justju jisaki thi

#ज़ुस्तज़ू जिसकी थी , उसको तो न पाया हमने ..…
इस बहाने से..
मगर देख ली दुनिया हमने

तुझको रुसवा न किया..
ख़ुद भी पशेमाँ न हुये
#इश्क़ की रस्म को इस तरह निभाया हमने
जुस्तजू जिसकी थी , उसको तो न पाया हमने ..…

कब मिली थी , कहाँ बिछड़ी थी , हमें याद नहीं
#ज़िंदगी तुझको तो , बस ख़्वाब में देखा हमने
#जुस्तजू जिसकी थी , उसको तो न पाया हमने ..…

ऐ अदा और सुनायें भी तो क्या हाल अपना..
उम्र का लम्बा सफ़र , तय किया तन्हा हमने ..
जुस्तजू जिसकी थी , उसको तो न पाया हमने ..…
✍ शहरयार
#Shaharyar
( 16 जून 1936 - 13 फरवरी 2012 )
पशेमाँ = शर्मिंदा

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