सलीम दुर्रानी नहीं रहे !
भले ही मंसूर अली ख़ान पटौदी को नवाब कहा जाता हो, लेकिन भारतीय क्रिकेट के असली नवाब सलीम दुर्रानी थे । सलीम दुर्रानी की नवाब पटौदी से कभी नहीं बनी, इसलिए वे टीम के अंदर बाहर होते रहे; लेकिन सलीम दुर्रानी मंसूर अली ख़ां पटौदी के सामने कभी नहीं झुके ।
नवाबी का आलम देखिए कि सवाई मानसिंह स्टेडियम में सलीम दुर्रानी जब प्रैक्टिस करते या कोई स्थानीय मैच खेलते तो वे फील्डिंग के लिए अपने नौकर को भिजवाते थे । सलीम दुर्रानी दर्शकों की मांग पर छक्के लगाने के लिए मशहूर थे । सलीम दुर्रानी के क्रीज पर आते ही स्टेडियम में शोर मच जाता था - वी वांट सिक्सर । और गेंद सीमा रेखा के पार हो जाती थी ।
सुनील गावस्कर वाले मशहूर वेस्ट इंडीज दौरे पर चलते मैच के दौरान कप्तान अजित वाडेकर के हाथ से लगभग गेंद छीनकर सलीम दुर्रानी ने जब गेंदबाजी की तो तीन ओवर में वेस्ट इंडीज के तीन दिग्गज बल्लेबाजों को आउट करके भारत की ऐतिहासिक जीत में अपना योगदान दिया । वे फिरकी गेंदबाज थे और सलामी बल्लेबाज । यानी आलराउंडर ।
वे किसी फ़िल्म अभिनेता की तरह सुंदर थे । उन्होंने क्रिकेट के बाद बॉलीवुड में भी हाथ आजमाया और चरित्र इत्यादि कई फ़िल्मों में नायक की भूमिका की । उस ज़माने में परवीन बॉबी के साथ सलीम दुर्रानी का अफेयर चर्चित हुआ था ।
सलीम दुर्रानी मेरी किशोरावस्था के हीरो थे । पहली बार सलीम दुर्रानी के दर्शन मैंने अपने गांव बगड़ में किए थे । बगड़ में भारतीय क्रिकेट बोर्ड के तत्कालीन अध्यक्ष पुरुषोत्तम और किशन रूंगटा की हवेली में भारतीय सिनेमा और क्रिकेट के सितारे आया करते थे ।