 15 तारीख को देश
गुलामी की बेड़िया काट स्वतंत्र हुआ।सरयू की धारा के तट पर ,इसी कस्बे के समीप स्थित क्षत्रियों के   के गांव पैना के रणबांकुरे ठाकुरों ने 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संघर्ष में  अंग्रेजों के दाँत खट्टे  कर दिये।महाराष्ट्र से आकर बाबा राघव दास ने बरहज मेंअनंत महा प्रभु आश्रम को कर्म साधना भूमि बनाकर शिक्षा, समाजसेवा और आजादी के संघर्ष में  तपकर पूर्वांचल के गांधी के रूप में  प्रसिद्ध हुए।इसी बरहज के निकट ग्राम बरेजी में राधाकृष्ण उपाध्याय के पुत्र के रूप में  01 अगस्त 1919 को जन्में  कवि  मोतीलाल उपाध्याय जिनको मोती बी ए के नाम से जाना जाता है, शिक्षा,साहित्य और फिल्म जगत में एक ऐसा नाम है,जिनकी भोजपुरी,हिन्दी उर्दू और अंग्रेजी  की रचनाओं ने एक जमाने में कश्मीर से मुंबई तक धूम मचा दिया था। देवरिया  अपने इस लाल मोती बीए  पर  सदैव गर्व करता रहेगा। 
       मोती बी ए जी की रचनाओं में वह चिंतन और  दर्शन देखने को मिलता है जो  जीवन  को
गढ़ने और उसे सार्थक बनाने के लिये जरूरी है-
    ' विचार न हो तो आदमी मर जाए
      --------- ----------
     आदमी को को क्या मारना ,वह तो स्वयं एक जड़  पिण्ड है,मारना है तो विचारों को मारो'
       ॰॰॰॰॰॰      ॰॰॰॰॰॰॰॰      ॰॰॰॰॰॰॰॰

     कर्म आधारित वर्ण और जन्म आधारित जाति   की सामाजिक व्यवस्था पर कवि  की दृष्टि कितनी स्पष्ट  है देखने लायक है----
"कर्म का बंधन  यदि मज़बूत है तो जाति  का बंधन स्वयं टूट जाता है,कर्म करने वालों की नही अकर्मण्यों की जाती होती है  कर्म करने वालों का वर्ण होता है जो श्रेष्त है,जाति  व्यवस्था हेय है।'
       ॰॰॰॰॰॰    ॰॰॰॰॰॰    ॰॰॰॰॰॰॰॰॰
     कवि   के दार्शनिक प्रकृति की झलक उनकी  अनेक कविताओं में मिलती है---
  "  रैन अन्धेरा तम का डेरा गुफा भयानक प्रेत बसेरा,जलता दरिया रेत जवानी ,झुलसा पावक खौला पानी।स्वाती बादल बरसे कितना एक ही मोती चमके कितना"---
  "कोई जो हो फक़ीर तो शायर की तरह हो
     कोई जो हो अमीर तो शायर की तरह हो
      शायर है एक फक़ीर देता जो दुआएं
      पर हो कोई फक़ीर तो शायर की तरह हो"
      अपनी  कलम की खुद्दारी ,देश के लिये बलिदान हो जाने  की तमन्नाऔर  सच को सच तथा झूठ को झूठ कह सकने का अदम्य साहस
कवि   के साधारण व्यक्तित्व को विराट बना देता है-----
    " जिन हाथोंमेंशक्ति भरी है राज तिलक देने की
     उन्हीं हाथ में   ताकत भी है सर उतार लेने की'
      ॰॰॰॰॰॰॰॰        ॰॰॰॰॰॰॰॰      ॰॰॰॰॰॰
"कलम  जिन्दा नहीं होती तो कबक मर गयाहोता
पहुँचने की जगह घर पर खुदा के घर गया होता"
      समाज में  मित्र के वेश में छिपे  हुए छद्म शत्रुओं की की उन्हें पक्की और बखूबी पहचान थी और ऐसे लोगों से सावधान रहने की चेतावनी देने से कवि  नहीं चूकता---
  "जिसने दिये हैं  दूध  कटोरे के मेरे हाथ
    वे साँप बन के इर्द गिर्द घूम रहे हैं।"
      कवि  समाज का केवल द्रष्टा और स्रष्टा  ही नहीं होता वह समाज का मार्ग द्रष्टा भी होता है कवि  मोती बी ए  राजनीतिमेंशुचिता,स्पष्टवादिता और  जनकल्याण  के पक्ष धर  थे ।  वादों के मायाजाल में जनता को फँसाने और भटकाने  के वे सख्त खिलाफ थे---
 उनकी कविताओं  में एक भोजपुरी  कहावत के
 माध्यम से  समाजवाद पर टिप्पणी देखने लायक है---
    "हेले हेले बबुआ कुरुई में ढेबुआ,
     आ गइल समाजवाद चाटऽ नून नेबुआ"
'बबुआ' और 'फूआ' के प्रतीकों से  वादों के खोखलेपन पर कड़ा  प्रहार  मोती बी ए जैसा कवि  ही कर सकता था।
         कवि  मोतीलाल उपाध्याय के व्यक्तित्व और कृतित्व के अनगिनत आयाम हैं एक छोटे से आलेख में उसके कुछ एक फलकों की झलक ही मिल सकती है,बाकी तो यही कहा जा सकता है कि--
   हजारों साल किस्मत अपनी बेनूरी पे रोती है
    चमन में तब कहीं होता है   दीदावर पैदा।
    
        आज काव्य प्रतिभा-पुंज मनीषी मोती बी ए जी के जन्मदिवस पर पर हम अपनी इन पंक्तियों से  कविवर को श्रद्धा सुमन अर्पित करते हैं--
'बिम्ब छंद नव रस हैं मोती
कविता के कचरस हैं मोती
सरयू की निर्मल धारा  में 
भोजपुरी  के यश हैं मोती'।
********
       स्व मोतीलाल उपाध्याय के तीन पुत्रों बड़े  जवाहर लाल उपाध्याय( इन्जीनियर जलकल विभाग,गोरखपुर) मँझले भालचंद्र उपाध्याय (कवि  गीतकार) और छोटे अंजनी कुमार उपाध्याय ( निदेशक - सम्पदा न्यूज चैनेल)

    में से बड़े  पुत्र जिन्हों ने अपने पिता के अस्त व्यस्त साहित्यिक सम्पदा को सहेज कर ' मोती बी ए ग्रन्थावली' नव खंड( सम्पादक प्रो रामदेव शुक्ल ,गोरखपुर और सह सम्पादक - डॉ  दिवाकर प्रसाद तिवारी,देवरिया)को प्रकाशित कराकर सुरक्षित कराया,विगत 21 जुलाई 2024 को 86 वर्ष की आयु में दिवंगत हो गये जिनका आज 01 अगस्त को श्राद्ध कर्म  उनके गोरखपुर आवास पर आयोजित है,को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
इंद्र कुमार दीक्षित नागरी प्रचारिणी सभा,
 देवरिया। दिनांक 01-08- 2024

Post a Comment

0 Comments
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.