बूंद झरे घहरे घन अम्बर
मोर करे बन शोर सलोना,
शुक् आषाढ़ अन्हार रहे
तिथि पंचम दु लिखि तीन गो शुना।।
आठ घटे त बने शुभ संवत्
पूत कुबेर सुनौनन रोना।
थार बजे छबीरा जगजीतन
दंपति के घर आंगन कोना।।
######₹₹₹₹₹₹₹₹₹₹₹
भाटपार बेलपार सोहन के पार बाटे
बरई के पार, लाखो पार बाटे गंउआ
बिचवे में मड़ई छववले विचित्र कवि
लाख लाख बरिस जीयत रही राउआ।।
पुरुब दुबौली पश्चिम जगहथा
दखिन बरईपार बा
उत्तर लाखोपार के लगवे
भिंडा गांव हमार बा।।
नाव ह कुबेर बाबा, गांव ह भिंडा
बांचीले काथा, पराई ले पिंडा।
@@@@@@@@@@@@
परम श्रद्धेय हास्यावतार पंडित कुबेर मिश्र विचित्र जी के
९० वीं जयंती पर शत शत नमन वंदन