Nana Jagarannath Shankar Seth

#भारत_में_ट्रेन लाने का श्रेय किसको प्राप्त है, अंग्रेज? बिलकुल नहीं, नाना जगन्नाथ शंकर सेठ वो पहले व्यक्ति है जिन्होंने इसके लिए पहल शुरू की थी

नाना स्वर्णकार परिवार में जन्मे थे और व्यवसाई घराना होने के कारण वे धन संपदा से काफी संपन्न भी थे
इंग्लैंड में जब ट्रेन पहली बार चली तो ये पूरी दुनिया की हेडलाइन बन जाती है, ये खबर जब नाना तक पहुंची तो उन्हे लगा ये ट्रेन उनके गांव, शहर में भी चलनी चाहिए

अब नाना जी कोई आम व्यक्ति तो थे नहीं उनका व्यवसाय बहुत बड़ा था, उनका प्रभाव इससे समझ सकते है कि कई अंग्रेज अफसर उनके सानिध्य में रहते थे

उन्होंने कई विश्वविद्यालय खोले थे जिसमे कई महान क्रांतिकारियों ने बाद में इसमें शिक्षा को ग्रहण किया, उन्होंने लड़कियों के लिए मुंबई में पहला स्कूल खोला। नानाजी अपने स्कूलों में अंग्रेजी के साथ संस्कृत पढ़ाने की भी व्यवस्था की थी

1843 में वे अपने पिता के दोस्त जमशेद जीजोभोय उर्फ जेजे के पास गए और इंडियन रेलवे का अपना आइडिया उन्हे बताया, भारत में ट्रेन चलने के आइडिया से सुप्रीम कोर्ट के जज थॉमस और ब्रिटिश अधिकारी स्किन पैरी काफी खुश थे

सबको नाना का आइडिया शानदार लगा इसके बाद तीनो ने मिलकर इंडियन रेलवे एसोसिएशन को बनाया, उससे पहले अंग्रेजो का रेलवे के प्रति ऐसी कोई योजना नहीं थी

जब नाना और जेजे जैसे प्रभावी व्यक्तियों ने ईस्ट इंडिया कंपनी को अपना सुझाव दिया, तो उन्होंने काफी सोच विचार के बाद सरकार को इसमें काम करने के लिए कहा। 

इन्होंने मुंबई के बड़े बड़े व्यापारियों को इस प्रोजेक्ट से जोड़ते हुए ग्रेट इंडियन रेलवेज नाम की कंपनी बनाई 

ये सपना 1853 में पूरा हुआ, जब मुंबई से थाणे की ट्रेन चली, इसमें नाना जी और जेजे भी यात्री के रूप में सवार रहे 
फेसबुक से 

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