Kamali aur Gorakh nath

"जागअ मछेंदर गोरख अइले"

ढोलक के थाप से जब आवाज आवे लागल कि " जागअ मछेंदर गोरख अइले" तब मछेंदरनाथ के सत्ता के रस से मोह टूटल जवना के आनंद उ मुअल राजा के देंहि में घुसि के ओकरा के जिआ के लेत रहले । सत्ता के नशा इहे ह जवना से मछेंदरोनाथ ना बाचल रहले । 
गोरखनाथ / कबीरदास / रैदास के समय के कहानी ह जब पुर्वांचल यानि कि भोजपुरिया क्षेत्र में सनातन के अलावा भा सनातन धरम के विरोध में क गो अलग अलग सम्प्रदाय के जनम भइल रहे । गोरखनाथ से जुड़ल एगो वाक्या बा -

जब कबीरदास गोरखनाथ के ले के रैदास के घरे गइले त रैदास जी जुता सीअत रहले आ दुनो लोगन के अपना दुआरी देख उ खुशी के मारे चिहा गइले ! हांथ झारत भीतरी घरे गइले आ दू गो गिलास में पानी ले के अइले । एगो कबीर के देहले आ एगो गोरखनाथ के । बाकिर गोरखनाथ जातिगत भेदभाव के वजह से ओह पानी के ना पिअले आ उहे पानी कबीरदास के बेटी कमाली पिअली ।

कुछ साल बाद जब गोरखनाथ अपना सिद्ध योग के सहारे हवा में उड़ के जात रहले त सामन्य रुप से उनूका के केहू देख ना पावत रहे बाकि ओह दिन एगो महिला के आवाज आइल कि गुरूजी गोड़ लागत बानी । उ चिहा गइले कि इ के ह जे हमरा के देख लिहल , केकरा अतना सिद्धी मिल गइल बा कि हमरा के हवा में उड़त घरी देख लेत बा ?  

फेरू उ नीचे उतरले त देखले कि अरे इ त कमाली ह । गोरख बाबा पुछले तू कइसे देख ले ले ह ? तोर बाबुजी अतना सिद्ध कब से हो गइले रे ?

त कमाली कहली कि हम त रउवा आ बाबुजी के संगे रैदास बाबा के घरे जहिया पानी पिअले रहीं ओहि दिन से कइसनो अदृश्य लुकाइल चीज आ कवनो तरह के मायावी ताकत के देख /चिन्ह लेनी । 

तब गोरख बाबा के मन परल कि रैदास किहां पानी उनूका खातिर आइल रहे आ जातिगत भेदभाव के वजह से उ ना पिअले रहले ओहि पानी के इ कमाल ह कि कमाली के अतना शक्ति मिलल बा । 

तब गोरख बाबा फेरू कबीरदास के ले के रैदास बाबा के घरे गइले । पानी मंगले पानी मिलल बाकि उ पानी ना जवना के उ जोहत रहले । रैदास बाबा कहले कि, गोरख जी जेकरा भाग में जवन रहेला उ ओकरा जरुर मिलेला , ओकरा मिलिये के रहेला । अब उ पानी मुल्तान गइल । तब कमाली के बिआह मुल्तान भइल रहे ।

लोग कहेला कि रैदास वाला घटना के बाद गोरखनाथ के मन से जाति पाति के भेदभाव मिट गइल रहे आ आजो गोरखपीठ में जाति-पाति धर्म आदि के भेदभाव के ना मानल जाला ।

[नाथ सम्प्रदाय से जुड़ल सबसे पहिले केहू सत्ता में बइठल त उ मछेंदरनाथ रहले आ कि अब आदित्यनाथ के सत्ता मिलल बा । मछेंदरनाथ के जगावे खातिर त गोरखनाथ आइल रहले ....... बाकि... अब ....इनिका …. अच्छा त इहो सही बा कि कि इनिका के जगावे के का जरुरत बा? जगावल त ओकरा के जाइल जाला जे सुतल होखे । जे सुतला के नाटक करता ओकरा के का जगाइब आ कइसे जगाइब ? ] 

( कहानी इ कुल्ह जवन लोकगाथा में कहाली आ गवाए ली स । तथ्यात्मक रुप से कबीर, रैदास, गोरखनाथ आ कमाली के समयकाल में अंतर बा । बाकिर लोक में इ कहानी प्रचलित बा । एगो अउरी बात बा कि हमनी के गोरखपुर, गोरखनाथ के नाव सुनले बानी जा बाकिर गोरखनाथ, मछेंदरनाथ, नाथ सम्प्रदाय के बारे में बहुते कम भा एकदमे नइखी जा जानत । सबसे पहिले त हमनी सभ के नाथ सम्प्रदाय के बारे में पढे के चाहीं । आखिर नाथ सम्प्रदाय से स्थापना काहैं भइल ? का वजह रहे एह सम्प्रदाय के बनावे के ? का वजह रहे भा का वजह बा कि हर जाति आ धरम के लोग एह से पहिले जुड़ॅल रहे आ आजो जुड़ल बा ? ) 

- नबीन कुमार

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