Master Nisar by Manohar Mahajan

🌻मास्टर निसार
मास्टर निसार: शुरुआती हिन्दोस्तानी टॉकी इरा के पहले सुपर स्टार थे. धाराप्रवाह उर्दू बोलने और गाने की उनकी क्षमता ने उन्हें तुरंत सफलता दिलाई. उन्होंने दूसरी टॉकी मूवी "शीरीं फरहाद" (1931) में काम किया जो सुपरहिट रही.अभिनेत्री जहान आरा कज्जन के साथ उनकी जोड़ी ने कई क़ामयाब सुपरहिट फिल्में दीं.
मास्टर निसार की लोकप्रियता अपार थी.उनकी एक झलक पाने के लिए लोग बड़ी संख्या में लोगों की भीड़ लग जाती थी.कहा जाता है कि एक बार उन्हें देखने के लिए भारी भीड़ जमा होने के कारण बंगाल के राज्यपाल को अपनी कार को दूसरी सड़क पर मोड़ना पड़ा.वह 'रोल्स- रॉयस' कार रखने वाले हिंदी फिल्म उद्योग के पहले अभिनेता थे.उस दौर की मशहूर नायिकाएँ पद्मा देवी, ज़ेबुन्निसा,बिब्बो, हसीना,सरदार अख्तर,कांता आदि उनके साथ काम करने को उत्सुक रहती थीं.भारत की पहली होममेड रंगीन फिल्म 'किसान कन्या' (1937) के भी नायक मास्टर निसार ही थे.ये नायक के रूप में यह उनकी आख़िरी फ़िल्म भी थी.

के. एल.सहगल, अशोक कुमार, सुरेंद्र आदि केआगमन और उदय के बाद उनकी लोकप्रियता कम होने लगी. उन्होंने अपने करियर के दौरान 75 फिल्मों में काम किया. कालांतर में स्थिति यह आ गई कि फ़िल्म-उद्योग में वो पूरी तरह तिरस्कृत हो गए.उन्हें जो भी भूमिका मिलती करने लगे.अंतिम बार उन्हें 1971 की फिल्म "गुड्डी" में देखा गया था. जिन लोगों ने फिल्म 'गुड्डी' (1971) देखी है,उसमें एक दृश्य है जिसमें एक दुबले-पतले व्यक्ति ओम प्रकाश की मालिश कर रहे हैं. धर्मेंद्र गुड्डी से कहते हैं,: “क्या आप जानती हैं कि वह कौन है? मास्टर निसार, एक समय के एक महान अभिनेता जो अपने दौर में बेहद लोकप्रिय, मक़बूल और बहुत अमीर थे."

50 के दशक में उन्हें कई क़व्वालियों में देखा गया था. फिल्म 'साधना' (1958) में कव्वाली "आज क्यों हम से परदा है" में ऑन-स्क्रीन मुख्य गायक के रूप में उन्हें  देखा गया.फ़िल्म 'बरसात की रात' (1960) की लोकप्रिय कव्वाली ''ना तो कारवां की तलाश है'' में भी नज़र आये थे.

बाद के वर्षों में, मास्टर निसार कठिन आर्थिक स्थितियों का शिकार हो गए और उन्हें अक़्सर हाजी अली दरगाह, मुंबई के पास भीख मांगते देखा गया. बीमारी की हालत में बिना देख-भाल के 11 जुलाई 1980 को गुमनामी में ही मास्टर  निसार  इस फ़ानी दुनिया को अलविदा कह गए.न कोई शव यात्रा! न किसी की आंख से आंसू टपके!! और न कोई शोक-सभा हुई और न ही कोई खबर छपी!!!. 

🔰5 मार्च 1902 में दिल्ली के मिरासियों के मामूली से परिवार में जन्म लेकर प्रारम्भिक भारतीय सिनेमा पर एकछत्र राज करने वाले मास्टर निसार की आज 122वीं सालगिरह है. दिल से याद करते हुए हम उन्हें सलाम करते हैं.
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